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Published 11:59 IST, September 20th 2024

Pradosh Vrat 2024: कब है पितृ पक्ष में पड़ने वाला प्रदोष व्रत? नोट करें डेट, मुहूर्त और पूजा विधि

Pradosh Vrat 2024: जैसा कि इन दिनों पितृ पक्ष चल रहा है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि प्रदोष व्रत किस दिन पड़ने वाला है।

shiv parvati
प्रदोष व्रत 2024 | Image: Freepik

Pradosh Vrat 2024: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बेहद खास महत्व है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन और पूरे विधि-विधान से प्रदोष व्रत के साथ-साथ भगवान शिव की उपासना और पूजा करता है शिवजी उससे प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इस व्रत को करने से महादेव अपने भक्त के जीवन की समस्त समस्याओं का निवारण कर उस पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं।

वहीं इस साल के पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से हो चुकी है। ऐसे में शिव भक्त यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि पितृ पक्ष का प्रदोष व्रत किस तारीख को रखा जाएगा। तो चलिए बिना किसी देरी के जान लेते हैं आने वाले प्रदोष व्रत की तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में।

प्रदोष व्रत 2024 तिथि (Pradosh Vrat 2024 date)

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 सितंबर को शाम 04 बजकर 47 मिनट पर शुरू होकर 30 सितंबर को शाम 07 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी ऐसे में पितृ पक्ष का प्रदोष व्रत रविवार, 29 सितंबर को रखा जाएगा। इस तारीख को रविवार का दिन होने के कारण इस व्रत को रवि प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा। आइए जानते हैं कि इस दिन आप किस शुभ मुहूर्त में भोलेनाथ की पूजा कर सकते हैं।

प्रदोष व्रत 2024 शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2024 Muhurat)

पितृ पक्ष में रविवार, 29 सितंबर को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। कहते हैं इस व्रत के लिए पूजा का सबसे उत्तम समय प्रदोष काल ही होता है। ऐसे में त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल 06 बजकर 09 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 34 मिनट तक है। इस समय में साधक भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं। इस मुहूर्त में पूजा करने से बाबा भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होकर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat 2024 Puja Vidhi)

स्नान और साफ कपड़े:

शाम को पूजा से पहले अच्छे से स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

पूजा स्थान तैयार करें:

घर के मंदिर को साफ करें। भगवान शिव, माता पार्वती और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों को सजाएं।

दीप जलाना:

संध्या के समय गोधूलि बेला में दीपक जलाएं। यह पूजा के लिए शुभ समय है।

भगवान शिव का अभिषेक:

भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके लिए चंदन, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूध और गंगाजल का इस्तेमाल करें।

भोग अर्पित करना:

भगवान शिव को साबूदाने की खीर का भोग लगाएं। इसे श्रद्धा से अर्पित करें।

कथा सुनना:

पूजा के बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें। इससे व्रत का महत्व समझ में आता है।

आरती करना:

घी का दीपक जलाकर भगवान शिव की आरती करें और कृपा की प्रार्थना करें।

मंत्र जाप:

अंत में 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें। यह शिव की आराधना का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

क्षमा और विनती:

इसके बाद भगवान से क्षमा आदि मांगकर जो भी विनती आपको करनी है वह करें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Updated 11:59 IST, September 20th 2024