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पब्लिश्ड 16:27 IST, January 26th 2025

'मतभेदों का सम्मान करें, सद्भाव से रहें', गणतंत्र दिवस पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भिवंडी में फहराया तिरंगा

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विविधता के संदर्भ में कहा कि मतभेदों का सम्मान किया जाना चाहिए और सद्भाव से रहने की कुंजी एकजुटता है।

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Mohan Bhagwat hoisted the tricolor
Mohan Bhagwat hoisted the tricolor | Image: PTI

Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि मतभेदों का सम्मान किया जाना चाहिए और एकजुटता सद्भाव से रहने की कुंजी है। भागवत ने महाराष्ट्र के ठाणे जिले में भिवंडी शहर के एक कॉलेज में गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रध्वज फहराने के बाद कहा कि किसी को दबाया नहीं जाना चाहिए और सभी को आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस एक उत्सव के साथ-साथ ‘‘राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को याद करने’’ का अवसर भी है।

भागवत ने विविधता के संदर्भ में कहा कि मतभेदों का सम्मान किया जाना चाहिए और ‘‘सद्भाव से रहने की कुंजी एकजुटता है।’’ उन्होंने कहा, "विविधता के कारण भारत के बाहर संघर्ष हो रहे हैं। हम विविधता को जीवन का स्वाभाविक हिस्सा मानते हैं। आपकी अपनी विशेषताएं हो सकती हैं, लेकिन आपको एक-दूसरे के प्रति अच्छा व्यवहार करना चाहिए। यदि आप जीना चाहते हैं, तो आपको एकजुटता से जीना चाहिए। यदि आपका परिवार दुखी है, तो आप खुश नहीं रह सकते।" उन्होंने कहा, ‘‘हम विविधता को जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा मानते हैं। आपकी अपनी विशेषताएं हो सकती हैं, लेकिन आपको एक-दूसरे से अच्छा व्यवहार करना चाहिए। अगर आप जीना चाहते हैं, तो आपको एक सामंजस्यपूर्ण जीवन जीना चाहिए। अगर आपका परिवार दुखी है, तो आप खुश नहीं रह सकते। इसी तरह, अगर शहर में कोई परेशानी है तो कोई परिवार खुश नहीं रह सकता।’’

भागवत ने ज्ञान और समर्पण से काम करने के महत्व पर जोर दिया

भागवत ने ज्ञान और समर्पण से काम करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘उद्यमशील होना महत्वपूर्ण है, लेकिन आपको हमेशा ज्ञान के साथ अपना काम करना चाहिए। बिना सोचे-समझे किए गए किसी भी काम का फल नहीं मिलता बल्कि ऐसा काम परेशानी पैदा करता है।’’ भागवत ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए चावल पकाने की तुलना किसी भी काम में ज्ञान की आवश्यकता से की। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप चावल पकाना जानते हैं, तो आपको पानी, गर्मी और चावल की जरूरत होगी। लेकिन अगर आप नहीं जानते कि इसे कैसे पकाना है और इसके बजाय आप सूखे चावल खाते हैं, पानी पीते हैं और घंटों धूप में खड़े रहते हैं, तो यह भोजन नहीं बन पाएगा। ज्ञान और समर्पण जरूरी हैं।’’

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जिंदगी में भरोसे और समर्पण के महत्व पर बात की

संघ प्रमुख ने रोजमर्रा की जिंदगी में भरोसे और समर्पण के महत्व पर भी बात की। भागवत ने कहा, ‘‘अगर आप किसी होटल में पानी पीते हैं और चले जाते हैं, तो आपको अपमानित होना पड़ सकता है या नीचा दिखाने वाली निगाहों से देखा जा सकता है। लेकिन अगर आप किसी के घर में पानी मांगते हैं, तो आपको किसी खाद्य वस्तु के साथ एक जग भर कर पानी दिया जाता है। क्या अंतर है? घर में भरोसा और समर्पण होता है। ऐसे काम का फल मिलता है।’’

आरएसएस प्रमुख ने व्यक्ति और राष्ट्र के विकास के लिए समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के महत्व पर भी बल दिया और राष्ट्रीय ध्वज पर 'धम्मचक्र' (धर्म का पहिया) के प्रतीकात्मक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को वैयक्तिकता के प्रति सम्मान और दमन से मुक्ति के साथ आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए। भागवत ने कहा, "हम चाहते हैं कि व्यक्ति आगे बढ़े और इसके लिए हमें स्वतंत्रता व समानता की आवश्यकता है। किसी को दबाया नहीं जाना चाहिए। सभी को अवसर मिलना चाहिए और भाईचारे के साथ लोग आगे बढ़ेंगे और समाज में अपनी सफलता का प्रसार करेंगे।" उन्होंने कहा कि पिछले 78 वर्षों में समाज ने बड़ी प्रगति की है, व्यक्तियों ने स्वयं में सुधार किया है तथा ऐसी व्यवस्था में योगदान दिया है जो सभी को प्रगति करने में सक्षम बनाती है।

तिरंगे का धम्मचक्र समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व का संदेश- भागवत

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज पर धम्मचक्र समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व का शक्तिशाली संदेश देता है। उन्होंने कहा, "तिरंगे पर धम्मचक्र सिर्फ एक प्रतीक नहीं है, बल्कि एक संदेश है जिसे हमें अपने दैनिक जीवन में अपनाना चाहिए। यह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा परिभाषित पारस्परिक सम्मान व सहयोग के मूल्यों का प्रतीक है और राष्ट्र की प्रगति के लिए हमारी साझा जिम्मेदारी की याद दिलाता है।" तिरंगे के महत्व पर भागवत ने कहा कि झंडे का डिजाइन सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया। उन्होंने कहा, "इसके रंगों का चयन काफी विचार-विमर्श के बाद किया गया है। सबसे ऊपर का केसरिया रंग त्याग औव समर्पण का प्रतीक है, जबकि सफेद रंग शुद्धता और काम करने के स्वच्छ तरीके का प्रतीक है। बीच में स्थित धम्मचक्र आपसी सम्मान का प्रतीक है, जो हमारी संस्कृति का सार है।"

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अपडेटेड 16:27 IST, January 26th 2025