पब्लिश्ड 12:02 IST, December 20th 2024
EXCLUSIVE/ भारतीय कला की ताकत...सोनल मानसिंह ने बताया वो किस्सा, जब अर्जेंटीना में कार्डिनल्स हो गए थे नतमस्तक
सोनल मानसिंह ने भारतीय कला की प्रशंसा की है। उन्होंने अपने अनुभव साझा किए और इस दौरान 1997 का अर्जेंटीना के कार्यक्रम का किस्सा सुनाया।
Padma Vibhushan Sonal Mansingh: मशहूर नृत्यांगना पद्मविभूषण सोनल मानसिंह ने भारतीय कला की प्रशंसा की है। 90 से ज्यादा देशों तक सोनल मानसिंह खुद भारत की कला और संस्कृति का प्रसार प्रचार कर चुकी हैं। रिपब्लिक भारत के मंच पर सोनल मानसिंह ने कहा कि भारत की जो कला है, वो हमारा USB है।
पद्मविभूषण सोनल मानसिंह शुक्रवार को रिपब्लिक भारत के साहित्य, सुर और शक्ति' पर आयोजित 'संगम' कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान जब उनसे पूछा गया कि दुनिया में भारत को देखने का नजरिया कितना बदला है? इसको लेकर सोनल मानसिंह ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने 1997 के अपने अर्जेंटीना के कार्यक्रम का उदाहरण भी दिया।
सोनल मानसिंह ने सुनाया किस्सा
अपना किस्सा बताते हुए सोलन मानसिंह ने कहा कि 1997 में अर्जेटीना में उनका कार्यक्रम था। वहां के सबसे बड़े थिएटर में आखिरी प्रस्तुति दी थी। केरल के वल्लतोल नारायण मेनन की मगदलाना मरियम कविता थी, उसको मैंने अपने तरीके से प्रस्तुत किया था। उस कार्यक्रम के बाद जब मैं अपने ग्रीन रूम में गई। भारत के राजदूत समेत कई बड़े लोग वहां मौजूद थे। 8 कार्डिनल्स वहां आए थे और अपने घुटनों पर बैठ गए थे और मेरे हाथ चूमने लगे थे। उनकी आंखों में आंसू थे। उन्होंने मुझसे कहा कि मैंने क्राइस्ट को देखा। उन्होंने फिर मुझसे पूछा कि क्या मैं क्रिश्चिन हूं। मैंने जवाब दिया कि मैं हिंदू हूं। उन्होंने फिर से सवाल किया था कि आप क्रिश्चिन नहीं हैं तो आपने ये कैसे कर दिया, तब मैंने उन्हें समझाया।
भारत की जो कला है, वो हमारा USB - सोलन मानसिंह
भारत की कला की लेकर सोलन मानसिंह ने कहा कि सिर्फ 90 देशों की बात नहीं है। सूडान से लेकर, अफ्रीका के देशों से लेकर पूरी दुनिया में भारत की हमारी कला ऐसी है कि वो हर किसी के हृदय में स्थापित हो जाती है। वो हर जगह अपने बीज छोड़ जाती है, जो अंकुरित होते रहते हैं। ये कला बेजोड़ है, अनूठी है और ये दुनिया में हमारा यूएसबी है। भारत की जो कला है, वो हमारा USB है।
अपडेटेड 12:21 IST, December 20th 2024