पब्लिश्ड 15:54 IST, July 1st 2024
3 नए क्रिमिनल लॉ पर विपक्ष क्यों भड़का? डिंपल यादव बोलीं- ये देशवासियों पर शिकंजा कसने की तैयारी
नए आपराधिक कानून आज से लागू हो चुके हैं। डिंपल यादव कहती हैं कि ये कानून बहुत गलत तरीके से संसद में पास किए गए। इन कानूनों पर कोई चर्चा नहीं हुई।
New Criminal Laws: देश में नए आपराधिक कानूनों को लागू हुए एक दिन भी नहीं बीता है कि विपक्ष सवाल खड़े करने लगा है। कांग्रेस हो या समाजवादी पार्टी, बारी-बारी से बीजेपी विरोधी दलों ने कानूनों पर उंगली उठाई है। समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव कहती हैं कि ये कानून पूरे देशवासियों पर शिकंजा कसने की तैयारी है।
पिछले साल दिसंबर में संसद ने तीन आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) पास किया। कानूनों को 21 दिसंबर 2023 को संसद की मंजूरी मिली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर 2023 को अपनी मुहर लगाई थी। देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलने वाले कदम के तहत तीनों नए आपराधिक कानून आज से लागू हो चुके हैं। हालांकि सपा सांसद डिंपल यादव कहती हैं कि ये कानून बहुत गलत तरीके से संसद में पास किए गए हैं। इन कानूनों पर कोई चर्चा नहीं हुई। अगर कोई विदेशों में भी अपने अधिकारों को लेकर विरोध करता है तो उन पर भी ये कानून लागू होंगे। कहीं ना कहीं ये कानून पूरे देशवासियों पर शिकंजा कसने की तैयारी है।
संसद में दोबारा रखे जाएं नए कानून- मनीष तिवारी
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सोमवार को लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव देकर तीन नए आपराधिक कानूनों पर चर्चा की मांग की। कांग्रेस सांसद ने कहा कि तीन नए आपराधिक कानून लोकसभा में उस समय पारित किए गए जब संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा से 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था, जबकि वे 13 दिसंबर, 2023 को लोकसभा में हुई सुरक्षा चूक के लिए जवाबदेही की मांग कर रहे थे। नोटिस में तिवारी ने कहा, 'ये तीन नए कानून देश के पूरे आपराधिक न्यायतंत्र को खत्म करने जा रहे हैं, जो अब स्थापित हो चुका है और एक सदी से भी अधिक समय से स्थिर है।
मनीष तिवारी ने कहा कि ये कानून इस देश में पुलिस राज की स्थापना करेंगे। ये आज से दो समानांतर फौजदारी की प्रणालियों को जन्म देंगे। 30 जून 2024 की रात 12 बजे तक जो फौजदारी के मुकदमे लिखे गए हैं और अदालतों के संज्ञान में हैं उन पर पुराने कानूनों के तहत कार्रवाई होगी। और जो मामले 30 जून के बाद दर्ज किए जाएंगे, उसमें नए कानून के तहत कार्रवाई होगी। भारत की जो न्यायिक प्रणाली है, उसमें 3.4 करोड़ मामले लंबित हैं, जिसमें से अधिकतर फौजदारी के मुकदमे हैं। इसलिए इससे एक बहुत बड़ा संकट आने वाला है। इन कानूनों को संसद के समक्ष दोबारा रखकर एक संयुक्त संसदीय समिति के सामने भेजने के बाद फिर क्रियान्वयन के लिए भेजा जाना चाहिए।
विपक्ष से उलट किरण बेदी की राय
विपक्ष से उलट पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल और पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी की राय है। किरण बेदी कहती हैं कि मुझे इससे सबसे बड़ा लाभ ये दिख रहा है कि इससे पुलिस की जवाबदेही, पारदर्शिता, टेक्नोलॉजी, पीड़ितों के अधिकार, अदालतों में त्वरित सुनवाई, अभियुक्तों के अधिकारों के लिए फिर से प्रशिक्षण मिल रहा है। सबसे ज्यादा टेक्नोलॉजी का रेजोल्यूशन हो रहा है, क्योंकि अब FIR टेक्नोलॉजिकल हो जाएंगी और चार्जशीट टेक्नोलॉजी हो जाएंगी।
अपडेटेड 15:54 IST, July 1st 2024