Published 22:33 IST, August 26th 2024
Janmasthami: द्वापर युग जैसा संयोग, कान्हा के 5251वें जन्म महोत्सव पर पूजा का ये है शुभ मुहूर्त
Janmashtami 2024 का महत्व इसलिए भी अधिक हो गया है कि आज द्वापर युग जैसा दुर्लभ संयोग बन रहा है। श्री कृष्ण भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जन्मे थे।
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Janmashtami 2024: जन्माष्टमी के अवसर पर लाखों-करोड़ों लोगों के आराध्य भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा के अलग-अलग मंदिरों में जनसैलाब उमड़ पड़ा है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान की ओर जाने वाले हर मार्ग पर लोगों के सिर्फ सिर-सिर ही नजर आये। एक के पीछे एक श्रीकृष्ण के दीवानों का टोला मंदिर परिसर की ओर बढ़ता आ रहा था। जिला प्रशासन ने भी ब्रज तीर्थ विकास परिषद एवं राज्य के पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में कान्हा के 5251वें जन्म महोत्सव को अद्वितीय और भव्य बनाने के हर सम्भव प्रयास किये गये।
आजके दिन का महत्व इसलिए भी अधिक हो गया है कि आज द्वापर युग जैसा दुर्लभ संयोग बन रहा है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण भाद्रपद मास, कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र की निशीथ बेला में कंस के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से अवतरित हुए थे। उस समय वृषभ लग्न एवं रोहिणी नक्षत्र, उच्च राशि के चंद्रमा थे। इस साल भी चंद्रमा वृषभ राशि में और रोहिणी नक्षत्र में है। इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग, गजकेसरी योग और शश राजयोग भी बन रहे हैं।
द्वापर युग जैसा योग
मथुरा में कन्हैया के भक्तों का उत्साह ऐसा है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में प्रवेश करने के लिए देर रात से ही लोगों ने कतारों में अपनी जगह सुनिश्चित करना शुरु कर दिया था। द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मध्यरात्रि में जन्म लिया था। भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में 8वां अवतार लिया था। ये भगवान श्रीकृष्ण का 5251वां जन्मोत्सव है। जन्माष्टमी के दिन कृष्ण के बाल रूप की पूजा होती है।
जन्माष्टमी पर कृष्ण पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
जन्माष्टमी पर बाल गोपाल के जन्म के बाद उनकी विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे में पूजा के शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। तो चलिए जानते हैं कि लल्ला के जन्म के बाद कब तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। पंचांग के मुताबिक पूजा के लिए रात 12 बजकर 1 मिनट से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक का समय अति शुभ है। ऐसे में इस मुहूर्त में पूजा जरूर कर लें। इसके अलावा इस तिथि में योगमाया का भी जन्म हुआ था, इस कारण यह दिन साधना के लिए भी बहुत अच्छा दिन है।
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