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पब्लिश्ड 07:56 IST, November 27th 2024

Ganesh Puja: हर संकट का नाश करेंगे भगवान गणेश, बस कर लें इस स्तोत्र और इन मंत्रों का जाप

Shri Ganpati Stotram aur Mantras: अगर आप गणेशजी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको इस स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए।

Lord Ganesha
भगवान गणेश | Image: Pexels

Shri Ganpati Stotram: हिंदू धर्म में भगवान गणेश को एक विशेष स्थान प्राप्त है। जिस कारण किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को करने से पहले गणेशी जी की पूजा किए जाने का विधान है। कहा जाता है कि अगर किसी भी काम की शुरुआत गणेश जी का नाम लेकर की जाए तो उस कार्य को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।

भगवान गणेश को सप्ताह में पड़ने वाले बुधवार के दिन पूजा जाता है। बुधवार का दिन बप्पा को समर्पित किया गया है। इस दिन भक्त गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए भक्त व्रत और पूजा करते हैं। पूजा के दौरान आप गणेश स्तोत्र व कुछ मंत्रों का जाप कर बप्पा को प्रसन्न कर सकते हैं। आइए जानते हैं इस  बारे में।

श्री गणपति स्तोत्र (Shri Ganpati Stotram)

जेतुं यस्त्रिपुरं हरेणहरिणा व्याजाद्बलिं बध्नता,
स्रष्टुं वारिभवोद्भवेनभुवनं शेषेण धर्तुं धराम्।
पार्वत्या महिषासुरप्रमथनेसिद्धाधिपैः सिद्धये,
ध्यातः पञ्चशरेण विश्वजितयेपायात्स नागाननः॥

विघ्नध्वान्तनिवारणैकतरणि-र्विघ्नाटवीहव्यवाड्,
विघ्नव्यालकुलाभिमानगरुडोविघ्नेभपञ्चाननः।
विघ्नोत्तुङ्गगिरिप्रभेदनपविर्विघ्नाम्बुधेर्वाडवो,
विघ्नाघौधघनप्रचण्डपवनोविघ्नेश्वरः पातु नः॥

खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनंलम्बोदरं सुन्दरं,
प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम्।
दन्ताघातविदारितारिरुधिरैःसिन्दूरशोभाकरं,
वन्दे शैलसुतासुतं गणपतिंसिद्धिप्रदं कामदम्॥

गजाननाय महसेप्रत्यूहतिमिरच्छिदे।
अपारकरुणा-पूरतरङ्गितदृशे नमः॥
अगजाननपद्मार्कं गजाननमहर्निशम्।
अनेकदन्तं भक्तानामेकदन्तमुपास्महे॥

श्वेताङ्गं श्वेतवस्त्रं सितकुसुमगणैः पूजितं श्वेतगन्धैः,
क्षीराब्धौ रत्नदीपैः सुरनर-तिलकं रत्नसिंहासनस्थम्।
दोर्भिः पाशाङ्कुशाब्जा-भयवरमनसं चन्द्रमौलिं त्रिनेत्रं,
ध्यायेच्छान्त्यर्थमीशं गणपति-ममलं श्रीसमेतं प्रसन्नम्॥

आवाहये तं गणराजदेवं रक्तोत्पलाभासमशेषवन्द्यम्।
विघ्नान्तकं विघ्नहरं गणेशं भजामि रौद्रं सहितं च सिद्धया॥

यं ब्रह्म वेदान्तविदो वदन्ति परं प्रधानं पुरुषं तथान्ये,
विश्वोद्गतेः कारणमीश्वरं वातस्मै नमो विघ्नविनाशनाय॥

विघ्नेश वीर्याणि विचित्रकाणि वन्दीजनैर्मागधकैः स्मृतानि।
श्रुत्वा समुत्तिष्ठ गजानन त्वं ब्राह्मे जगन्मङ्गलकं कुरुष्व॥

गणेश हेरम्ब गजाननेति महोदरस्वानुभवप्रकाशिन्,
वरिष्ठ सिद्धिप्रिय बुद्धिनाथवदन्त एवं त्यजत प्रभीतीः॥

अनेकविघ्नान्तक वक्रतुण्डस्वसंज्ञवासिंश्च चतुर्भुजेति।
कवीश देवान्तकनाशकारिन्वदन्त एवं त्यजत प्रभीतीः॥

अनन्तचिद्रूपमयं गणेशं ह्यभेदभेदादिविहीनमाद्यम्।
हृदि प्रकाशस्य धरं स्वधीस्थंतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥

विश्वादिभूतं हृदि योगिनां वैप्रत्यक्षरूपेण विभान्तमेकम्।
सदा निरालम्बसमाधिगम्यंतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥

यदीयवीर्येण समर्थभूता मायातया संरचितं च विश्वम्।
नागात्मकं ह्यात्मतया प्रतीतंतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥

सर्वान्तरे संस्थितमेकमूढं यदाज्ञया सर्वमिदं विभाति।
अनन्तरूपं हृदि बोधकं वै तमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥

यं योगिनो योगबलेन साध्यं कुर्वन्ति तं कः स्तवनेन नौति।
अतः प्रणामेन सुसिद्धिदोऽस्तुतमेकदन्तं शरणम् व्रजामः॥

देवेन्द्रमौलिमन्दार-मकरन्दकणारुणाः।
विघ्नान् हरन्तु हेरम्ब चरणाम्बुजरेणवः॥

एकदन्तं महाकायं लम्बोदर गजाननम्।
विघ्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥

यदक्षरं पदं भ्रष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देव प्रसीद परमेश्वर॥

॥ इति श्री गणपति स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

भगवान गणेश के मंत्र (Shri Ganpati Mantras)

1. महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

2. ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति, करो दूर क्लेश।।

3. गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

4. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते
वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

5. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गण्पत्ये वर वरदे नमः
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

अपडेटेड 07:56 IST, November 27th 2024