sb.scorecardresearch

Published 12:51 IST, July 11th 2024

मुस्लिम महिलाओं के हक में सुप्रीम फैसला, तीन तलाक वाली पत्नियों को भी देना होगा गुजारा भत्ता

मुस्लिम महिलाओं के हक में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि तीन तलाक वाली पत्नियों को भी गुजारा भत्ता देना होगा।

Reported by: Digital Desk
Edited by: Kanak Kumari Jha
Follow: Google News Icon
  • share
muslim women
मुस्लिम महिलाओं के लिए गुजारा भत्ता | Image: muslim women

मुस्लिम महिलाओं के हक में देश के सर्वोच्च अदालत ने सुप्रीम फैसला सुनाया है। बता दें, 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने तलाकशुदा मुस्लिम महिला CRPC की धारा 125 के तहत अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता पाने का हक दिया है।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने ये फैसला सुनाया है। दोनों जजों ने कहा कि CRPC की धारा 125 के तहत सभी विवाहित महिलाओं को गुजारा भत्ता प्राप्त करने का हक है, जिसमें मुस्लिम महिलाएं भी शामिल हैं।

कोर्ट के फैसले से ताजा हुई शाह बानो मामले की यादें

सीआरपीसी की धारा-125 के तहत मुस्लिम महिला के भी अपने पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकने संबंधी उच्चतम न्यायालय के बुधवार के फैसले ने 1985 के शाह बानो बेगम मामले में दिये गए SC के ऐतिहासिक निर्णय की यादें ताजा कर दीं।

CRPC की धारा 125 के धर्मनिरपेक्ष प्रावधान के तहत मुस्लिम महिलाओं को भरण-पोषण का भत्ता देने का विवादास्पद मुद्दा 1985 में राजनीतिक विमर्श के केंद्र में आया था, जब मोहम्मद अहमद खान बनाम शाह बानो बेगम मामले में संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया था कि मुस्लिम महिलाएं भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं।

इस फैसले की वजह से, मुस्लिम पति द्वारा अपनी तलाकशुदा पत्नी को विशेष रूप से इद्दत अवधि (तीन महीने) से परे, भरण-पोषण की राशि देने के वास्तविक दायित्व को लेकर विवाद पैदा हो गया था। इस फैसले से पूरे देश में हंगामा मच गया था। राजीव गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन केंद्र सरकार ने संसद में फैसले का बचाव करने के लिए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान को मैदान में उतारा था।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और धर्म गुरुओं ने किया था विरोध

हालांकि, यह रणनीति उल्टी पड़ गई क्योंकि मुस्लिम धर्मगुरुओं और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने फैसले का कड़ा विरोध किया। राजीव गांधी सरकार ने इसके बाद अपने रुख में बदलाव करते हुए उच्चतम न्यायालय के फैसले का विरोध करने के लिए एक और मंत्री जेड ए अंसारी को मैदान में उतारा। इससे खान नाराज हो गए और उन्होंने सरकार छोड़ दी। खान इस समय केरल के राज्यपाल हैं।

राजीव गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन केंद्र सरकार स्थिति को ‘‘स्पष्ट’’ करने के प्रयास के तहत मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 लाई, जिसमें तलाक के समय ऐसी महिला के अधिकारों को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया। SC की संविधान पीठ ने 1986 के अधिनियम की संवैधानिक वैधता को 2001 में डेनियल लतीफी मामले में बरकरार रखा था।

शाह बानो मामले में ऐतिहासिक फैसले में ‘पर्सनल लॉ’ की व्याख्या की गई तथा लैंगिक समानता के मुद्दे के समाधान के लिए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की आवश्यकता का भी जिक्र किया गया। इसने विवाह और तलाक के मामलों में मुस्लिम महिलाओं के लिए समान अधिकारों की नींव रखी।

बानो ने शुरूआत में, अपने तलाकशुदा पति से भरण-पोषण राशि पाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। बानो के पति ने उन्हें ‘तलाक’ दे दिया था। जिला अदालत में शुरू हुई यह कानूनी लड़ाई 1985 में शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के ऐतिहासिक फैसले के साथ समाप्त हुई।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने बुधवार को दिए अपने फैसले में कहा कि शाह बानो मामले के फैसले में मुस्लिम पति द्वारा अपनी तलाकशुदा पत्नी, जो तलाक दिए जाने या तलाक मांगने के बाद अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है, के प्रति भरण-पोषण के दायित्व के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई है।

न्यायालय ने कहा, ‘‘पीठ ने (शाह बानो मामले में) सर्वसम्मति से यह माना था कि ऐसे पति का दायित्व उक्त संबंध में किसी भी ‘पर्सनल लॉ’ के अस्तित्व से प्रभावित नहीं होगा और सीआरपीसी 1973 की धारा 125 के तहत भरण-पोषण मांगने का स्वतंत्र विकल्प हमेशा उपलब्ध है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि शाह बानो मामले में दिये गए फैसले में यह भी कहा गया है कि यह मानते हुए भी कि तलाकशुदा पत्नी द्वारा मांगी जा रही भरण-पोषण राशि के संबंध में धर्मनिरपेक्ष और ‘पर्सनल लॉ’ के प्रावधानों के बीच कोई टकराव है, तो भी सीआरपीसी की धारा 125 का प्रभाव सर्वोपरि होगा। पीठ ने कहा कि 1985 के फैसले में स्पष्ट किया गया है कि पत्नी को दूसरी शादी करने वाले अपने पति के साथ रहने से इनकार करने का अधिकार है। 

(इनपुट भाषा)

इसे भी पढ़ें: ऑपरेशन RTG: 8700 Ft उंचाई, 9 दिनों तक खुदाई, 9 महीने बाद सेना ने निकाला बर्फ में दबे 3 जवानों का शव

Updated 12:51 IST, July 11th 2024