Published 22:34 IST, December 21st 2024
स्पैडेक्स मिशन के तहत प्रक्षेपण यान पहले गया लांचिंग पैड के लिए, ISRO ने दी जानकारी
भारत के ‘स्पैडेक्स’ मिशन के प्रक्षेपण यान को एकीकृत कर दिया गया है और इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले ‘लांचिंग पैड’ पर ले जाया गया है।
भारत के ‘स्पैडेक्स’ मिशन के प्रक्षेपण यान को एकीकृत कर दिया गया है और इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले ‘लांचिंग पैड’ पर ले जाया गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को यह जानकारी दी। इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यान को ‘डॉक’ (एक यान से दूसरे यान के जुड़ने)करने और ‘अनडॉक’(अंतरिक्ष में जुड़े दो यानों के अलग होने) करने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी का विकास और प्रदर्शन करना है।
इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा
इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “ प्रक्षेपण यान को एकीकृत कर दिया गया है और अब उपग्रहों को इसपर स्थापित करने तथा प्रक्षेपण की तैयारियों के लिए इसे पहले ‘लांचिंग पैड’ पर ले जाया गया है।”
इसरो के मुताबिक,‘स्पैडेक्स’ मिशन, पीएसएलवी द्वारा प्रक्षेपित दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके ‘अंतरिक्ष में डॉकिंग’ के प्रदर्शन के लिए लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है।
इसरो ने कहा कि यह प्रौद्योगिकी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं जैसे कि चंद्रमा पर भारत का अभियान, चंद्रमा से नमूने वापस लाना, भारतीय अंतरिक्ष केंद्र(बीएएस) का निर्माण और संचालन के लिए आवश्यक है।
अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकी की तब जरूरत होती है जब साझा मिशन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपित करने की जरूरत होती है। इस मिशन में सफलता मिलने पर भारत अंतरिक्ष ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकी प्राप्त करने वाला दुनिया का चौथा देश बनने की ओर अग्रसर होगा।
इसरो के मुताबिक स्पैडेक्स मिशन के तहत दो छोटे अंतरिक्ष यान (प्रत्येक का वजन लगभग 220 किग्रा) पीएसएलवी-सी60 द्वारा स्वतंत्र रूप से और एक साथ, 55 डिग्री झुकाव पर 470 किमी वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित किये जाएंगे, जिसका स्थानीय समय चक्र लगभग 66 दिन का होगा।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Updated 22:34 IST, December 21st 2024