पब्लिश्ड 12:51 IST, December 30th 2024
Mahabharat: बचपन की एक गलती के कारण भीष्म पितामह को मिली बाणों की शैया, जानें कितने दिन रहे उस पर
Mahabharata katha: भीष्म पितामह को बाणों की शैया पर क्यों लेटना पड़ा? भीष्म कितने दिन तीर बिस्तर पर थे? जानते हैं इस लेख के माध्यम से...
Mahabharata katha in hindi: महाभारत के भीष्म पितामह को हर कोई जानता है। गंगापुत्र भीष्म न केवल एक महान योद्धा थे बल्कि उन्हें अपने पिता द्वारा इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। ऐसे में महाभारत युद्ध के दौरान जब अर्जुन के बाण उन्हें लगे तो उन बाणों पर वे काफी दिन तक लेटे रहे और अपनी मृत्यु का इंतजार करते रहे। अपनी मृत्यु के अंतिम चरणों में कितने दिन भीष्म पितामह मृत्यु की शैया पर लेटे रहे और इसका क्या कारण था, आज का हमारा लेख इसी विषय पर है।
आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि भीष्म पितामह बाणों की शैया पर क्यों लेटे रहे और कितने दिन (How long did Bhishma live on Arrow bed?) तक लेते रहे। पढ़ते हैं आगे…
भीष्म पितामह को बाणों की शैया पर क्यों और कितने सोना पड़ा था?
अर्जुन के बाण जब भीष्म पितामह के अंदर गड़ गए तो कौरवौं की तरफ हाहाकार मच गया। पर इतने बाणों के बाद भी भीष्म पितामह की मृत्यु नहीं हुई। इसका कारण था सूर्य का उत्तरायण होना। जी हां, भीष्म पितामह को पता था कि अगर वो अपने प्राण सूर्य के उत्तरायण होने पर त्यागेंगे तो आत्मा को सद्गति मिलती है। ऐसे में वे बाणों की शैया पर लेटकर उत्तरायण होने का इंतजार कर रहे थे। उन्हें अपने पिता शांतनु से इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। हालांकि शल्य चिकित्सक बुलाए गए पर वे उनको लौटा देते हैं। ऐसे में वे बस उत्तरायण का इंतजार कर रहे थे।
क्यों मिली बाणों की शैया?
जब भीष्म पितामह युवा थे और शिकार करके महल को चले तब उनके रथ पर एक करकैंटा आ गिरा। ऐसे में भीष्म पितामह ने अपने तीर को उस पर चलाया और करकैंटे को कांटेदार झाड़ियों में फेंक दिया।
भीष्म पितामह बाणों की शैया पर कितने दिन रहे थे?
बता दें कि भीष्म पितामह शैया पर 58 दिन तक रहे। माघ महीने के शुक्ल पक्ष आते ही उन्होंने सबको बुलाया और प्रेमपूर्वक विदा लेकर अपने शरीर को त्याग दिया।
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अपडेटेड 12:52 IST, December 30th 2024