Published 07:49 IST, November 11th 2024
Shiv Puja: पानी है भोलेनाथ की कृपा तो शिव पूजा के समय जरूर करें ये एक काम, हर मनोकामना होगी पूरी
Shiv Puja: अगर आप चाहते हैं कि शिवजी आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करें तो आपको उनकी पूजा करते समय ये एक काम जरूर करना चाहिए।
Shiv Puja Chalisa: हिंदू धर्म में वैसे तो सप्ताह का हर दिन बेहद खास होता है। सोमवार से लेकर रविवार तक हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित किया गया है। जिसके अनुसार सप्ताह का पहला दिन यानी सोमवार भगवान भोलेनाथ की पूजा का दिन है। कहते हैं इस दिन शिवजी की पूजा करने से उनकी कृपा सदैव अपने भक्तों पर बनी रहती है।
ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि शिवजी का आशीर्वाद सदैव आप और आपके परिवार पर बना रहे तो आपको सोमवार के दिन उनकी पूजा करने के साथ-साथ शिव चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे भगवान जल्दी प्रसन्न होकर आपके जीवन को सुख-शांति से भर देंगे। तो आइए जानते हैं कि शिव चालीसा किस प्रकार से है।
शिव चालीसा (Shiv Chalisa)
दोहा
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
चौपाई
जय गिरिजा पति दीन दयाला, सदा करत संतन प्रतिपाला।
भाल चंद्रमा सोहत नीके, कानन कुण्डल नागफनी के।
अंग गौर शिर गंग बहाये, मुण्डमाल तन छार लगाए।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे, छवि को देख नाग मुनि मोहे।
मैना मातु की ह्वै दुलारी, बाम अंग सोहत छवि न्यारी।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी, करत सदा शत्रुन क्षयकारी।
नन्दि गणेश सोहै तहं कैसे, सागर मध्य कमल हैं जैसे।
कार्तिक श्याम और गणराऊ, या छवि को कहि जात न काऊ।
देवन जबहीं जाय पुकारा, तब ही दुख प्रभु आप निवारा।
किया उपद्रव तारक भारी, देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।
तुरत षडानन आप पठायउ, लवनिमेष महं मारि गिरायउ।
आप जलंधर असुर संहारा, सुयश तुम्हार विदित संसार।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई, सबहिं कृपा कर लीन बचाई।
किया तपहिं भागीरथ भारी, पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी।
दानिन महं तुम सम कोई नहीं, सेवक स्तुति करत सदाहीं।
वेद नाम महिमा तव गाई, अकथ अनादि भेद नहिं पाई।
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला, जरे सुरासुर भये विहाला।
कीन्ह दया तहं करी सहाई, नीलकण्ठ तब नाम कहाई।
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा, जीत के लंक विभीषण दीन्हा।
सहस कमल में हो रहे धारी, कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।
एक कमल प्रभु राखेउ जोई, कमल नयन पूजन चहं सोई।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर, भये प्रसन्न दिए इच्छित वर।
जय जय जय अनन्त अविनाशी, करत कृपा सब के घटवासी।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै, भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो, यहि अवसर मोहि आन उबारो।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो, संकट से मोहि आन उबारो।
मात-पिता भ्राता सब कोई, संकट में पूछत नहीं कोई।
स्वामी एक है आस तुम्हारी, आय हरहु अब संकट भारी।
धन निर्धन को देत सदाहीं, जो कोई जांचे वो फल पाहीं।
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी, क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।
शंकर हो संकट के नाशन, मंगल कारण विघ्न विनाशन।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं, नारद शारद शीश नवावैं।
नमो नमो जय नमो शिवाय, सुर ब्रह्मादिक पार न पाय।
जो यह पाठ करे मन लाई, ता पार होत है शम्भु सहाई।
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी, पाठ करे सो पावन हारी।
पुत्र हीन कर इच्छा कोई, निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।
पण्डित त्रयोदशी को लावे, ध्यान पूर्वक होम करावे।
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा, तन नहीं ताके रहे कलेशा।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे, शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।
जन्म जन्म के पाप नसावे, अन्तवास शिवपुर में पावे।
कहे अयोध्या आस तुम्हारी, जानि सकल दुःख हरहु हमारी।
दोहा
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Updated 07:49 IST, November 11th 2024