पब्लिश्ड 19:12 IST, October 2nd 2024
'सुप्रीम फैसले' से दूध का दूध पानी का पानी, फिर बुलडोजर में सियासत क्यों तलाशती है धर्म?
बुलडोजर देखकर आपके जेहन में कई सवाल उठते होंगे। सकारात्मक भी और नकारात्मक भी...वो इसलिए कि पिछले दिनों अवैध निर्माण पर बुलडोजर बेहिसाब चले हैं।
Opinion: बुलडोजर देखकर आपके जेहन में कई सवाल उठते होंगे। सकारात्मक भी और नकारात्मक भी…वो इसलिए कि पिछले दिनों अवैध निर्माण पर बुलडोजर बेहिसाब चले हैं..या यूं कहें कि बुलडोजर की रफ्तार इतनी तेज रही है कि लोग अब अवैध निर्माण को खुद हटाने के लिए राजी हो रहे हैं। लेकिन सियासत में बुलडोजर का अलग तरजुमा है...सियासतदान 'पीले पंजे' को भी धार्मिक चश्मे से देख रहे हैं। अवैध निर्माण टूटने पर हाय तौबा मचा रहे हैं। हद यहां तक हो गई है कि अतिक्रमण को भी सही बताने में जुटे हैं ।
वजह साफ है वोटबैंक। वोटबैंक की वजह से सियासी पार्टियां इस कदर गिर चुकी हैं कि उनमें गलत को गलत और सही को सही कहने की हिम्मत नहीं बची है। ऐसा तब जब अतिक्रमण मौलिक अधिकार नहीं है। ऐसा तब जब सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई जरूरी बताया है।
बुलडोजर पर 'सुप्रीम' फैसला
- अवैध निर्माण पर कार्रवाई नहीं रुकेगी'
- 'कानून किसी खास धर्म के लिए नहीं'
- 'अवैध मंदिर-मस्जिद को हटाना होगा'
- 'सड़क पर धार्मिक निर्माण गलत'
- 'देश धर्मनिरपेक्ष, आदेश सबके लिए'
पिछले दिनों देश के कई राज्यों में बुलडोजर जोर से बोला है और उसका खौफ उन्हें है जिन्होंने अवैध निर्माण किया है या फिर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया है। लोगों को ग्रीन बेल्ट बनाने से दिक्कत नहीं है। लोगों को परेशानी घर के बाहर नल लगाने से नहीं है। लोगों को दिक्कत है सड़क या फिर सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण से है।
कहां-कहां चला बुलडोजर?
- 25 सितंबर 2024
बहराइच, यूपी
सरकारी भूमि पर बने अवैध मकान पर बुलडोजर - 26 सितंबर 2024
सीतामढ़ी, बिहार
सड़क पर अवैध दुकानों पर बुलडोजर - 26 सितंबर 2024
सीतापुर, यूपी
कॉरिडोर को लेकर बुलडोजर एक्शन - 28 सितंबर 2024
गिर सोमनाथ, गुजरात
सोमनाथ मंदिर के पास सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटा - 28 सितंबर 2024
वाराणसी, यूपी
अति जर्जर मकान-दुकान पर बुलडोजर - 29 सितंबर 2024
फर्रुखाबाद, यूपी
ग्राम समाज की जमीन पर अवैध कब्जे पर एक्शन - 30 सितंबर 2024
लखनऊ, यूपी
सीतापुर रोड पर अवैध निर्माण पर एक्शन
जब अवैध निर्माण पर बुलडोजर चल रहा है तो हाय तौबा मचाने की क्या जरूरत है? दरअसल सियासतदान खास वर्ग को खुश करने में लगा है। वो क्यों ये बात किसी से छिपी नहीं है। जरा सोचिए जो सियासी पार्टी गणेश पंडाल पर पत्थरबाजी हो तो मौन रहे, बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ अत्याचार पर चुप्पी साधे रहे, जो सियासी पार्टियां बलात्कार मामले में मुंह पर पट्टी बांधे रहे, वहीं सियासी पार्टियां अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलने पर मय्यत के गीत गाने लगते हैं।
दरअसल, उन्हें बुलडोजर किसपर चल रहा है किस पर नहीं उससे इन सियासतदानों मतलब नहीं है उन्हें मतलब है तो सिर्फ वोट से और किसी तरह सत्ता के सिंहासन पर पहुंचने का। ऐसे में देश की जनता को ऐसे सियासतदानों से सावधान रहने की जरूरत है। जो मौकापरस्त हैं। आज किसी को धोखा दे रहे हैं कल किसी और को धोखा देंगे। वैसे ये पब्लिक है साहब सब जानती है।
अपडेटेड 19:12 IST, October 2nd 2024