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Published 15:44 IST, December 26th 2024

Sambhal: पुनर्जीवित होंगे भद्रिका तीर्थ और चतुर्मुख कूप, SDM की मौजूदगी में ASI ने जुटाए साक्ष्य, फोटोग्राफी की

Sambhal: संभल के विलुप्त हो चुके तीर्थ स्थलों को संरक्षित किए जाने की कोशिशों के बीच ASI ने संभल के दो और प्राचीन तीर्थों का सर्वे किया है।

Reported by: Digital Desk
Edited by: Deepak Gupta
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Sambhal Bhadrika Tirtha and Chaturmukh well
पुनर्जीवित होंगे भद्रिका तीर्थ और चतुर्मुख कूप | Image: Republic

Sambhal: संभल के विलुप्त हो चुके तीर्थ स्थलों को संरक्षित किए जाने की कोशिशों के बीच ASI ने संभल के दो और प्राचीन तीर्थों का सर्वे किया है। यहां सर्वे के दौरान टीम ने बाकायदा फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की है। टीम यहां लगभग डेढ़ घंटे तक रही।

संभल में विलुप्त हो चुके तमाम तीर्थ स्थलों, कुएं और कूपों को संरक्षित करने की दिशा में प्रशासन की कार्रवाई लगातार जारी है। ASI की टीम संभल की ऐतिहासिक धरोहरों का सर्वे कर रही है तो वहीं तीर्थ स्थलों, कुएं और कूपों का भी सर्वे कर रही है। गुरुवार को SDM डॉ वंदना मिश्रा के साथ ASI की टीम संभल सदर के भद्रिका तीर्थ और चतुर्मुख कूप पर पहुंची। यहां टीम ने इन तीर्थ स्थलों का गहनता से परीक्षण किया यहां से साक्ष्य जुटाए इसके अलावा फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की।

ASI ने भद्रिका और चतुर्मुख कूप के लिए नमूने

हालांकि गुरुवार को टीम ने दो जगह सर्वे किया इस बाबत SDM डॉ वंदना मिश्रा ने बताया कि गुरुवार को भद्रिका आश्रम ओर चतुर्मुख कूप का सर्वे किया गया है। यहां स्ट्रक्चर मिला है इन्हें  ASI की टीम ने देखा है। इसकी स्टडी करने के बाद देखा जाएगा कि यह कितना पुराना है और इसका सरंक्षण कैसे किया जाए। उन्होंने बताया कि टीम ने चतुर्मुख कूप को भी देखा है यह पत्थरों से बना है। ASI की टीम ने यहां नमूने भी लिए है। यह 19 प्राचीन कूपों में से एक है, वहीं मृत्यु कूप की खुदाई भी हो रही है इसे किस तरह से संरक्षित किया जाए यह भी देखेंगे।

जमीन से निकली संभल की प्राचीनता

14 दिसंबर: खग्गू सराय इलाके में सबसे पहले कार्तिकेश्वर महादेव मंदिर मिला। तकरीबन 46 साल से मंदिर बंद था। प्रशासन की टीम ने साफ-सफाई कराई और उसके बाद यहां पूजा पाठ शुरू हुई। मंदिर में शिवलिंग के अलावा हनुमान की मूर्ति थी। इसी मंदिर से तकरीबन 200 मीटर दूर सपा के सांसद जिया उर रहमान बर्क का घर है। बाद में कार्तिकेश्वर महादेव मंदिर के पास कुआं मिला। प्रशासन की टीम ने कुएं की खुदाई कराई, जिसमें कुछ मूर्तियां मिली। कुएं को पूरी तरह पाट दिया गया था। इसी मंदिर से 50 मीटर पर दूरी पर दूसरा कुआं मिला, जो मस्जिद के सामने मौजूद था। प्रशासन की टीम ने इस कुएं की भी खुदाई कराई।

17 दिसंबर: संभल के सरायतरीन इलाके में राधा कृष्ण मंदिर मिला। मंदिर के प्रागण में ही कुआं निकला। मंदिर के अंदर राधा कृष्ण के अलावा हनुमान की मूर्ति थी। बाद में इसकी साफ सफाई कराई गई।

21 दिसंबर: संभल के चंदौसी तहसील इलाके के लक्ष्मण गंज में खंडहरनुमा प्राचीन बांके बिहारी मंदिर मिला। कहा जा रहा है कि 25 साल पहले इस इलाके में हिंदू बड़ी तादाद में रहा करते थे, लेकिन कुछ समय बाद यहां मुसलमानों की संख्या बढ़ी और हिंदुओं की आबादी कम होने के चलते धीरे-धीरे उनके यहां से पलायन शुरू हो गया। ये भी बताया जा रहा है कि इस मंदिर में 2010 तक पूजा अर्चना होती थी, लेकिन 2010 में कथित रूप से शरारती तत्वों ने मंदिर में विराजमान भगवान बांके बिहारी की प्रतिमा और शिवलिंग समेत अन्य मूर्ति को खंडित कर दिया था।

22 दिसंबर: चंदौसी के लक्ष्मण गंज में ही एक पुरानी बावड़ी मिली। बताया जाता है कि ये बावड़ी तकरीबन 150 साल पुरानी है और 400 वर्ग मीटर के दायरे में बनी हुई है। बांके बिहारी मंदिर से ही तकरीबन 150 मीटर दूर बावड़ी मिली। स्थानीय लोगों का दावा है कि ये 1857 की बावड़ी है। स्थानीय लोग कहते हैं कि हिंदुओं का पलायन होने के बाद से उस जगह को माफियाओं ने कब्जा लिया था।

24 दिसंबर: संभल के लाडम सराय में प्रशासन को एक पुराने कुएं का पता चला। इसे मिट्टी और कूड़े से भर दिया गया था। प्रशासनिक अधिकारियों को जब कुएं की जानकारी मिली तो उन्होंने खुदाई कराई। बताया जाता है कि सालों पहले हिंदू समुदाय के लोग शुभ अवसरों पर यहां पूजा करते थे।

26 दिसंबर: संभल के खग्गू सराय इलाके में शाही जामा मस्जिद से तकरीबन 200 मीटर दूर एक मृत्यु कूप मिला है। संभल नगर निगम के वार्ड मेंबर के मुताबिक, ये कूप संभल के 19 कूपों में से एक है। ये कूप पिछले कई सालों से बंद हो गया। आसपास के जो घर बने हैं, उसका मालवा यहां डाल दिया गया था। अब नगर निगम इस कूप की खुदाई करवा रहा है, ताकि इस प्राचीन कप को एक बार फिर से पुनर्जीवन किया जाए।

संभल का इतिहास क्या है?

सतयुग में सत्यव्रत, त्रेता में महदगिरि, द्वापर में पिंगल और कलयुग में संभल, ये उत्तर प्रदेश के इस शहर की पहचान हुआ करती थी। संभल कई शासकों और सम्राटों का घर रहा। संभल के इतिहास को लेकर आधिकारिक वेबसाइट (sambhal.nic.in)पर दी गई जानकारी के मुताबिक, लोदी से लेकर मुगलों तक, 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 16वीं शताब्दी तक संभल किसी न किसी सम्राट के शासन के अधीन रहा। 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान संभल पंचाल शासकों का घर था और बाद में राजा अशोक के साम्राज्य का हिस्सा बना। ये प्राचीन शहर एक समय महान चौहान सम्राट पृथ्वीराज चौहान की राजधानी भी था। सिकंदर लोदी की 15वीं सदी के आखिरी और 16वीं सदी के शुरू में संभल प्रांतीय राजधानियों में से एक था।

वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, पहले मुगल शासक बाबर ने संभल में पहली बाबरी मस्जिद बनवाई थी जिसे आज भी ऐतिहासिक स्मारक माना जाता है। बाद में उसने अपने बेटे हुमायूं को संभल का गवर्नर बनाया और हुमायूं ने बदले में अपने बेटे अकबर को शासन सौंप दिया। वेबसाइट पर ये भी जानकारी दी गई है कि ऐसी पौराणिक मान्यता है कि कलियुग में कल्कि अवतार शंबल नामक गांव में होगा। लोक मान्यता में संभल को ही शंबल माना जाता है।

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Updated 15:44 IST, December 26th 2024