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Published 11:51 IST, April 1st 2024

कच्चातिवु पर एस जयशंकर ने कांग्रेस-DMK को घेरा, बोले- कांग्रेसी PM को नहीं थी भारतीय जमीन की फिक्र

कच्चातिवु विवाद पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कांग्रेस और डीएमके को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी पीएम को भारतीय जमीन की फिक्र नहीं थी।

Reported by: Kanak Kumari Jha
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S Jaishankar
कच्चातिवु पर एस जयशंकर | Image: S Jaishankar X

कच्चातिवु  विवाद पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कांग्रेस और डीएमके को जमकर घेरा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दोनों पार्टियों के सामने इतिहास के पन्ने पलट कर रख दिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी पीएम को भारतीय जमीन की फिक्र नहीं थी। कांग्रेस और DMK ने इस मामले को इस तरह से लिया है मानो इस पर उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "कांग्रेस और DMK ने इस मामले को इस तरह से लिया है मानो इस पर उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। 1974 में, भारत और श्रीलंका ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जहां उन्होंने एक समुद्री सीमा खींची, और समुद्री सीमा खींचने में कच्चातिवु  को सीमा के श्रीलंकाई पक्ष पर रखा गया।"

20 सालों में 6184 भारतीय मछुआरों को हिरासत में लिया गया: एस जयशंकर

विदेश मंत्री ने कहा, "पिछले 20 वर्षों में, 6184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका द्वारा हिरासत में लिया गया है और इसी समयकाल में 1175 भारतीय मछली पकड़ने वाली नौकाओं को श्रीलंका द्वारा जब्त किया गया। पिछले पांच वर्षों में कच्चातिवु मुद्दा और मछुआरे का मुद्दा संसद में विभिन्न दलों द्वारा बार-बार उठाया गया। यह संसद के सवालों, बहसों और सलाहकार समिति में सामने आया है। तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने मुझे कई बार पत्र लिखा है और मेरा रिकॉर्ड बताता है कि मौजूदा मुख्यमंत्री को मैं इस मुद्दे पर 21 बार जवाब दे चुका हूं... यह एक जीवंत मुद्दा है जिस पर संसद और तमिलनाडु हलकों में बहुत बहस हुई है। यह केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच पत्राचार का विषय रहा है।"

'1974 का कच्चातिवु  समझौता जनता से छिपाया गया'

उन्होंने कहा कि सच यह है कि आज हम वास्तव में न केवल यह जानते हैं कि यह किसने किया और किसने इसे छुपाया बल्कि यह भी जानते हैं कि 1974 के कच्चातिवु  समझौते के लिए जिम्मेदार पार्टियां कौन थी और 1976 में मछुआरों का अधिकार कैसे समाप्त किया गया... आप सभी जानते हैं कि कौन जिम्मेदार है। आज जनता के लिए यह जानना जरूरी है, जनता के लिए निर्णय करना जरूरी है। यह मुद्दा वास्तव में जनता से बहुत लंबे समय तक छिपाया गया है।"

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Updated 12:26 IST, April 1st 2024