पब्लिश्ड 09:38 IST, January 9th 2025
Putrada Ekadashi: 9 या 10 जनवरी! कब है 2025 की पहली एकादशी? जानिए डेट, मुहूर्त और पूजा विधि
Putrada Ekadashi Date: साल 2025 की पहली एकादशी यानी पुत्रदा एकादशी किस दिन पड़ रही है? आइए यहां जानते हैं।
Putrada Ekadashi Date: हिंदू धर्म में साल भर 24 एकादशी के व्रत रखे जाते हैं, जो हर महीने में दो बार पड़ते हैं। महीने में पहला एकादशी व्रत कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में पड़ता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा व व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ऐसे में हर किसी की नजर नए साल 2025 की पहली एकादशी तिथि की तरफ है। तो चलिए बिना किसी देरी के जानते हैं कि इस साल की पहली एकादशी किस दिन पड़ रही है। साथ ही जानते हैं कि इस दिन पूजा के लिए क्या मुहूर्त होगा।
पुत्रदा एकादशी 2025 तिथि (Putrada Ekadashi Date)
वैदिक पंचांग के अनुसार साल की पहली एकादशी यानी पुत्रदा एकादशी तिथि की शुरुआत पौष माह में 9 जनवरी दोपहर 1 बजकर 12 मिनट पर हो जाएगी। जिसका समापन अगले दिन यानी 10 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 43 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी को ही रखा जाएगा। इस एकादशी को वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है।
पुत्रदा एकादशी 2025 Muhurat (Putrada Ekadashi subh muhurat)
पंचांग का अनुसार 10 जनवरी पुत्रदा यानी वैकुंठ एकादशी दिनभर मनाई जाने वाली है। ऐसे में आइए जानते हैं कि किस मुहू्र्त में आप इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं।
- ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक।
- गोधूलि मुहूर्त : शाम 05 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 07 मिनट तक।
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक।
पुत्रदा एकादशी 2025 पूजा विधि (Putrada Ekadashi 2025 Puja Vidhi)
- पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले रंग के साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
- अब मंदिर को साफ करके गंगाजल से शुद्ध करें।
- मंदिर में एक चौकी स्थापित करें और उस पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं।
- अब इस चौकी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्तियों को स्थापित करें।
- विष्णु जी को फूलों की माला चढ़ाएं और चंदन का तिलक लगाएं।
- मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की सामग्री जैसे बिंदी, सिंदूर, चुड़ियां आदि अर्पित करें।
- देसी घी का दीपक जलाकर विष्णु जी और मां लक्ष्मी की आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
- अब पुत्रदा एकादशी की कथा का पाठ करें।
- इसके बाद विष्णु जी और मां लक्ष्मी को पंचामृत, फल और अन्य चीजों का भोग अर्पित करें।
- अंत में देवी मां और श्री हरि से क्षमा प्रार्थना करें और भोग लगाए गए पदार्थों को प्रसाद के रूप में वितरित करें।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
अपडेटेड 09:38 IST, January 9th 2025