Published 16:45 IST, December 12th 2024
वर्शिप एक्ट: मुस्लिम पक्ष को झटका? अलग-अलग अदालतों में चल रहे केस की सुनवाई पर रोक से SC का इनकार
Places of Worship Act 1991: प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
Places of Worship Act 1991: प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की स्पेशल बेंच कर रही है। SG तुषार मेहता केन्द्र सरकार की तरफ से पेश हुए और उन्होंने कहा कि वो हलफनामा दाखिल करेंगे।
CJI ने केंद्र सरकार को कहा कि आप जवाब दाखिल कर के सभी को अपनी कॉपी की प्रति याचिकाकर्ताओं को दें। CJI ने कहा कि अब कोई दूसरा शूट नहीं दाखिल होगा। CJI ने कहा कई सारे सवाल उठाए गए है। हम उस सभी पर सुनवाई करेंगे। CJI ने कहा कि दो सूट पहले ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। मथुरा मामला हमारे पास लंबित है।
याचिकाकर्ता की दलील
वकील राजू रामचंद्रन ने कहा कि जो सूट फाइल किए गए है उसमें आगे की सुनवाई न हो उस पर रोक लगाई जाए। वकील राजू रामचंद्रन ने कह की अलग-अलग अदालतों में कुल 10 सूट दाखिल किए गए है। मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया कि देशभर में दस जगहों पर 18 सूट दाखिल किए गए हैं, जब तक प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर फैसला ना हो, सारे मामलों पर सुनवाई पर रोक लगे।
CJI की टिप्पणियां
CJI ने कहा कि नए सूट दाखिल करने को लेकर हम आदेश जारी करेंगे। CJI ने कहा कि हम जो आदेश जारी करना चाहते है वो करेंगे। CJI ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया। CJI ने कहा कि केंद्र के जवाब दाखिल करने के बाद जिन्हें जवाब दाखिल करना हो वो चार हफ्ते में जवाब दाखिल कर सकते है। CJI ने कहा कि हम केंद्र के जवाब के बिना फैसला नहीं कर पाएंगे। हम केंद्र सरकार का इस मामले में पक्ष जानना चाहते हैं। CJI ने कहा कि फ्रेश सूट दाखिल हो सकते है लेकिन इनपर कोई सुनवाई नहीं होगी। CJI ने कहा कि जो याचिकाएं अभी देश की अलग-अलग अदालतों में है उनपर अदालतें को अफेक्टिव और फाइनल ऑर्डर पास नहीं होंगे। सर्वे के आदेश ही नहीं देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और अन्य पक्षों से कहा कि सुप्रीम कोर्ट (अयोध्या) की 5 जजों की बेंच ने कुछ सिद्धांत तय किए हैं, सवाल यह है कि क्या कोई सिविल कोर्ट उनके खिलाफ जा सकता है?
वहीं एडवोकेट जे साई दीपक ने कहा कि मामले लंबित रहने के दौरान सर्वेक्षण पर रोक लगाने की जरूरत नहीं है।
लंबित मामलों में सुनवाई जारी रहेंगी- SC
सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की उस मांग को ठुकराया जिसमें उन्होंने कहा था कि देश की अलग-अलग अदालतों में जो मामले चल रहे है उनकी सुनवाई पर रोक लगाई जाए।
मुगलों ने यहां आकर रिलीजियस करेक्टर चेंज किया- अश्विनी उपाध्याय
वकील अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि हमारा कहना है मुगलों ने यहां आकर रिलीजियस करेक्टर चेंज किया। मेरी पहचान बदल सकती है, करेक्टर जानने के लिए सर्वे करना पड़ेगा। ढांचा देखकर ये तय नहीं कर सकते हैं कि ये मस्जिद है या मंदिर है। आपको सर्वे कराकर पता करना पड़ेगा। कोई भी कानून बनाकर आप कोर्ट का दरवाज बंद नहीं कर सकते हैं।ये कानून कोर्ट का दरवाजा बंद कर देता है, ये बाबर, हुमायूं के गैरकानूनी काम को लीगल कर देता है।
भारत में गुलामी की निशानी नहीं होनी चाहिए- अश्विनी उपाध्याय
उन्होंने कहा कि भारत का संविधान कहता है, भारत में गुलामी की निशानी नहीं होनी चाहिए। बाबर, हुमायूं के वंशज यहां क्लेम नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना है, ऑर्डर शायद कल आएगा। दूसरे पक्ष ने कहा भारत में 18 सर्वे जो चल रहे हैं, उसको रोक दिया जाए। चाहे भद्रकाली हो, चाहे काशी हो, चाहे मथुरा हो, वहां के पक्षकार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे ही नहीं है। उनको जिला कोर्ट से हाईकोर्ट जाना चाहिए, यहां पर सुप्रीम कोर्ट को स्टे नहीं करना चाहिए। ये हमने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सीधे एक जनरल स्टे कर देना ठीक नहीं है, यहां मथुरा, काशी, हरिहर मंदिर, अजमेर के पक्षकार सुप्रीम कोर्ट में नहीं है। जिला कोर्ट से कोई सीधे सुप्रीम कोर्ट नहीं आ सकता है। हाईकोर्ट से हारी हुई पार्टी सुप्रीम कोर्ट आ सकती है।
Updated 16:45 IST, December 12th 2024