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पब्लिश्ड 11:12 IST, January 26th 2025

Republic Day 2025: राष्ट्रपति की बग्गी एक विशेष गाड़ी, पाकिस्तान से टॉस से भारत को मिली, क्या है इतिहास-महत्व और खासियतें

गणतंत्र दिवस परेड में राष्ट्रपति की बग्गी एक ऐसी चीज है जो सबका ध्यान खींचती है। यह सिर्फ एक गाड़ी नहीं है, बल्कि भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक प्रतीक है।

Reported by: Digital Desk
Edited by: Dalchand Kumar
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Presidential buggy
Presidential buggy | Image: Video Grab

Republic Day 2025: राष्ट्रपति भवन से बग्गी में बैठकर प्रेसिंडेट द्रौपदी मुर्मू कर्तव्य पथ के लिए निकलीं। हर बार गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति की बग्गी चर्चा का विषय बनती रही है। वो इसलिए भी कि राष्ट्रपति की बग्गी बहुत ही खास और ऐतिहासिक है। ये बग्गी अपने आप में भारत के राष्ट्रीय प्रतीक और स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को दर्शाती है। फिलहाल राष्ट्रपति मुर्मू इस बग्गी में गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो के साथ बैठकर कार्यक्रम स्थल जा चुकी हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पहुंचने के बाद कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस कार्यक्रम की शुरुआत हो चुकी है। तिरंगा फहराने और फिर राष्ट्रगान के बाद समारोह शुरू हुआ। फिलहाल यहां बात राष्ट्रपति की बग्गी की करते हैं, जो 1940 के दशक में बनाई गई थी। बग्गी में कई विशेषताएं हैं, जो इसे अन्य वाहनों से अलग बनाती हैं।

राष्ट्रपति की बग्गी, एक विशेष गाड़ी

गणतंत्र दिवस परेड में राष्ट्रपति की बग्गी एक ऐसी चीज है जो सबका ध्यान खींचती है। यह सिर्फ एक गाड़ी नहीं है, बल्कि भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक प्रतीक है। इसमें भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेताओं के साथ जुड़ी यादें हैं। ये बग्गी पहली बार 1950 में गणतंत्र दिवस समारोह में इस्तेमाल की गई थी, जब भारत ने अपना पहला गणतंत्र दिवस मनाया था।

राष्ट्रपति की बग्गी का इतिहास और महत्व

टॉस जीतकर भारत को बग्गी: ब्रिटिश राज के दौरान वाइसरॉय की ये बग्गी आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का हिस्सा बनी। आखिर में टॉस के जरिए फैसला हुआ और भारत के हिस्से में ये बग्गी आई।

ब्रिटिश शासन का अवशेष: ये बग्गी ब्रिटिश शासन काल की याद दिलाती है। उस समय अंग्रेज अधिकारी इसी तरह की बग्गी में सवार होकर घूमते थे।

भारतीय संस्कृति का मिश्रण: भले इसका निर्माण ब्रिटिश काल में हुआ, लेकिन इस बग्गी को भारतीय शिल्पकारों ने भारतीय संस्कृति के अनुरूप बनाया। इसमें भारतीय कला और शिल्प के तत्व देखने को मिलते हैं।

राष्ट्रपति का प्रतीक: अब ये बग्गी भारत के राष्ट्रपति का प्रतीक बन चुकी है। ये राष्ट्रपति की शक्ति और गरिमा का प्रतीक है। इसमें राष्ट्रपति के ध्वज और राष्ट्रीय प्रतीक के अन्य चिन्ह होते हैं।

परंपरा: गणतंत्र दिवस परेड में राष्ट्रपति की बग्गी में बैठकर राष्ट्रपति देशवासियों को संदेश देते हैं। ये एक लंबी परंपरा है जो आज भी जारी है।

राष्ट्रपति की बग्गी की खासियतें

ये बग्गी विशेष रूप से राष्ट्रपति के लिए डिजाइन की गई। इस पर भारतीय कला और शिल्प के नमूने उकेरे गए। बग्गी के अंदरूनी हिस्से में लाल मखमल पर अशोक चक्र उकेरा गया। इसमें कई विशेष सुविधाएं हैं। ये बग्गी इतनी बड़ी है कि इसमें राष्ट्रपति के अलावा अन्य अतिथि भी बैठ सकते हैं। ये बग्गी पूरी तरह से सुरक्षित होती है और इसमें राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए सभी तरह के इंतजाम किए जाते हैं। 6 घोड़े इस बग्गी को खींचते हैं। राष्ट्रपति की बग्गी के दोनों ओर सुरक्षाकर्मियों का दस्ता चलता है, जो घोड़ों पर सवार रहता है।

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अपडेटेड 12:26 IST, January 26th 2025