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Published 09:35 IST, December 22nd 2024

Kalashtami 2024: मासिक कालाष्टमी आज, काल भैरव बाबा को प्रसन्न करने के लिए पढ़ें ये आरती

Masik Kalashtami 2024: कालाष्टमी के दिन आप काल भैराव की इस आरती का पाठ कर सकते हैं।

Bhairav ​​Baba
भैरव बाबा | Image: shutterstock

Masik Kalashtami 2024: हिंदू धर्म में काल भैरव बाबा को तंत्र-मंत्र का देवता माना गया है। मान्यता है कि भगवान शिव के उग्र स्वरूप को काल भैरव कहा जाता है। इनकी पूजा करने से हर प्रकार का रोग-दोष व कष्ट दूर हो जाते हैं।

वहीं, हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कालाष्टमी (Masik Kalashtami 2024) मनाई जाती है। ऐसे में पौष माह की मासिक कालाष्टमी आज यानी रविवार, 22 दिसंबर के दिन मनाई जा रही है। ऐसे में आप काल भैरव की पूजा करने के साथ-साथ उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनकी आरती भी पढ़ सकते हैं। आइए जानते हैं कि काल भैरव आरती किस प्रकार से है।

काल भैरव बाबा की आरती (Kaal Bahirav ki Aarti)

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।

तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुखकारक भीषण वपु धारक।

वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।

तुम बिन देव सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।

तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।

पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।

बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।

भगवान शिव की आरती (Shivji ki aarti)

जय शिव ओंकारा, ऊँ जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा।

एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे।

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे।

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी।

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे।

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका।

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी।

त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे।

जय शिव ओंकारा, हर ऊँ शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा।
ऊँ जय शिव ओंकारा…

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Updated 09:35 IST, December 22nd 2024