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पब्लिश्ड 18:13 IST, December 16th 2024

'इन हाथों से पैसा मांगोगे, इसलिए हाथ काट डाला फिर गला...', संभल दंगों पर CM योगी ने विपक्ष को लताड़ा

... तब दंगाई कहते हैं कि तुम इन हाथों से पैसा मांगोगे इसलिए उनके हाथ काटे जाते हैं, फिर उनके पैर काटे जाते हैं और फिर उनका गला रेतकर उनकी हत्या की जाती है।

Reported by: Ravindra Singh
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संभल दंगों पर CM योगी ने विपक्ष को लताड़ा | Image: Youtube Video Grab UP Assembly

CM Yogi Attack Opposition Assembly on 1978 Sambhal Riots: सोमवार (16 दिसंबर) को उत्तर प्रदेश विधानसभा शीतकालीन सत्र में सीएम योगी ने संभल दंगों को लेकर विपक्ष को जमकर लताड़ा है। इस दौरान सीएम योगी ने संभल में हुए दंगों का इतिहास बताते हुए बताया कि कब-कब संभल में दंगे हुए और हर बार दंगों में कितने लोगों की मौत हुई। सीएम योगी जब दंगों की कहानी बयां कर रहे थे तो पूरे सन्नाटा छा गया था। संभल दंगों पर विपक्ष की हायतौबा को सीएम योगी ने घड़ियाली आंसू बताते हुए सवाल खड़ा किया कि आखिर इन निर्दोष हिन्दुओं की हत्या पर किसी भी सरकार ने कभी दो शब्द भी नहीं कहे। किसी ने उनके परिजनों से जाकर कभी उनको सांत्वना भी नहीं दी।

सीएम योगी ने इस दौरान संभल में साल 1947 से लेकर अब तक हुए दंगों में मारे गए लोगों की संख्या का जिक्र करते हुए 1978 के दंगों की वीभत्स कहानी को अपनी जुबानी सदन में बयां की। सीएम योगी ने आगे बताया, 'ये लोग जो आज घड़ियाली आंसू  बहा रहे हैं। महोदय 1978 में जो दंगा हुआ था वो किस प्रकार की स्थिति थी वहां पर एक वैश्य जिसने सबको उधार दे रखा था पैसा और इस बात को मानता था कि मैं तो सबको पैसा देता हूं। मेरे यहां तो सब व्यवसाय के साथ जुड़े हुए हैं। अगल-बगल के हिन्दू दंगा होने के बाद उनके घर में इकट्ठा होते हैं। इकट्ठा होने के बाद उनको घेर लिया जाता है। जब वो चारों तरफ से घिर जाते हैं तो कहते हैं कि भाई आप हमें क्यों घेर रहे हैं? तब दंगाई कहते हैं कि तुम इन हाथों से पैसा मांगोगे इसलिए उनके हाथ काटे जाते हैं, फिर उनके पैर काटे जाते हैं और फिर उनका गला रेतकर उनकी हत्या की जाती है।', ये लोग सौहार्द की बात करते हैं शर्म नहीं आती इन लोगों को सौहार्द के बारे में चर्चा करते हुए।


CM योगी ने बताया 1947 से लेकर अब तक संभल दंगों का इतिहास

सीएम योगी ने सदन में संभल में हुए साल 1947 के बाद से अब तक हुए दंगों का जिक्र करते हुए बताया, 'महोदय एक लंबा सिलसिला है इस संभल का और अगर मैं जब संभल की चर्चा करता हूं तो संभल में कैसे माहौल खराब किया गया वहां पर? संभल में दंगों का इतिहास 1947 से ही प्रारंभ होता है। 1947 में दंगों से एक मौत होती है, 1948 में 6 लोग दंगों में मारे जाते हैं। 1958 में और 1962 में भी दंगा होता है, 1976 में भी दंगे में 5 लोगों की मौत वहां पर हुई थी और 1978 में 184 हिन्दुओं को वहां पर सामूहिक रूप से जिंदा जला दिया गया था। 184 हिन्दुओं की हत्या हुई थी और जलाया भी गया था और लगातार वहां पर कई महीनों तक कर्फ्यू लगा हुआ था फिर 1980 में वहां पर दंगा हुआ था एक मौत हुई थी 1982 में फिर दंगा हुआ एक मौत हुई 1986 में फिर दंगा हुआ 4 लोग मारे गए 1990 में दंगा हुआ फिर 1992 में दंगे में 5 मौतें हुईं। 1996 में दो मौतें हुईं लगातार ये सिलसिला चलता रहा 1947 से लेकर अब तक। 209 हिन्दुओं की निर्मम हत्या हुई है संभल के अंदर और एक भी बार किसी भी सरकार ने उन निर्दोष हिन्दुओं के लिए दो शब्द भी नहीं कहे होंगे। उनके परिवारों के लिए किसी ने एक शब्द भी नहीं कहे।'


'1978 के दंगों में हुई थी 184 हिन्दुओं की हत्या, तब से बंद पड़ा था मंदिर'

सीएम योगी ने बताया कि सबसे बड़ा दंगा संभल में 1978 में हुआ था, जब 184 हिन्दुओं को एक साथ मार दिया गया था। इसी दौरान से 400 साल पुराना वो शिव मंदिर बंद पड़ा था जिसे सर्वे करने आई टीम ने ढूंढ कर निकाला है। 1978 से बंद पड़े मंदिर को आज तक खोलने नहीं दिया गया। क्या इस बीच और सरकारें नहीं आईं थीं। था वो मंदिर आज तक खोलने नहीं दिया इन लोगों ने जो वहां बजरंग बली का मंदिर निकल रहा है। वहां पर 22 कूएं किसने बंद किए थे? इन 22 कुओं को भी वहां पर बंद किया गया था और वहां का माहौल इतना तनावपूर्ण किसने बनाया? ये पत्थरबाज कौन थे? एक भी गिरफ्तारी बिना साक्ष्य के नहीं हो रही है और इतना याद रखना जिसने पत्थरबाजी की होगी, जिसने माहौल खराब किया होगा उसमें से एक भी बचने वाला नहीं है...  एक भी नहीं बचेगा।

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संभल में देसी बनाम विदेशी मुसलमानों के वर्चस्व की लड़ाई...

सीएम योगी ने आगे कहा कि 'संभल में जहां हिंसा हुई वहां देशी-विदेशी मुसलमानों में विवाद है। बाबरनामा में भी कहा गया है हरिमंदिर तोड़ा गया, संभल में ही कल्कि अवतार होगा। मैं आपसे पूछना चाहता हूं आप पश्चिम में जाएंगे कि पता नहीं आप कैसे हैं आपके पूर्वज भी हो सकता है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने संबोधन में राम-राम ही कहते हैं तो जय श्रीराम कहां से साम्प्रदायिक संबोधन हो गया? हमारे यहां हम जगते हैं तो राम-राम बोलते हैं, मिलते हैं राम-राम का संबोधन होता है और अंतिम यात्रा में जब विदा लेते हैं तब भी राम नाम सत्य ही बोलते हैं। राम के बगैर तो हमारा कोई काम ही नहीं है और अगर जय श्री राम किसी ने बोल ही दिया तो आप उस नियत को समझ सकते हैं ये कोई चिढ़ाने वाला नहीं है।'

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अपडेटेड 18:13 IST, December 16th 2024