Published 20:08 IST, December 28th 2024
Rajasthan: 6 दिन से बोरवेल में फंसी चेतना, बेबस मां ने पूछा- किसी कलेक्टर की बेटी होती तो क्या होता?
समय बीतने के साथ ही चेतना के स्वस्थ बचे होने की उम्मीद लगातार कम होती जा रही है। क्योंकि बचाव दल उसे खाने-पीने का कोई सामान उपलब्ध नहीं करवा पाया रहा है।
Rajasthan Borewell Accident: राजस्थान के कोटपूतली में तीन साल की चेतना 6 दिन से बोरवेल में फंसी है। उसने ना कुछ खाया है और ना ही कुछ पिया है। हर गुजरती मिनट के साथ चेतना की मां के सब्र का बांध टूट रहा है। मां ने प्रशासन से सवाल पूछा है कि 'अगर वह कलेक्टर मैडम की बेटी होती, तो क्या वह उसे इतने लंबे समय तक वहां रहने देतीं?’
खुले बोरवेल में गिरी तीन साल की बच्ची को बचाने के लिए शनिवार को भी अभियान जारी रहा। हालांकि, समय बीतने के साथ उसे सुरक्षित निकाल पाने की उम्मीद धूमिल होती जा रही हैं। बचाव दल बच्ची को खाना या पानी भी नहीं भेज पा रहा है। जब से चेतना बोरवेल में गिरी है तब से उसकी दुखी मां धोली देवी ने भी कुछ भी नहीं खाया है। उन्होंने कहा-
'मेरी बेटी को कुएं में 6 दिन हो गए हैं। वह भूख और प्यास से तड़प रही है। उसे अभी तक बाहर नहीं निकाला गया है। अगर वह कलेक्टर मैडम की बच्ची होती तो क्या वह उसे इतने लंबे समय तक वहां रहने देतीं? कृपया मेरी बेटी को जल्द से जल्द बाहर निकालें।'
'मेरी बच्ची को बचा लो...'
राजस्थान के कोटपूतली जिले की बडीयाली ढाणी में तीन साल की चेतना 23 दिसंबर को खेत में खेलते समय खुले बोरवेल में गिर गई थी। बच्ची की मां धोली देवी बचाव दल में शामिल कर्मचारियों से उसकी बेटी को बाहर निकालने की लगातार गुहार कर रही है। बच्ची की मां रोते हुए और हाथ जोड़कर बेटी को बाहर निकालने के लिये गुहार लगा रही हैं। स्थानीय पुलिस और प्रशासन की मदद से राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) की टीम बचाव अभियान चला रही हैं।
सुरंग खोदने के लिए कुएं में उतरी टीम
बचाव अभियान में लगी टीम ने पहले लोहे के छल्ले की मदद से बच्ची को बोरवेल से निकालने की कोशिश की, लेकिन सभी प्रयास विफल रहे। दो दिन तक लगातार प्रयास करने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद बुधवार सुबह मौके पर पाइलिंग मशीन लाई गई और समानांतर गड्ढा खोदा गया। शुक्रवार को बारिश के कारण बचाव अभियान बाधित हुआ और आज दो सदस्यीय टीम सुरंग खोदने के लिए कुएं में उतरी है।
NDRF के जवान कर रहे मैन्युअल ड्रिलिंग
जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने बताया कि 'बोरवेल के पास समानांतर गड्ढा खोदकर एल आकार की सुरंग के जरिए चेतना तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। गड्ढे में उतरे NDRF के दो जवान मैन्युअल ड्रिलिंग कर रहे हैं। हम उन्हें कैमरे पर देख रहे हैं। वे नीचे से जो उपकरण मांग रहे हैं, उन्हें भेजा जा रहा है।'
हर मिनट टूट रही आस
यह अलग बात है कि समय बीतने के साथ बच्ची के स्वस्थ बचे होने की उम्मीद लगातार कम होती जा रही है। क्योंकि बचाव दल उसे खाने पीने का कोई सामान उपलब्ध नहीं करवा पाया है। डॉक्टरों की एक टीम एम्बुलेंस के साथ मौके पर है। जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल और दूसरे प्रशासनिक अधिकारी स्थिति पर नजर रख रहे हैं।
आपको बतादें कि दो हफ्ते पहले, राजस्थान के दौसा जिले में भी ऐसा ही हादसा हुआ था। पांच साल का एक बच्चा बोरवेल में गिर गया था और बचाव अभियान 55 घंटे से अधिक चला था। हालांकि जब तक उसे बाहर निकाला गया तब तक वह जिंदगी की जंग हार चुका था।
(भाषा इनपुट के साथ रिपब्लिक भारत डेस्क)
Updated 20:08 IST, December 28th 2024