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Published 14:28 IST, November 3rd 2024

नींद की कमी से बढ़ रहा हादसों का खतरा, ट्रक चालकों की नियमित ‘स्लीप स्क्रीनिंग’ हो

ट्रक चालकों की अधूरी नींद से सड़क हादसों का खतरा बढ़ने का हवाला देते हुए चिकित्सकों के एक संगठन ने देश में इन चालकों की हर दो साल में नियमित ‘स्लीप स्क्रीनिंग’ (नींद से जुड़ी बीमारियों का पता लगाने के लिए की जाने वाली स्वास्थ्य जांच) की व्यवस्था शुरू किए जाने का सुझाव दिया है।

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 risk of accidents increasing due to lack of sleep should be regular sleep screening of truck drivers
risk of accidents increasing due to lack of sleep should be regular sleep screening of truck drivers | Image: ANI

ट्रक चालकों की अधूरी नींद से सड़क हादसों का खतरा बढ़ने का हवाला देते हुए चिकित्सकों के एक संगठन ने देश में इन चालकों की हर दो साल में नियमित ‘स्लीप स्क्रीनिंग’ (नींद से जुड़ी बीमारियों का पता लगाने के लिए की जाने वाली स्वास्थ्य जांच) की व्यवस्था शुरू किए जाने का सुझाव दिया है।

‘साउथ ईस्ट एशियन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन’ के अध्यक्ष डॉ. राजेश स्वर्णकार ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ट्रक चालकों की नींद में कमी से सड़क हादसों का खतरा बढ़ रहा है। इसके मद्देनजर क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) को ट्रक चालकों से हर दो साल में फॉर्म भरवाकर पूछना चाहिए कि उनका शरीर द्रव्यमान सूचकांक (बीएमआई) कितना है, क्या उन्हें दिन में नींद आती है और क्या वह रात में सोते वक्त खर्राटे भरते हैं?’’

उन्होंने कहा कि इन सवालों के जवाबों के विश्लेषण और चिकित्सकीय जांच से पता लगाया जा सकता है कि ट्रक चालकों को ‘स्लीप एपनिया’ और नींद से जुड़ी दूसरी बीमारियां तो नहीं हैं। स्वर्णकार ने एक अनुमान के हवाले से कहा कि अगर ट्रक चालक काम के दौरान हर दिन सात से आठ घंटे की नींद लेते हैं, तो सड़क हादसों का खतरा 43 प्रतिशत तक कम हो सकता है।

इंदौर के ट्रांसपोर्ट नगर में अपने ट्रक को लंबे सफर के लिए तैयार कर रहे चालक धर्मेंद्र शर्मा बताते हैं कि काम के दौरान वह दिनभर में केवल दो से चार घंटे सो पाते हैं जिससे उनके शरीर में सुस्ती बनी रहती है और एकाग्रता पर भी असर पड़ता है। ट्रांसपोर्ट नगर के कुछ अन्य ट्रक चालकों से बात करने पर पता लगा कि वे भी नींद की इन्हीं दिक्कतों से जूझ रहे हैं।

चालकों के मुताबिक यातायात जाम और टोल नाकों की कतारों के बीच उन पर माल को जल्द से जल्द गंतव्य तक पहुंचाने का दबाव रहता है और सड़क किनारे ट्रक खड़ा करके सोने पर उन्हें गाड़ी से डीजल, कल-पुर्जे और माल चोरी हो जाने का डर सताता रहता है, नतीजतन वे काम के दौरान पूरी नींद नहीं ले पाते।

इस बीच, ट्रांसपोर्टरों के प्रमुख संगठन ‘ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस’ की राष्ट्रीय आरटीओ और परिवहन समिति के अध्यक्ष सीएल मुकाती ने ट्रक चालकों की ‘स्लीप स्क्रीनिंग’ के विचार का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग को अस्पतालों को अधिकृत करके ट्रक चालकों की नियमित स्वास्थ्य जांच और ‘स्लीप स्क्रीनिंग’ करानी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई चालक इस जांच में नींद से जुड़ी किसी बीमारी का मरीज पाया जाता है, तो उसका मुफ्त इलाज कराया जाना चाहिए। सरकार चाहे, तो हमारा संगठन इसके लिए कोष भी मुहैया करा सकता है।’’

मुकाती ने कहा कि चालकों के काम करने के घंटे भी तय किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को राजमार्गों पर हर 200 किलोमीटर पर ट्रक चालकों के लिए विश्राम गृह बनाने चाहिए ताकि वे निश्चिंत होकर अपनी नींद पूरी कर सकें।’’

Updated 14:28 IST, November 3rd 2024