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Published 17:49 IST, December 1st 2024

दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ाती हैं हार्मोन थेरेपी में इस्तेमाल दवाएं, शोध में खुलासा

शोधकर्ताओं ने कहा कि एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टोजन से लैस कुछ दवाएं न सिर्फ दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाती हैं, बल्कि गंभीर खून के थक्कों का कारण भी बन सकती हैं।

Drugs used in hormone therapy increase the risk of heart diseases
हार्मोन थेरेपी में इस्तेमाल दवाएं दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ाती हैं। | Image: Meta AI
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रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं के लिए हार्मोन थेरेपी में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं हृदय रोग और खून के थक्के जमने का जोखिम बढ़ाती हैं। एक नये अध्ययन से यह बात सामने आई है। ‘हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी’ उन हार्मोन को प्रतिस्थापित करके रजोनिवृत्ति के बाद के लक्षणों से राहत दिलाती है, जिनका महिलाओं के शरीर में पर्याप्त उत्पादन नहीं होता।

स्वीडन स्थित उपसाला विश्वविद्यालय सहित अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं ने कहा कि एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टोजन से लैस कुछ दवाएं न सिर्फ दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाती हैं, बल्कि दुर्लभ, लेकिन गंभीर खून के थक्कों का कारण भी बन सकती हैं, जिन्हें 'वेनस थ्रॉम्बोएम्बोलिज्म' के नाम से जाना जाता है। हालांकि, टिबोलोन नामक हार्मोन थेरेपी हृदय रोगों और स्ट्रोक का जोखिम तो बढ़ाती है, लेकिन इनके इस्तेमाल से खून के थक्के जमने का खतरा नहीं होता। टिबोलोन और एस्ट्रोजेन-प्रोजेस्टोजन जैसी दवाएं भारत में उपलब्ध हैं।

अध्ययन के नतीजे 'द ब्रिटिश मेडिकल जर्नल' में प्रकाशित

अध्ययन के नतीजे 'द ब्रिटिश मेडिकल जर्नल' में प्रकाशित किए गए हैं। इसमें "विभिन्न हार्मोन के संयोजन और इस्तेमाल से हृदय रोग के जोखिम में होने वाली वृद्धि" पर प्रकाश डाला गया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि पिछले अध्ययनों में हार्मोन थेरेपी और हृदय रोग के खतरे के बीच संबंध होने के संकेत मिलते हैं, लेकिन विभिन्न तरह की थेरेपी से जुड़े विशिष्ट जोखिमों के बारे में जानकारी स्पष्ट नहीं है।

2007 से 2020 के बीच हुए 138 शोध का विश्लेषण

अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने 2007 से 2020 के बीच हुए 138 शोध का विश्लेषण किया, जिनमें स्वीडन की 50 से 58 साल की लगभग 9.2 लाख महिलाओं को शामिल किया गया, जिन्होंने पिछले दो वर्ष में हार्मोन थेरेपी नहीं ली थी।

टिबोलोन और एस्ट्रोजन-प्रोजेस्टोजन टैबलेट उन आठ हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी में शामिल थीं, जो इन महिलाओं को सुझाई गई थीं। प्रतिभागियों में दो साल की अवधि में उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय संबंधी समस्याएं उभरने का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय रजिस्ट्री डेटा का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान पाया गया कि कुल 9,19,614 महिलाओं में से लगभग 24,100 में हृदय संबंधी समस्याएं उभरीं। एस्ट्रोजेन-प्रोजेस्टोजन या टिबोलोन युक्त गोलियां लेने से इस्केमिक हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है, जिसमें वाहिकाओं के संकुचित होने के कारण हृदय को रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है।

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधियां, तरीके और दावे अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं।  REPUBLIC BHARAT आर्टिकल में दी गई जानकारी के सही होने का दावा नहीं करता है। किसी भी उपचार और सुझाव को अप्लाई करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

Updated 17:49 IST, December 1st 2024