पब्लिश्ड 10:11 IST, December 27th 2024
मनमोहन सिंह को क्यों कहा गया 'एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर'? जब संजय बारू की किताब से देश में आ गया था सियासी भूचाल
अपने 'शाइनिंग इंडिया' कैंपेन के बावजूद बीजेपी साल 2004 मे सत्ता में वापसी नहीं कर सकी थी। इस चुनाव में BJP की हार के बाद कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Ex PM Manmohan Singh) का गुरुवार (26 दिसंबर) की शाम को निधन हो गया। उनके निधन से पक्ष विपक्ष सहित पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के सलाहकार रहे संजय बारू (Sanjay Baru) ने अप्रैल 2014 में एक किताब लिखी थी। इस किताब का नाम था'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' (The Accidental Prime Minister) बारू ने ये किताब मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहने के कार्यकाल को लेकर लिखी थी। संजय बारू की इस किताब ने पूरे देश में सियासी भूचाल ला दिया था। इस किताब में मनमोहन सिंह के कार्यकाल को लेकर तरह-तरह की बातें कही गईं थीं। साल 2004 में मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद संजय बारू उनके मीडिया सलाहकार नियुक्त किए गए थे और वो साल 2008 तक इस पद पर बने रहे।
अपने 'शाइनिंग इंडिया' कैंपेन के बावजूद बीजेपी साल 2004 की सत्ता की वापसी करने में विफल रही। इस चुनाव में BJP की हार के बाद कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। यूपीए गठबंधन का नेतृत्व करते हुए कांग्रेस ने देश की सरकार बनाने का दावा पेश किया। इस समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी यूपीए का सबसे बड़ा चेहरा थीं जिन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर देखा जा रहा था। पार्टी के सभी दिग्गज नेता उन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते थे, लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी कि उन्हें मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद के लिए तैयार करना पड़ा। सोनिया गांधी ने खुद मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने का ऐलान किया और संसदीय दल से उनका समर्थन करने को कहा।
मनमोहन सिंह को क्यों कहा ‘एक्सीडेंटल प्राइमिनिस्टर’?
मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू ने 2004 की इसी घटना को लेकर मनमोहन सिंह को देश का एक्सीडेंटल प्राइमिनिस्टर बता दिया था। हालांकि कांग्रेस ने संजय बारू की किताब के इस टाइटल का पुरजोर विरोध किया था। संजय बारू ने अपनी किताब में मनमोहन सिंह की कई गलतियों के बारे में लिखा है और कहा कि उन्हें इन बातों का जिक्र करने में कोई झिझक नहीं है। मनमोहन सिंह का पहला कार्यकाल तो ठीक रहा लेकिन दूसरा कार्याकाल वित्तीय घोटालों से भरा रहा। मनमोहन सिंह खुद भी इस बात को मानते थे कि 2008 तक उन्होंने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत काम किया।
दूसरे कार्यकाल में पीएमओ हुआ असरहीन
इसके बाद साल 2009 में जब मनमोहन सिंह की सरकार को समाजवादी पार्टी का समर्थन मिला तो उन्होंने सरकारी एजेंडे को लेकर मजबूती से काम किया। धीरे-धीरे मनमोहन सिंह ने लेफ्ट और 10 जनपथ से दूरी बनाई गांधी परिवार की तमाम कोशिशों के बावजूद 2012 में उन्होंने कैबिनेट में फेरबदल किया। संजय बारू ने अपनी किताब में आगे लिखा कि दूसरे कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह अपनी सियासत से नियंत्रण खो बैठे और पीएमओ भी असरहीन हो चला। इस किताब को लेकर संजय बारू से कई तरह के सवाल भी किए गए जिसमें ये सवाल भी था कि आपने पीएमओ क्यों छोड़ा? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मैंने पीएमओ निजी कारणों से छोड़ा था। संजय बारू की किताब से ये साबित होता है कि इसमें कोई संदेह नहीं कि 2009 के लोकसभा चुनाव में जीत के मनमोहन सिंह आर्किटेक्ट थे लेकिन उसका क्रेडिट उन्हें नहीं मिला।
अपडेटेड 10:11 IST, December 27th 2024