sb.scorecardresearch

पब्लिश्ड 17:11 IST, December 31st 2024

UP: संभल से 30KM दूर गणेशपुर में 150 साल पुराना मंदिर मिला, कभी जुटते थे 10 लाख श्रद्धालुओं... फिर खंडहर में कैसे तब्दील?

यूपी के संभल से 30 किलोमीटर दूर गणेशपुर में 150 साल पुराने मंदिर का मामला सामने आया है। कभी 10 लाख श्रद्धालु यहां जुटा करते थे।

Reported by: Digital Desk
Follow: Google News Icon
  • share
Sambhal Temple
संभल से 30 किलोमीटर दूर पुराना मंदिर मिला। | Image: Republic

(सागर मिश्रा)

उत्तर प्रदेश के संभल से 30 किलोमीटर दूर गणेशपुर में 150 साल पुराना मंदिर मिला है। इस मंदिर में कभी 10 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आया करते थे, लेकिन आज ये खंडहर में तब्दील हो चुका है। मंदिर पर सुबोध जोशी नाम के शख्स का मालिकाना अधिकार है। उन्होंने मंदिर को लेकर पूरी बात बताई। इस मामले में सनातन संगठन से जुड़े कौशल किशोर वंदे मातरम नाम के व्यक्ति ने भी DM को पत्र लिखा है।

पूरी तरह से खंडहर में तब्दील इस मंदिर में स्थित मनोकामना कुंड आज तक लोगों के बीच चर्चा में है। कहा यह जाता है कि इस मनोकामना कुंड में जो भी अपनी मनोकामना लेकर आए उसकी मनोकामना जरूर पूरी हुई। मंदिर के आसपास के लोगों ने रिपब्लिक भारत के पहुंचने के बाद काफी खुशी जताई। उन्हें उम्मीद है कि अब पुरातत्व विभाग जल्दी इस पूरे इलाके का सर्वेक्षण कराकर इस मंदिर का भी जीर्णोद्वार करेगा।

मां गंगा पूर्ण करती है मनोकामना

मंदिर की मान्यता यह है कि यहां पर जो भी आया वह यहां पर डुबकी लगाता है। मां गंगा उसकी मनोकामना को पूर्ण करती हैं। जिस तरह से लोग गंगाजल भरकर अन्य जगहों पर लेकर जाते हैं, ठीक उसी तरह मनोकामना कुंड की भी खासियत है कि यहां से लोग गंगाजल भर के अपने घरों की तरफ लेकर जाते थे। इस मनोकामना मंदिर में जन्माष्टमी के पर्व पर बहुत भारी भीड़ भी देखने को मिलती थी।

धीरे-धीरे मंदिर बना खंडहर

इसके साथ ही लोग यहां पर दूर-दूर से मेला देखने आते थे। एक वक्त ऐसा था जब 10 लाख लोगों की भीड़ यहां पर आया करती थी। धीरे-धीरे वक्त बदलता गया और इस मंदिर पर जब किसी ने ध्यान नहीं दिया तो यह धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो गया।

सुबोध जोशी ने इस मंदिर में मां गंगा के निर्माण को लेकर कहा, "मां गंगा सपने में नजर आई थी, तब उन्होंने इसका निर्माण करवाया था। लेकिन इतना बड़ा निर्माण कराने के बाद जब अंडरग्राउंड बिल्डिंग बनवाई गई, तो पूरी बिल्डिंग बैठ गई। 12 साल में इसका निर्माण हो पाया। बुजुर्ग बताते हैं कि ढाई आने की मजदूरी में ढाई सौ मजदूर काम करते थे। इसलिए 12 साल में इसका निर्माण हुआ। हमारे बाबा-परबाबा के मृत्यु के बाद इस जमींदारी की जिम्मेदारी जब अन्य रिश्तदारों को मिली, उन्होंने इसका दुरुपयोग किया, रखरखाव में इसके कमी रखी, जिसकी वजह से आज इसकी ऐसी हालत है।"

इसे भी पढ़ें: बीड सरपंच हत्याकांड: वाल्मीक कराड ने किया सरेंडर तो गरजे देवेन्द्र फडणवीस, कहा- गुंडा राज बर्दाश्त नहीं होगा

अपडेटेड 17:11 IST, December 31st 2024