Published 11:12 IST, September 23rd 2024
चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखना या रखना भी अपराध, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा मद्रास HC का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी सामग्री रखना या इसे देखना भी अपराध के दायरे में ही आएगा। SC ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को पलटा।
Supreme Court on Child Pornography: चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। कोर्ट का कहना है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखना, रखना भी अपराध के दायरे में ही आएगा। इसके साथ ही शीर्ष न्यायालय ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया।
याचिका में मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े कंटेंट रखने के आरोपी एक शख्स के खिलाफ चल रहे केस को रद्द कर दिया था।
POCSO एक्ट के तहत माना जाएगा अपराध
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ किया कि बच्चों के साथ यौन अपराध से जुड़े वीडियो को सिर्फ डाउनलोड करना/ देखना/ उसे अपने पास इलेक्ट्रॉनिक गैजेट में रखना भी अपराध है। कोर्ट ने कहा कि इसे POCSO एक्ट के सेक्शन 15 (1) के तहत अपराध माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि भले ही किसी शख्स का मकसद ऐसे वीडियो को पब्लिश करना या फिर किसी दूसरे भेजने का न हो, फिर भी ये पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध माना जाएगा। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने मामले को दोबारा सुनवाई के लिए सत्र न्यायालय भेजा है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये निर्देश
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह चाइल्ड सेक्शुअल एक्सप्लॉयटेशन एंड अब्यूज मैटेरियल शब्द लाने के लिए अध्यादेश जारी करने का भी अनुरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों से कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द का इस्तेमाल न किया जाए।
मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ किया SC का रुख
बता दें कि मद्रास हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े कंटेंट को सिर्फ डाउनलोड करना या फिर देखना पॉक्सो एक्ट या IT कानून के तहत अपराध के दायरे में नहीं आता। हाई कोर्ट ने इसी आधार पर अपने मोबाइल फोन में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े कंटेंट रखने के आरोपी एक शख्स के खिलाफ चल रहे केस को रद्द कर दिया था।
मद्रास हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी को फोन में रखने भर से किसी शख्स को पॉक्सो कानून और IT कानून की धारा 67B के तहत आरोपी नहीं बनाया जा सकता। इस फैसले के खिलाफ बच्चों के अधिकार के लिए काम करने वाली कई संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को रद्द किया और मामले को दोबारा सुनवाई के लिए सत्र न्यायालय भेज दिया है।
Updated 11:26 IST, September 23rd 2024