Published 12:46 IST, December 27th 2024
Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या कब? इस चालीसा का जरूर करें पाठ, पितरों को मिलेगी शांति
Somvati Amavasya 2024 Date: इस साल सोमवती अमावस्या किस दिन पड़ रही है आइए यहां जानते हैं।
Somvati Amavasya 2024 Chalisa: हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का दिन बेहद खास होता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर पितरों का तर्पण किए जाने की परंपरा है। अमावस्या तिथि बहुत ही खास तिथि मानी जाती है। यह दिन पूर्वजों को समर्पित है। इस दिन दान पुण्य का भी शुभ कार्य किया जाता है। आइए जानते हैं कि इस बार सोमवती अमावस्या किसी दिन पड़ रही है।
सोमवती अमावस्या 2024 तिथि (Somvati Amavasya 2024 Date)
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल सोमवार, 30 दिसंबर 2024 के दिन साल की अंतिम अमावस्या पड़ रही है। जिसे सोमवार के दिन पड़ने के कारण सोमवती अमावस्या कहा जाता है। कहते हैं कि जो जातक इस मौके पर गंगा स्नान करते हैं और अपने पितरों के नाम का पिंडदान व तर्पण करते हैं, उनके पितरों को मुक्ति मिल जाती है। साथ ही कुंडली से पितृ दोष खत्म हो जाता है।
ऐसे में इस दिन तुलसी चालीसा का पाठ जरूर करें और पितरों की पूजा में भी तुलसी पत्र का इस्तेमाल करें। इससे व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
तुलसी चालीसा का पाठ (Tulsi Chalisa ka path)
''श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।''
नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।
दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।
विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।
भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।
जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।
करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।
कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।
तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।
कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।
वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।
श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।
कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।
छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।
तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।
औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,
देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।
वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।
नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।
नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।
नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।
नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।
नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।
नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।
जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।
निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।
करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।
शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।
क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।
मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।
जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।
बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।
प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।
चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।
करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।
पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।
यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।
करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।
है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।
तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।
यह श्रीतुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।
गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।
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Updated 12:46 IST, December 27th 2024