पब्लिश्ड 19:32 IST, August 22nd 2024
निर्भया से अभया तक... रेप पीड़िता का क्यों लिखते हैं काल्पनिक नाम, उजागर हुआ तो कितनी मिलेगी सजा?
Supreme Court ने रेप पीडित का नाम, फोटो और वीडियो को सोशल मीडिया से हटाने का आदेश दिया है। क्या किसी रेप पीड़ित की पहचान उजाकर करने पर सजा हो सकती है?
Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता के आरजी कर कॉलेज और अस्पताल में हुए महिला डॉक्टर के रेप और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त है। मंगलवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार और पुलिस को फटकार लगाई और कई अहम बातें कहीं। कोर्ट ने डॉक्टर के फोटो और वीडियो को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने का आदेश दिया। सोशल मीडिया पर पीड़ित की तस्वीर वायरल हो गई थी, जिसपर कोर्ट ने फटकार लगाते हुए इसे हटाने के लिए कहा।
CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पीड़ित की पहचान का खुलासा निपुण सक्सेना मामले में पारित उसके आदेश का उल्लंघन है। शीर्ष अदालत पीड़ित की पहचान का सोशल मीडिया पर खुलासा किये जाने के खिलाफ वकील किन्नोरी घोष और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हालांकि यह पहली बार नहीं जब रेप पीड़ित की पहचान उजागर की गई है। इससे पहले यूपी के हाथरस केस में भी पीड़ित की पहचान सार्वजिनक कर दी गई थी। तब भी कोर्ट ने सख्ती के साथ कहा था कि मौत के बाद भी गरिमा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता।
लिखा जाता है काल्पनिक नाम
रेप के मामलों में खबर को लिखते समय भी विशेष ध्यान रखा जाता है। कोर्ट ने रेप पीड़ित और परिवार की पहचान को पूरी तरह से गुफ्त रखने के आदेश दिए हैं। साल 2012 में दिल्ली में हुए गैंगरेप पीड़ित की पहचान को भी छुपाया गया था। पीड़ित को असल नाम की जगह 'निर्भया' नाम दिया गया था। कोलकाता कांड में पीड़ित को 'अभया' काल्पनिक नाम दिया गया था। ऐसा इसलिए किया जाता है कि रेप पीड़ित की पहचान जाहिर ना हो।
पहचान उजागर करने पर कितनी सजा?
3 जजों की पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा था कि 'पीड़ित के शव की तस्वीरों और वीडियो क्लिप को सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। हम निर्देश देते हैं कि पीडित का नाम, फोटो और वीडियो क्लिप को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से तुरंत हटाया जाए। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या किसी रेप पीड़ित का नाम और तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर करने पर सजा का प्रावधान है या नहीं?
भारतीय न्याय संहिता (BNS) के सेक्शन 72 के तहत ऐसे मामलों में सजा का प्रावधान है। अगर कोई भी शख्स रेप पीड़ित की तस्वीर या पहचान सार्वजनिक करता है, तो उसे दो साल तक की सजा हो सकती है। पीड़ित की पहचान उजागर करना, तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करना, न्यूजपेपर और टीवी पर दिखाना ये सब अपराध माना जाता है। किसी रेप पीड़ित की तस्वीर शेयर करना किशोर न्याय कानून, 2015 के प्रावधान का भी उल्लंघन है।
निपुण सक्सेना मामले का दिया हवाला
शीर्ष अदालत ने कहा कि 'तस्वीरें और वीडियो क्लिप मीडिया में है। यह बेहद चिंताजनक है। हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मान्यता देते हैं, लेकिन इसके लिए बखूबी स्थापित मापदंड भी है। निपुण सक्सेना जैसे न्यायालय के निर्णय हैं कि यौन उत्पीड़न पीड़ितों के नाम प्रकाशित नहीं किए जाएंगे।' निपुण सक्सेना मामले में, 2018 के अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा था- 'कोई भी व्यक्ति प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल मीडिया आदि में पीड़ित का नाम छाप या प्रकाशित नहीं कर सकता। यहां तक कि अन्य तरीके से भी ऐसे किसी तथ्य का खुलासा नहीं कर सकता, जिससे पीड़ित की पहचान का खुलासा होता हो और जिससे उसकी पहचान व्यापक स्तर पर लोगों को पता चल जाए।'
एक गिरफ्तार, 60 को समन जारी
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। उसकी पहचान सोशल मीडिया पर उजागर करने और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को धमकी देने के आरोप में कोलकाता में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी ने घटना से संबंधित तीन खबरें अपलोड की हैं, जिनमें पीड़ित की तस्वीर और पहचान का खुलासा किया गया है।
इसके अलावा कोलकाता पुलिस ने महिला डॉक्टर की पहचान उजागर करने और अफवाह फैलाने के आरोप में भारतीय जतना पार्टी की पूर्व सांसद लॉकेट चटर्जी और दो प्रसिद्ध चिकित्सकों को समन जारी किए हैं। इन तीन लोगों के अलावा पुलिस ने घटना के बारे में गलत सूचना फैलाने के आरोप में 57 अन्य लोगों को भी समन जारी किया है।
(भाषा इनपुट के साथ रिपब्लिक भारत डेस्क)
अपडेटेड 19:32 IST, August 22nd 2024