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Published 09:40 IST, July 30th 2024

Hanumanashtak Path: मंगलवार को करेंगे हनुमानष्टक का पाठ तो बनेंगे सारे बिगड़े काम, बनी रहेगी कृपा

Hanumanashtak Ka Path: मंगलवार के दिन हनुमानजी की पूजा करते समय आपको हनुमान अष्टक का पाठ जरूर करना चाहिए।

Hanuman ji
हनुमान जी को कैसे करें प्रसन्न | Image: shutterstock
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Hanumanashtak Ka Path: हिंदू धर्म में मंगलवार के दिन भगवान हनुमान की पूजा किए जाने का विधान है। कहा जाता है कि मंगलवार के दिन व्रत या पूजा करने से हनुमानजी की कृपा सदैव अपने भक्तों पर बनी रहती है। इतना ही नहीं अगर आप किसी तरह की परेशानी या संकट से गुजर रहे हैं तो आपको हनुमानजी की पूजा जरूर करनी चाहिए। इससे वह आपके सभी दुखों का नाश करेंगे। यही वजह है कि हनुमानजी को संकटमोचन भी कहा जाता है।

वहीं, अगर आप मंगलवार के दिन हनुमानजी की पूजा करने के साथ-साथ हनुमान अष्टक (Hanumanashtak Ka Path) का पाठ करते हैं तो इससे बजरंगबली जल्दी प्रसन्न होकर आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगे। घर में खुशहाली और सुख-शांति बनाए रखने के लिए आपको हर मंगलवार के दिन हनुमान अष्टक का पाठ जरूर करना चाहिए।

हनुमानाष्टक का पाठ (Hanumanashtak Ka Path)


बाल समय रवि भक्षी लियो तब,

तीनहुं लोक भयो अंधियारों।

ताहि सों त्रास भयो जग को,

यह संकट काहु सों जात न टारो।

देवन आनि करी बिनती तब,

छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।

को नहीं जानत है जग में कपि,

संकटमोचन नाम तिहारो ॥॥


बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,

जात महाप्रभु पंथ निहारो।

चौंकि महामुनि साप दियो तब,

चाहिए कौन बिचार बिचारो।

कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,

सो तुम दास के सोक निवारो ॥॥


अंगद के संग लेन गए सिय,

खोज कपीस यह बैन उचारो।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु,

बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो।

हेरी थके तट सिन्धु सबे तब,

लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ॥


रावण त्रास दई सिय को सब,

राक्षसी सों कही सोक निवारो।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु,

जाए महा रजनीचर मरो।

चाहत सीय असोक सों आगि सु,

दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥॥


बान लाग्यो उर लछिमन के तब,

प्राण तजे सूत रावन मारो।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत,

तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।

आनि सजीवन हाथ दिए तब,

लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥॥


रावन जुध अजान कियो तब,

नाग कि फाँस सबै सिर डारो।

श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,

मोह भयो यह संकट भारो ।

आनि खगेस तबै हनुमान जु,

बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ॥


बंधू समेत जबै अहिरावन,

लै रघुनाथ पताल सिधारो।

देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि,

देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।

जाये सहाए भयो तब ही,

अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥॥


काज किये बड़ देवन के तुम,

बीर महाप्रभु देखि बिचारो।

कौन सो संकट मोर गरीब को,

जो तुमसे नहिं जात है टारो।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,

जो कछु संकट होए हमारो ॥॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

09:40 IST, July 30th 2024