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Published 16:45 IST, December 3rd 2024

पराली जलाना किसानों की मजबूरी, समाधान के लिए प्रति एकड़ 2,500 रुपये मिले मुआवजा- राघव चड्डा

राज्यसभा में राघव चड्ढा ने कहा कि वायु प्रदूषण केवल दिल्ली का मुद्दा नहीं है बल्कि पूरे उत्तर भारत का मुद्दा है। इसका सारा दोष किसानों पर मढ़ा जा रहा है।

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Raghav Chadha on stubble
पराली जलाना किसानों की मजबूरी- राघव चड्डा | Image: ANI
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आम आदमी पार्टी (आप) के राघव चड्डा ने धान की फसल कटने के बाद पराली जलाए जाने को किसानों की मजबूरी बताते हुए मंगलवार को सुझाव दिया कि यदि उन्हें प्रति एकड़ 2,500 रुपये मुआवजा के तौर पर दिया जाए तो इस समस्या का अल्पकालिक समाधान निकल सकता है। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान चड्ढा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि वायु प्रदूषण केवल दिल्ली का मुद्दा नहीं है बल्कि पूरे उत्तर भारत का मुद्दा है लेकिन इसके लिए सारा दोष किसानों पर मढ़ दिया जाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘आज इस दिल्ली से कहीं ज्यादा वायु प्रदूषण भागलपुर, मुजफ्फरनगर, नोएडा, हापुड़, विदिशा, भिवानी, भिवाड़ी, आगरा और फरीदाबाद जैसे इलाकों में है। लेकिन वायु प्रदूषण का सारा दोष देश के किसानों पर मढ़ा जाता है। इसलिए मैं आज उन किसानों की आवाज उठाना चाहता हूं।’’ आईआईटी के एक अध्ययन का हवाला देते हुए आप सदस्य ने कहा कि पराली जलाना वायु प्रदूषण का एक कारण है, इकलौता कारण नहीं है।

‘मजबूरी में जलाते हैं पराली’

उन्होंने कहा कि पूरे साल लोग किसानों को भगवान और अन्नदाता कहते हैं लेकिन जैसे ही नवंबर का महीना आता है, उन्हें अपराधी बताया जाता है और उन्हें जेल में डालने तथा जुर्माना लगाए जाने की बात होने लगती है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहना चाहता हूं कि कोई भी किसान जानबूझकर व अपनी खुशी से पराली नहीं जलाता है। वह मजबूरी में जलाता है।’’ चड्ढा ने कहा कि इस साल तो पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 70 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट देखी गई है जबकि मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि पंजाब में धान की खेती इसलिए शुरू की गई थी क्योंकि देश में अनाज की कमी थी और देश का पेट पालना था। उन्होंने कहा, ‘‘धान की खेती से पंजाब का भारी नुकसान हुआ। हमारा पानी 600 फुट नीचे चला गया। मिट्टी की गुणवत्ता में कमी आई। वह भी तब जबकि चावल हमारी (पंजाब के लोगों की) खुराक नहीं है।’’ चड्ढा ने कहा कि धान की फसल कटने के बाद जो पराली बचती है उसे साफ करने के लिए किसान के पास मात्र 10 से 12 दिनों का समय होता क्योंकि उन्हें अगली फसल के लिए खेत तैयार करनी होती है। उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए किसान को मजबूरन पराली जलानी पड़ती है।’’

ढाई हजार रुपए प्रति एकड़ की मांग

उन्होंने कहा कि खेतों से अवशेषों को हटाने के लिए किसानों को ‘हैप्पी सीडर’ और ‘पैडी चॉपर’ जैसी मशीनों की जरूरत होती है जो बहुत महंगे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस पर किसान को दो से तीन हजार रुपये प्रति एकड़ अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है। जब किसान अपनी लागत ही नहीं निकाल पा रहा है तो वह ये पैसा कहां से लाएगा। इसलिए वह मजबूरी में पराली जलाता है।’’

उन्होंने कहा कि इसका सबसे ज्यादा नुकसान तो खुद किसान और उसके परिवार को उठाना पड़ता है कि उसे पराली की जहरीली हवा में सांस लेनी पड़ती है। इस समस्या के अल्पकालिक समाधान के लिए सुझाव देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यदि हम पंजाब और हरियाणा के किसान को ढाई हजार रुपए प्रति एकड़ देते हैं तो एक भी किसान पराली नहीं जलाएगा। इसमें 2,000 रुपये प्रति एकड़ भारत सरकार दे और 500 रुपये पंजाब सरकार दे।’’

वैकल्पिक खेती को मिले बढ़ावा 

पराली की समस्या के दीर्घकालिक सुझाव के तौर पर चड्ढ़ा ने धान की खेती की जगह वैकल्पिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही। भाजपा के बृजलाल ने पराली जलाने की समस्या के समाधान के लिए धान के बदले मोटे अनाज सहित वैकल्पिक खेती को बढ़ावा देने का सुझाव दिया। उन्होंने पराली के सदुपयोग के जरिए मशरूम की खेती को प्रोत्साहित करने का विकल्प भी सुझाया। 

ऑनलाइन सट्टेबाजी का उठा मुद्दा

शून्यकाल के दौरान सदस्यों ने जुए और ऑनलाइन सट्टेबाजी के खतरों सहित कई अन्य मुद्दे भी उठाए और केंद्र सरकार से इनके निदान के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अजीत गोपछड़े ने ऑनलाइन सट्टेबाजी का मुद्दा उठाते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया। उन्होंने कहा कि जुए और ऑनलाइन सट्टेबाजी आतंकवाद के वित्तपोषण का माध्यम भी बन रही हैं। उन्होंने कहा कि इंटरनेट की पहुंच व्यापक होने के साथ ही ऑनलाइन सट्टेबाजी गांवों तक पहुंच गई है और इसका युवाओं पर बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार से इस दिशा में ठोस कार्रवाई करने की मांग की।

ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन पर चिंता 

वाईएसआर कांग्रेस के अयोध्या रामी रेड्डी ने ओलंपिक खेलों में भारत के प्रदर्शन पर चिंता जताई और इस दिशा में योजनाबद्ध तरीके से राज्यों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था के मामले में हम दुनिया में पांचवें स्थान पर पहुंच गए लेकिन ओलंपिक में पदक तालिका में हम 71वें स्थान पर हैं।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को इससे संबंधित खामियों को तुरंत दूर करना चाहिए और जरूरत के अनुरूप रणनीति बनानी चाहिए।

भाजपा के सामिक भट्टाचार्य ने कोलकाता स्थित साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लिर फिजिक्स के परिसर के इर्दगिर्द बांग्लादेशी रोहिंग्याओं के बसने का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि वोटबैंक की राजनीति की खातिर इन्हें वहां बसाया जा रहा है। उन्होंने इसे सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मुद्दा बताया और केंद्र सरकार से आवश्यक कार्रवाई की मांग की।

बीजू जनता दल के सुभाष खूंटिया ने पुरी में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के निर्माण का मुद्दा उठाया और केंद्र सरकार से इसके निर्माण में तेजी लाने का अनुरोध किया। कांग्रेस के नीरज डांगी ने लुप्तप्राय हो रहे वन्यजीवों की निगरानी के लिए कृत्रिम मेधा के उपयोग का मुद्दा उठाया ताकि इनका संरक्षण किया जा सके। भाजपा के धनंजय महादिक ने गन्ना किसानों की समस्याएं उठाई। तृणमूल कांग्रेस के प्रकाश चिक बाराइक और निर्दलीय अजीत कुमार भूयान ने भी अपने-अपने मुद्दे उठाए।

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Updated 16:45 IST, December 3rd 2024