पब्लिश्ड 17:58 IST, January 21st 2025
मथुरा की शाही मस्जिद कमेटी ने खटखटाया SC का दरवाजा, 'प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट' को लेकर केंद्र सरकार पर लगाया बड़ा आरोप
Places of Worship Act: प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के मसले पर मथुरा की शाही मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है।
Places of Worship Act: प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के मसले पर मथुरा की शाही मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार जानबूझकर कर इस कानून को लेकर अपना रुख नहीं साफ कर रही है। कोर्ट इस मामले में सरकार के जवाब दाखिल करने के अधिकार को खत्म करें ताकि केस आगे बढ़ सके।
मस्जिद कमेटी ने अपनी अर्जी में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2021 में पहली बार केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। उसके बाद कई बार मोहलत दिये जाने के बावजूद सरकार ने जवाब दाखिल नहीं किया है। 12 दिसंबर को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केन्द्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का वक्त दिया था लेकिन सरकार जानबूझकर अपना रुख साफ करने में देरी कर रही है।
प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट1991 क्या है?
साल 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार ने पूजा स्थल कानून बनाय। ये कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। अयोध्या का मामला उस वक्त कोर्ट में था इसलिए उसे इस कानून से अलग रखा गया था।
धार्मिक स्थल यथास्थित बने रहेंगे
1991 का पूजा अधिनियम 15 अगस्त 1947 से पहले सभी धार्मिक स्थलों की यथास्थिति बनाए रखने की बात कहता है। वह चाहे मस्जिद हो, मंदिर, चर्च या अन्य सार्वजनिक पूजा स्थल। वे सभी उपासना स्थल इतिहास की परंपरा के मुताबिक ज्यों का त्यों बने रहेंगे। मुस्लिम पक्ष की तरफ से जमीयत उलेमा ए हिंद ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के समर्थन मे याचिका दाखिल की हुई है।
अपडेटेड 17:58 IST, January 21st 2025