पब्लिश्ड 18:09 IST, January 25th 2025
तारीख का हो गया ऐलान, इस दिन उत्तराखंड में लागू होगा UCC; शादी-तलाक सहित इन नियमों में होगा बड़ा बदलाव
UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर इंतजार खत्म होने वाला है। 27 जनवरी से राज्य में समान नागरिक सहिंता लागू हो जाएगी।
UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर इंतजार खत्म होने वाला है। 27 जनवरी से राज्य में समान नागरिक सहिंता लागू हो जाएगी। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सचिव शैलेश बगोली ने दी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि जनवरी महीने में कभी भी UCC लागू हो जाएगी। सीएम धामी ने साल 2022 के चुनावों में राज्य में यूसीसी लागू करने का वादा किया था।
उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद विवाह, तलाक, भरण-पोषण, संपत्ति के अधिकार, गोद लेने और विरासत जैसे कई चीजों में बदलाव हो जाएगा। UCC सभी के लिए एक समान कानून है, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, संप्रदाय का हो। UCC लागू होने के बाद उत्तराखंड में क्या होंगे बदलाव एक नजर डालते हैं।
UCC लागू होने के बाद उत्तराखंड में होने वाले बदलावों पर एक नजर...
- जाति, धर्म या संप्रदाय से परे तलाक के लिए एक समान कानून होगा फिलहाल देश में हर मजहब के लोग अपने पर्सनल लॉ के जरिए इन मामलों को सुलझाते हैं, वहीं, हलाला और इद्दत की प्रथाएं बंद होंगी।
- लड़कियों को लड़कों के बराबर विरासत में हिस्सा मिलेगा।
- लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर कराना होगा।
- लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे को भी शादीशुदा जोड़े के बच्चे के समान अधिकार मिलेंगे।
- आधार कार्ड अनिवार्य होगा।
- 18 से 21 साल की उम्र के जोड़ों को माता-पिता का सहमति पत्र देना होगा।
- बहुविवाह पर रोक लगेगी।
- लड़कियों की शादी की उम्र, चाहे वे किसी भी जाति या धर्म की हों, 18 साल होगी।
- सभी मजहब को बच्चे गोद लेने का अधिकार मिलेगा, लेकिन दूसरे मजहब के बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकेगा।
समान नागरिक संहिता के इस मसौदे में अनुसूचित जनजातियों को पूरी तरह से बाहर रखा गया है। ट्रांसजेंडर, पूजा पद्धति, परंपराओं जैसे धार्मिक मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया है, विवाह पंजीकरण अनिवार्य होगा। ग्राम सभा स्तर पर भी पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध होगी।
मुख्य प्रावधान और उद्देश्य
- इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य विवाह संबंधी कानूनी प्रक्रियाओं को सरल, सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाना है। यह कानून व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है।
विवाह के लिए पात्रता:
- दोनों पक्षों में से किसी के पास जीवित जीवनसाथी नहीं होना चाहिए।
- दोनों मानसिक रूप से स्वस्थ और विवाह की अनुमति देने में सक्षम हों।
- पुरुष की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और महिला की 18 वर्ष होनी चाहिए।
- दोनों पक्षकार निषिद्ध संबंधों की परिधि में न हों।
विवाह पंजीकरण की अनिवार्यता:
- अधिनियम लागू होने के बाद, विवाह का पंजीकरण 60 दिनों के भीतर अनिवार्य होगा।
- 26 मार्च 2010 से अधिनियम लागू होने तक हुए विवाहों का पंजीकरण 6 महीने के भीतर करना होगा।
- 26 मार्च 2010 से पहले हुए विवाह, यदि सभी कानूनी योग्यताओं को पूरा करते हैं, तो वे भी (हालांकि अनिवार्य नहीं है) पंजीकरण कर सकते हैं।
- पूर्व में नियमानुसार पंजीकरण करा चुके व्यक्तियों को दोबारा पंजीकरण कराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उन्हें अभिस्वीकृति (Acknowledgement) देनी होगी।
पंजीकरण प्रक्रिया:
- विवाह पंजीकरण ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से किया जा सकेगा।
- आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर उप-निबंधक को निर्णय लेना अनिवार्य है।
- 15 दिनों के भीतर निर्णय न होने पर आवेदन स्वतः निबंधक को अग्रेषित होगा।
- अभिस्वीकृति से संबंधित आवेदन 15 दिनों के पश्चात स्वतः स्वीकृत माना जाएगा।
पारदर्शी अपील प्रक्रिया:
- आवेदन अस्वीकृत होने पर पारदर्शी अपील प्रक्रिया उपलब्ध है।
- मिथ्या विवरण देने पर दंड का प्रावधान है।
- पंजीकरण न होने का प्रभाव:
- पंजीकरण न होने मात्र से विवाह अमान्य नहीं माना जाएगा।
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अपडेटेड 19:00 IST, January 25th 2025