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Published 23:52 IST, January 21st 2024

भारत ही नहीं, इन देशों में भी लोकप्रिय है रामगाथा... जानिए दुनियाभर में कैसे मशहूर हुई 'रामायण'

Ramayana Ram News: राम गाथा भारत ही नहीं, अफ्रीका, कैरिबियन, अमेरिका सहित दुनिया के विभिन्न देशों में मशहूर है। सवाल ये है कि रामायण इन देशों तक कैसे पहुंची?

Reported by: Kunal Verma
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Ramayana in World
दुनियाभर में कैसे मशहूर हुई 'रामायण'? | Image: Pixabay

Ramayana Ram News: सदियों से भारत में रामायण की गाथा सुनी और पढ़ी जा रही है। हालांकि, रामायण की कथा न सिर्फ भारत के अलौकिक इतिहास का, बल्कि इस बात का भी प्रमाण है कि कैसे भारतीयों ने समृद्ध व्यापारियों के रूप में, प्रचारकों के रूप में और मजदूरों के रूप में भी दुनिया भर की यात्रा की।

आपको बता दें कि कॉमन सेंचुरी के कुछ वर्षों तक थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस, चीन, तिब्बत में राम गाथा प्रचलित हुई थी और उसके बाद 19वीं शताब्दी तक रामायण का प्रचार-प्रसार अफ्रीका, कैरिबियन और ओशिआनिया जैसे देशों में भी हुआ।

एशिया में कैसे मशहूर हुई रामायण?

इतिहासकार संतोष एन देसाई ने साल 1969 में लिखा था कि भारत से एशिया के अन्य देशों तक रामायण का प्रचार-प्रसार क्रिश्चियन एरा के दौरान हुआ। इस दौरान तीन तरह से रामगाथा एशिया के अन्य देशों तक पहुंची। जमीन के रास्ते से पंजाब और कश्मीर के जरिए चीन, तिब्बत और पूर्वी तुर्किस्तान तक पहुंची, समुद्र रास्ते से गुजरात और साउथ इंडिया के जरिए जावा, सुमात्रा और मलाया तक पहुंची और फिर जमीन के रास्ते बंगाल से बर्मा, थाईलैंड और लाओस तक पहुंची।

आपको बता दें कि थाईलैंड में रामगाथा को रामकियेन के नाम से जाना जाता है। वर्तमान राजा चक्री वंश के हैं, जिनके सभी शासकों के नाम राम के नाम पर हैं। वहां के वर्तमान संवैधानिक सम्राट वजिरालोंगकोर्न को राम एक्स कहा जाता है।

एशिया के बाहर कैसे पहुंची रामायण?

19वीं सदी में अफ्रीका और कैरिबियन देशों तक रामायण का प्रचार हुआ। इसका मूल कारण इन देशों में भारतीय मजदूरों के माइग्रेशन को बताया जाता है। इतिहासकार बताते हैं कि ब्रिटिश काल में फिजी, मॉरीशस जैसे देशों में मजदूरों की भारी कमी को पूरा करने के लिए अंग्रेजों ने हजारों की संख्या में लोगों को एक्सपोर्ट किया। इसके लिए एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए। इनमें ज्यादातर मजदूर बिहार और उत्तर प्रदेश के थे। बताया जाता है कि ये मजदूर अपने साथ ज्यादा कुछ तो नहीं ले जा सके, लेकिन अपना धर्म और अपनी संस्कृति का खूब प्रचार किया। इस दौरान इस संस्कृति का एक बड़ा हिस्सा तुलसीदास का रामचरितमानस था, जो अवधी में लिखा गया था। 

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Updated 23:52 IST, January 21st 2024