पब्लिश्ड 11:21 IST, August 14th 2024
आजादी के जश्न से क्यों गायब थे महात्मा गांधी,15 अगस्त की तारीख तय होने की कहानी 10 प्वाइंट में समझें
15th August Short Story: जब पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा था, तब महात्मा गांधी कलकत्ता चले गए थे, जो उस वक्त के हालात पर उनकी असहमति को दर्शाता है।
15th August Short Story: गुलाम भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने महात्मा गांधी को भारत के बंटवारे के लिए मना तो लिया था लेकिन फिर भी, जब पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा था, तब महात्मा गांधी कलकत्ता चले गए थे, जो उस वक्त के हालात पर उनकी असहमति को दर्शाता है। विभाजन के विरोध में महात्मा गांधी सभी आयोजन से दूर चले गए थे। वहीं लॉर्ड माउंटबेटन की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद करोड़ों लोगों ने अपना घर छोड़ा और विस्थापन किया, पाकिस्तान और भारत दोनों मुल्कों को तब दो हिस्सों में बांटा गया। इसी के साथ भारत को आजादी मिली, तो आइए समझते हैं 15 अगस्त की तारीख कैसे तय हुई और बाकि सब कैसा चल रहा था, 10 प्वाइंट में समझें पूरी आजादी की कहानी।
- गुलाम भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने महात्मा गांधी को भारत के विभाजन के लिए मना लिया था और इसे लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई थी, जिसमें विभाजन और विस्थापन की योजना का खुलासा किया गया।
- 14 अगस्त की रात को जब पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा था, तब महात्मा गांधी कलकत्ता चले गए थे, जो उस वक्त के हालात पर उनकी असहमति को दर्शाता है।
- भारत की आजादी के दिन की तारीख तय करने में लॉर्ड माउंटबेटन की कोई खास योजना तो नहीं थी, लेकिन उन्हें बस आखरी 15 अगस्त 1947 का दिन ठीक लग रहा था।
- देश के ज्योतिषियों ने 15 अगस्त की तारीख का विरोध किया, क्योंकि यह दिन ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अशुभ माना जा रहा था, लेकिन माउंटबेटन ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
- 1947 के जून महीने में दिल्ली में देश के विभाजन को लेकर सरदार पटेल और जिन्ना के बीच तीखी बहस हुई, जिससे माहौल और गर्म हो गया था।
- कश्मीर के मसले को लेकर गुलाम भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन चिंतित थे और उन्होंने महाराजा हरि सिंह से मिलने का समय तय किया, लेकिन हरि सिंह ने स्वास्थ्य कारणों से मुलाकात को टाल दिया।
- 15 अगस्त की तारीख के ऐलान के बाद, देश के विभाजन और भविष्य की चुनौतियों पर माउंटबेटन और भारतीय नेताओं के बीच लगातार बातचीत होगी रहीं।
- आजादी के दिन का फैसला अचानक और कई विचारों के बाद लिया गया, लेकिन इसका असर देश के भविष्य पर गहरा पड़ा।
- महात्मा गांधी, जो देश की आजादी के प्रतीक थे, विभाजन के विरोध में कलकत्ता में थे, जबकि देश बाकी हिस्सों में आजादी का जश्न मना रहा था।
- ज्योतिषियों की चेतावनी के बावजूद, 15 अगस्त 1947 को ही भारत ने आजादी पाई, जिससे एक नए और जटिल देश की शुरुआत हुई।
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अपडेटेड 14:53 IST, August 14th 2024