Published 09:08 IST, July 24th 2024
Ganesh Mantra: बुधवार को जरूर करें गणेश जी के इन चमत्कारी मंत्रों का जाप, हर परेशानी का होगा नाश
Ganesh Mantra: भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए आपको बुधवार के दिन इन चमत्कारी मंत्रों का जाप करना चाहिए।
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Ganesh Mantra: हिंदू धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश (Ganesh ji) को समर्पित किया गया है। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा अर्चना किए जाने का विधान है। माना जाता है कि बुधवार के दिन श्रद्धाभाव से गणेश जी की पूजा और व्रत करने से बप्पा भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं। साथ ही वह उसके दुखों का नाश भी करते हैं।
इतना ही नहीं, शास्त्रों में भी गणेश जी को विशेष स्थान प्राप्त है। जिसके मुताबिक किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा किए जाने का प्रावधान है। कहते हैं कि अगर कोई शुभ काम गणेशजी का नाम लेकर शुरू किया जाए तो व्यक्ति को उसमें सफलता जरूर मिलती है।
वहीं, गणेश जी भक्त द्वारा पूजा पाठ किए जाने के साथ-साथ कुछ मंत्रों के जाप से भी प्रसन्न होते हैं। ऐसे में अगर आप पूजा के दौरान गणेश जी के कुछ विशेष मंत्रों का जाप करते हैं तो विघ्नहर्ता सभी दुखों का नाश कर आपके जीवन को खुशहाली से भर देंगे। तो चलिए जानते हैं कि आप भगवान गणेश की पूजा के दौरान किन विशेष मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
गणेश पूजन के दौरान करें इन मंत्रों का जाप (Ganeshji ke mantra)
गणेश जी के आसान मंत्र
ऊँ गं गणपतये नमो नमः।
ॐ गं गणपतये नमः।।
ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा॥
ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्॥
गणेशजी का लाभ मंत्र
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।
सिद्धि के लिए मंत्र
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥
करियर के लिए मंत्र
ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।
आर्थिक तंगी दूर करेंगे ये मंत्र
ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥
शुभ कार्यों के लिए गणेश मंत्र
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित्।
ऋणहर्ता श्री गणपति मंत्र
“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा।”
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
09:08 IST, July 24th 2024