अपडेटेड 2 June 2022 at 15:09 IST

एक बार फिर पर्यटकों के लिए महकेगी फूलों की घाटी, देखने को मिलेंगी 500 से अधिक प्रजाति के फूल

इस घाटी के बारे में अलग अलग मान्यताएं भी है स्थानीय निवासियों का मानना है की इस घाटी को भगवान और परियों ने बसाया है। 

| Image: self

उत्तराखंड में फूलों की घाटी एक बार फिर से पर्यटकों के लिए खोल दी गयी है पहली जून से अब यात्री यहां घूमने के लिए जा सकते हैं। घाटी में जून के बाद अलग-अलग प्रजाति के फूल खिलने शुरू हो जाते हैं इस घाटी में लगभग 500 से अधिक प्रजातियों के रंग बिरंगे सुंदर फूल पाए जाते हैं।

उत्तराखंड भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है यहां हर साल सैलानी भारी संख्या में आते हैं उत्तराखंड की खूबसूरती में चार चांद लगाती फूलों की घाटी जो उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है, फूलों की घाटी को "नंदा देवी राष्ट्रिय उद्यान" के नाम से भी जाना जाता है माना जाता है की फूलों की घाटी का जन्म पिंडर से हुआ पिंडर का अर्थ है पहाड़ों का वो क्षेत्र जहां महादेव का निवास हो। कहा जाता है की इस घाटी में भगवान शिव का गण है और यहां माता नंदा को यहां नंदा देवी यात्रा के माध्यम से लाया जाता है। "नंदा देवी यात्रा एशिया की सबसे लंबी पैदल यात्रा और गढ़वाल-कुमाऊं की सांस्कृतिक विरासत है "

इस घाटी के बारे में अलग अलग मान्यताएं भी है स्थानीय निवासियों का मानना है की इस घाटी को भगवान और परियों ने बसाया है। 

फूलों की घाटी दुनिया भर के पर्वतारोहियों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है यहां अलग अलग जगहों से लोग ट्रैकिंग के लिए आते है फूलों की घाटी अपने में ही एक अजूबा है घाटी हर 2 हफ्ते में अपना रंग बदलती है, हर दूसरे हफ्ते में घाटी का रंग अलग होता है  कभी ये लाल तो तभी पिली और कभी हलकी सुनहरी दिखाई देती है। घाटी को पर्यटकों के लिए जून से लेकर अक्टूबर तक ही खोला जाता है बाकि पूरे साल घाटी बर्फ से ढकी रहती है, कहा जाता है कि जुलाई के महीने में यहां सबसे अधिक फूल खिलते है। 

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कैसे हुई थी फूलो की घाटी की खोज - 

नब्बे के दशक में 1931 में हिमालय के पहाड़ों में आये ब्रिटिश पर्वतारोही  फ्रैंक एस. स्माइथ और उनके साथी अपना रास्ता भटक गए जिसके बाद रास्ता ढूंढ़ते ढूंढ़ते वो एक ऐसी घाटी में पहुंचे जिसे देख कर वो हैरान रह गए ऐसा नजारा उन्होंने पहले कभी नही देखा था। पूरी घाटी फूलों से भरी हुई थी, अलग-अलग किस्म के फूल वहां मौजूद थे, पर्वतारोही ने ऐसे सुन्दर नज़ारें को देखते ही घाटी को वैली ऑफ़ फ्लावर का नाम दिया जिसके बाद इसी नाम पर फ्रैंक स्माइथ ने एक किताब भी लिखी  “Valley of Flowers”

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कैसे जाएं फूलों की घाटी 

फूलों की घाटी उत्तराखंड के चमोली जिले के पुलना गांव ( गोविंदघाट ) में स्थित है। यहां आने के लिए आप ऋषिकेश, श्रीनगर, टिहरी,रुद्रप्रयाग , कर्ण प्रयाग  से गोविंदघाट जाने वाली टैक्सी बुक कर सकते है। 

Published By : Anamika gaur

पब्लिश्ड 2 June 2022 at 15:09 IST