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पब्लिश्ड 08:06 IST, January 5th 2025

Skanda Sashti 2025: स्कंद षष्ठी पर्व आज, पूजा के समय जरूर पढ़ें भगवान कार्तिकेय की आरती, स्तोत्र और मंत्र

Skanda Sashti 2025: रविवार को स्कंद षष्ठी का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जा रहा है।

Kartikeya
भगवान कार्तिकेय | Image: Freepik

Skanda Sashti 2025: आज यानी रविवार, 5 जनवरी को स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जा रहा है। यह व्रत पौष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। वहीं, यह पर्व दक्षिण भारत में बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु स्कंद भगवान का व्रत कर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान स्कंद को मुरुगन और सुब्रहमन्य के नाम से भी जाना जाता है।

मान्यता है कि इस दिन विशेष रूप से भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। भगवान कार्तिकेय की विशेष कृपा पाने के लिए आप उनकी पूजा व व्रत करने के साथ उनकी आरती, स्तोत्र और मत्रों का पाठ भी करना चाहिए। तो चलिए जानते हैं इस बारे में।

कार्तिकेय जी की आरती (Kartikeya Aarti)

जय जय आरती गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा

जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम

जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
सदाशिव उमा महेश्वर

जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी

महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता

जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक

सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय

शत्रु नाशक मंत्र (Kartikeya Mantra)

ऊं शारवाना-भावाया नमः
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा
देवसेना मनः काँता कार्तिकेया नामोस्तुते
ऊं सुब्रहमणयाया नमः

कार्तिकेय गायत्री मंत्र

ओम तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोद्यात:

कार्तिकेय स्तोत्र (Kartikeya Stotra)

योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनन्दनः।
स्कंदः कुमारः सेनानी स्वामी शंकरसंभवः॥

गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः।
तारकारिरुमापुत्रः क्रोधारिश्च षडाननः॥

शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः।
सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः॥

शरजन्मा गणाधीशः पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत्।
सर्वागमप्रणेता च वांछितार्थप्रदर्शनः ॥

अष्टाविंशतिनामानि मदीयानीति यः पठेत्।
प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् ॥

महामंत्रमयानीति मम नामानुकीर्तनात्।
महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

अपडेटेड 08:06 IST, January 5th 2025