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Published 20:16 IST, October 25th 2024

Gyanvapi: हिंदू पक्ष की क्या थी मांग? अबतक क्या हुआ, याचिका खारिज होने के बाद आगे क्या? जानिए सबकुछ

हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने और मंदिर बनाने का अधिकार देने की अनुमति मांगी थी। मगर कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दी है।

Reported by: Deepak Gupta
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Gyanvapi
Gyanvapi | Image: ANI
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Gyanvapi case: हिंदू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी के पूरे परिसर की एएसआई सर्वे की मांग को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हिंदू पक्ष की ओर कोर्ट में आवेदन देकर पूरे ज्ञानवापी क्षेत्र की सुरक्षा के अतिरिक्त सर्वेक्षण की मांग की गई थी।

33 साल पुराने मामले में बहस पूरे होने के बाद कोर्ट ने अपना अहम फैसला सुनाया है। हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने और मंदिर बनाने का अधिकार देने की अनुमति मांगी थी। मगर कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दी है। याचिका खारिज होने के बाद सवाल खड़ा होता है कि अब हिंदू पक्ष के पास विकल्प क्या है?

कोर्ट के अर्जी खारिज होने के बाद आगे क्या?

हिन्दू पक्ष के वकील ने बताया कि हमारी एप्लीकेशन खारिज कर दी गई है। न्यायालय ने हमारी एडिशनल सर्वे की एप्लीकेशन को खारिज कर दिया। इस आदेश के विरुद्ध हम हाईकोर्ट में जाएंगे। एक हजार वर्ष से इस मंदिर पर लड़ाई चल रही है। हम इतनी जल्दी हार नहीं मानेंगे।

PTI

हिंदू पक्ष के वकील ने कहा हमने मांग की थी की पूर्व में जो ASI सर्वे हुआ था और जो आख्या फाइल की गई थी वह इस न्यायालय के आदेश दिनांक 8.4. 2021 के अनुपालन में नहीं था। 8.4. 2021 में न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से आदेश दिया गया था कि एएसआई पांच लोगों की एक टीम बनाएगी जिसमें एक अल्पसंख्यक वर्ग का व्यक्ति भी होगा और किसी सेंट्रल यूनिवर्सिटी से आर्कियोलॉजिकल सर्वे का एक्सपर्ट भी होगा। इन सभी लोगों के द्वारा मिलकर के सर्वे किया जाएगा। रिपोर्ट दी जाएगी जबकि पूर्व में जो रिपोर्ट दी गई है ASI के द्वारा वह केवल एएसआई ने सर्वे किया है इस तरह की टीम कोई बनी ही नहीं।

कोर्ट का आदेश 8.4. 2021 के आदेश का उल्लंघन- वकील, हिंदू पक्ष

हिंदू पक्ष के वकील ने बताया कि इसलिए 8.4.2021 का जो आदेश हुआ है जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने भी कंफर्म करते हुए इस न्यायालय को आदेश सूचित किया था कि यदि यदि पूर्व में एएसआई की आख्या को 8.4.2021 के आदेश के अनुरूप नहीं पाया गया तो तो एडिशनल सर्वे के लिए कोर्ट आदेश करेगी। इस आदेश का इस न्यायालय ने मेरे अभी तक जो संज्ञान में आया है उसका उल्लंघन किया है और यह आदेश गलत है।

सुप्रीम कोर्ट ने सील नहीं संरक्षण का आदेश दिया था- वकील, हिंदू पक्ष

हिंदू पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि वजू खाना माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश से सील नहीं किया गया है। उसे संरक्षित करने का आदेश दिया गया है और इस प्रकार संरक्षित करने से उसकी सील नहीं कर दिया जाएगा और एएसआई ने पूर्व में यही कह कर कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने उसे सील किया है इसलिए उसका सर्वे किया ही नहीं। तो पार्ट ऑफ प्रॉपर्टी का सर्वे हुआ ही नहीं और सुप्रीम कोर्ट का सील का आदेश भी कोई नहीं है।

कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे- वकील, हिंदू पक्ष

उन्होंने कहा कि दूसरी बात ये है कि जो सेंट्रल डोम है, जो बीच का गुंबद है वहीं उसी के नीचे स्वयंभू विश्वेश्वर का ज्योतिर्लिंग है, उसपर पूर्व के सर्वे में कोई खुदाई नहीं की गई थी। खुदाई करने से और जो सर्वे किया था जीपीआर सिस्टम लगा करके वह उसका सिग्नल केवल 5.8 मीटर तक ही नीचे तक का है, उसके नीचे मालवा और बड़े-बड़े पत्थर के मिले इसके कारण ASI उससे नीचे की रिपोर्ट नहीं दे सका। हमारी तरफ से यही मांग की गई थी कैसे बिल्डिंग को इस ढांचे को बिना नुकसान किए इससे हटकर के कुछ दूरी पर 4/4 का ट्रेंच खोदकर नीचे से उस सेंट्रल डम के नीचे पहुंचें और उसका विस्तृत सर्वे करें और उसकी रिपोर्ट न्यायालय में दे। लेकिन किन कारणों से न्यायालय द्वारा हमारा प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया। हम उन ग्राउंड्स को पड़ेंगे, देखेंगे और देख करके उच्च न्यायालय में इसके विरुद्ध अपील दाखिल करेंगे।

यह अभी हम कंसीडर करेंगे कि हमें जिला न्यायालय जाना है या उच्च न्यायालय जाना है। जिला न्यायालय जाने के लिए 30 दिन का समय है और उच्च न्यायालय जाने के लिए 90 दिन का समय है। 

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20:15 IST, October 25th 2024