अपडेटेड 20 April 2025 at 06:59 IST

'धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार', सांसदों के बयान से BJP का किनारा; जेपी नड्डा ने दी ये सलाह

BJP सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में बड़ा बयान देते हुए कहा कि देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से बा

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nishikant dubey- jp nadda
Nishikant Dubey- JP Nadda | Image: ANI

BJP on MPs remark on Judiciary: वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई पर BJP सांसदों के बयान पर सियासी संग्राम छिड़ गया है। निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की टिप्पणियों पर विपक्ष हमलावर हो गया है। इस बीच विवाद पर भारतीय जनता पार्टी का भी रिएक्शन सामने आ गया है। BJP ने अपने सांसदों के बयानों से खुद को अलग कर लिया। JP नड्डा ने कहा कि उनके बयानों से पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है।

वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस बीच BJP सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में बड़ा बयान देते हुए कहा कि देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है। दिनेश शर्मा ने भी ऐसी ही टिप्पणी की थी।

ऐसे बयानों से इत्तेफाक नहीं रखती BJP- जेपी नड्डा

सांसदों के बयान पर मचे हंगामे के बीच BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि ये उनके व्यक्तिगत स्टेटमेंट है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा, "भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा का न्यायपालिका एवं देश के चीफ जस्टिस पर दिए गए बयान से भारतीय जनता पार्टी का कोई लेना–देना नहीं है। यह इनका व्यक्तिगत बयान है, लेकिन भाजपा ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है।"

उन्होंने कहा, "भारतीय जनता पार्टी ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है। उनके आदेशों और सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है क्योंकि एक पार्टी के नाते हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय सहित देश की सभी अदालतें हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं तथा संविधान के संरक्षण का मजबूत आधारस्तंभ हैं। मैंने इन दोनों को और सभी को ऐसे बयान ना देने के लिए निर्देशित किया है।"

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क्या कहा था निशिकांत दुबे ने…?

इससे पहले BJP सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था, "देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है...अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है, तो संसद और विधानसभा का कोई मतलब नहीं है, इसे बंद कर देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का एक ही उद्देश्य है: 'मुझे चेहरा दिखाओ, मैं तुम्हें कानून दिखाऊंगा।"

उन्होंने कहा, "आप अपॉइंटिंग अथॉरिटी को निर्देश कैसे दे सकते हैं? राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश को नियुक्त करते हैं। संसद इस देश का कानून बनाती है। आपने नया कानून कैसे बनाया? किस कानून में लिखा है कि राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर फैसला करना है? इसका मतलब है कि आप इस देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं। जब संसद बैठेगी तो इस पर विस्तृत चर्चा होगी।"

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निशिकांत दुबे ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 377 जिसमें समलैंगिकता को बहुत बड़ा अपराध माना गया था। एक सुबह, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले को खत्म करते हैं।

दिनेश शर्मा बोले- राष्ट्रपति को नहीं दे सकता कोई चुनौती

इसी तरह की टिप्पणी करते हुए BJP सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि कोई भी राष्ट्रपति के फैसले को "चुनौती" नहीं दे सकता, क्योंकि वो "सर्वोच्च" हैं। उन्होंने कहा कि लोगों में यह आशंका है कि जब डॉ. बीआर अंबेडकर ने संविधान लिखा था, तो विधायिका और न्यायपालिका के अधिकार स्पष्ट रूप से लिखे गए थे। भारत के संविधान के अनुसार, कोई भी लोकसभा और राज्यसभा को निर्देश नहीं दे सकता। राष्ट्रपति ने पहले ही इस पर अपनी सहमति दे दी है। कोई भी राष्ट्रपति को चुनौती नहीं दे सकता, क्योंकि राष्ट्रपति सर्वोच्च हैं।"

BJP सांसदों के इस बयान पर सियासी बवाल खड़ा हो गया। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाने को लेकर BJP को घेरना शुरू कर दिया। इस बीच बीजेपी ने अपने सांसदों के बयान से खुद को अलग कर लिया। 

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Published By : Ruchi Mehra

पब्लिश्ड 20 April 2025 at 06:59 IST