Published 23:57 IST, August 11th 2024
UP उपचुनाव में परिवार को मौका दे सकती है सपा, मायावती देगी PDA फॉर्मूले को चोट?
UP Byelection 2024: 2007 में बहुमत की सरकार बना चुकी बसपा का अब विधानसभा में एक विधायक है। मायावती के सामने करो या मरो वाली स्थिति है।
UP Byelection 2024: उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी और सपा के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही थी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी उपचुनाव में उतरने का फैसला लिया है। सभी 10 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने के ऐलान के बाद मायावती ने इस चुनावी रण को रोमांचक बना दिया है। पिछड़ों के वोटबैंक पर मायावती की खासी पकड़ है। ऐसे में माना जा रहा है कि मायावती विधानसभा उपचुनाव में सबसे ज्यादा अखिलेश के PDA फॉर्मूले पर चोट करने वाली हैं।
बसपा सुप्रीमों मायावती ने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने के साथ ही मजबूती से चुनाव लड़ने की बात कही है। बसपा कार्यालय में रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों, जिलाध्यक्षों समेत अन्य पदाधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। पिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश में बसपा की राजनीतिक जमीन कमोजर पड़ी है। अमूमन उपचुनावों से दूर रहने वाली बसपा ने इस उपचुनाव को पूरे दमखम के साथ लड़ने का फैसला किया है।
मुश्किल दौर से गुजर रही है पार्टी
विधानसभा और लोकसभा के बाद मायावती को उपचुनाव से उम्मीद है। राज्य में 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की कुल 403 सीटों में से बसपा को सिर्फ एक सीट मिली थी। लोकसभा चुनाव में पार्टी का पूरी तरह सफाया होने के बाद बसपा की उम्मीदें उपचुनावों पर टिकी हैं। मायावती और उनकी पार्टी फिलहाल सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा का खाता नहीं खुला था। मायावती 4 बार यूपी की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। 2007 में बहुमत की सरकार बना चुकी हैं, लेकिन अब विधानसभा में बीएसपी का सिर्फ एक विधायक है।
दलित वोट बैंक भी फिसला
बसपा के सामने करो या मरो वाली स्थिति है। इस उपचुनाव में प्रत्याशी उतारना मायावती की जरूरत और मजबूरी दोनों बन गई है। मायावती को किसी जमाने में दलितों का मुखिया माना जाता था, लेकिन अब वो दलित भारतीय समाज पार्टी, अपना दल और निषाद पार्टी में बंट गया है। लोकसभा चुनाव में यूपी में बसपा का वोट शेयर घटकर 9.38 फीसदी रह गया है। मुस्लिम वोट भी अब मायावती का साथ नहीं देता है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा को 44 फीसदी जाटव वोट और 15 फीसदी गैर जाटव वोट मिला।
बैकफुट दिख रही सपा
सूत्रों की मानें तो बसपा ने तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार भी तय करने के संकेत भी दे दिए हैं। फूलपुर विधानसभा सीट से शिव बरन पासी को टिकट मिल सकता है। मिर्जापुर की मंझवा विधानसभा सीट से दीपू तिवारी के नाम पर मुहर लग सकती है और अंबेडकर नगर की कटेहरी से पवन पांडेय के बेटे प्रतीक पांडेय को उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा है। वहीं बची हुई 7 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान जल्द हो सकता है।
अयोध्या में दलित नाबालिक लड़की के साथ रेप मामले में सपा बैकफुट पर है। रेप का आरोपी मोईद खान सपा नेता है। वहीं बीजेपी निषाद पार्टी के जरिए दलितों को अपने पाले में करने की जुगत में हैं। सपा भी PDA के बाद ब्राह्मण वोटों को साधने में जुटी है। बीजेपी और सपा की खींचतान के बीच अब बसपा की एंट्री से उपचुनाव का रण रोचक बन गया है।
परिवार को मौका दे सकती है सपा
अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी पर रह-रह कर परिवारवाद के आरोप लगते रहे हैं। अब खबर है कि 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनाव में भी सपा परिवारवाद को आगे बढ़ा सकती है। लालजी वर्मा की बेटी डॉ. छाया वर्मा को कटेहरी उपचुनाव में अखिलेश पार्टी का कैंडिडेट बना सकते हैं और मिल्कीपुर से अवधेश प्रसाद के बेटे को टिकट मिल सकता है। देखना ये भी दिलचस्प होगा कि क्या मायावती की पार्टी एक बार फिर सपा के वोट काटती है या अपने दम पर इस उपचुनाव में कोई बड़ा उलटफेर करती है।
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Updated 23:57 IST, August 11th 2024