Published 18:26 IST, August 6th 2024
एक-एक कर पड़ोसियों का सुलगता घर... बांग्लादेश में तख्तापलट, भारत पर क्या असर?
भारत और बांग्लादेश के बीच 53 सालों से द्विपक्षीय संबंध हैं। बांग्लादेश के विकास में भारत साझेदार रहा है।
बांग्लादेश में उथल-पुथल है। हर तरफ जलती गाड़ियां, जलते घर, तोड़फोड़ करते लोग। प्रदर्शनकारियों का सैलाब बांग्लादेश के लोकतंत्र को बहाकर ले गया। 15 साल से स्थिर बांग्लादेश अस्थिर हो गया और उसकी हालत भारत के बाकी पड़ोसियों के जैसा हो गया। ऐसा तब है जब ग्लोबल पीस इंडेक्स 2024 में बांग्लादेश का 63वां स्थान था और भारत का 116वां स्थान। ऐसा तब है जब अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जापान से भी ज्यादा बांग्लादेश का जीडीपी ग्रोथ रेट है। ऐसा तब है जब पाकिस्तान से ज्यादा मजबूत अर्थव्यस्था है। ऐसा तब है जब बांग्लादेश का सालाना प्रति व्यक्ति आय 2.3 लाख है और ऐसा तब है जब बंग्लादेश का विकास दर 5.7 प्रतिशत है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि बांग्लादेश का बेरोजगारी दर मात्र 3 प्रतिशत है ऐसे में सवाल ये कि क्या आरक्षण मात्र से पूरा बांग्लादेश जल उठा? वो भी स्वतंत्रता सेनानी के परिवार को आरक्षण देने से, जिनका परिवार बांग्लादेश को आजाद कराने में अपना खून बहाया।
किसी मुद्दे पर प्रदर्शन होना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन जब प्रदर्शन से तख्तापलट हो जाए तब सवाल उठते हैं, लेकिन बांग्लादेश में आरक्षण से लगी आग तख्तापलट पर जाकर खत्म हुआ। 15 साल देश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा। शेख हसीना 2009 से लगातार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थीं। इस दौरान बांग्लादेश को संवरा-संभाला और इस काबिल बनाया कि पाकिस्तान को भी रश्क होने लगा था। पाकिस्तान में ही क्यों आस-पास के देशों में बेचैनी बढ़ रही थी।
वैसे भारत और बांग्लादेश के बीच 53 सालों से द्विपक्षीय संबंध हैं। बांग्लादेश के विकास में भारत साझेदार रहा है, लेकिन आरक्षण की आग से पूरा बांग्लादेश जल रहा है। अब ये आग कब बुझेगी ये कहना मुश्किल है, लेकिन बांग्लादेश के अस्थिर होने से भारत की चिंता बढ़ गई है। बांग्लादेश की सियासत के दो बड़े और प्रमुख चेहरे हैं- बांग्लादेश अवामी लीग की शेख़ हसीना और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी यानि BNP की खालिदा ज़िया।
खालिदा जिया को पाकिस्तान समर्थित माना जाता है। इतना ही नहीं BNP का झुकाव हमेशा से इस्लामिक कट्टरपंथियों की तरफ रहा है। और तो और BNP हमेशा से पाकिस्तान की वकालत करता आया है, जिसका फायदा चीन को मिलता रहा है। ऐसे में शेख हसीना का बांग्लादेश के प्रधानमंत्री ना रहने से भारत के लिए कई मुश्किलें पैदा कर सकता है।
कारोबार में भारत-बांग्लादेश
भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार बांग्लादेश है। साल 2020-21 में 10.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार रहा। वहीं साल 2021-22 में यहीं कारोबार 44% बढ़कर 18.14 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। साल 2022-23 के बीच भारत-बांग्लादेश का कुल कारोबार 15.93 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। इतना ही नहीं बिजली और ऊर्जा के क्षेत्र में दोनों देश कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा हाई स्पीड डीजल ले जाने के लिए दोनों देशों के बीच भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन बहुत अहम है। भारत ने पिछले एक दशक में बांग्लादेश को सड़क, रेलवे, बंदरगाहों के निर्माण के लिए हजारों करोड़ रुपये दिए हैं। जहां तक सुरक्षा की बात है तो बांग्लादेश के साथ भारत की लगभग चार हज़ार किलोमीटर की सीमा लगती है। ऐसे में बांग्लादेश में ऐसी सरकार हो जो भारत का दोस्त हो। नहीं तो एक बार फिर उत्तर पूर्वी इलाकों में अलगाववादी फिर से अपना फन फैला सकते हैं।
ऐसे में बांग्लादेश का अस्थिर होना भारत को झटका से कम नहीं है। वैसे पिछले 10 सालों में भारत के जितने पड़ोसी देश हैं वहां अस्थिरता बढ़ी है। वो पाकिस्तान हो, अफगानिस्तान हो, श्रीलंका हो या म्यांमार हो या फिर मालदीव..हर जगह तख्तापलट हो चुका है और तख्तापलट के बाद इन देशों की हालत क्या ये बात किसी से छिपी नहीं है। लेकिन चीन लगातार भारत को घेरने में जुटा है। भारत के पड़ोसी देश के अस्थिर होने में कहीं ना कहीं चीन का हाथ जरूर रहा है। और बांग्लादेश में हुए बगावत में भी चीन का हाथ हो सकता है।
Updated 18:26 IST, August 6th 2024