Published 19:54 IST, November 13th 2024
केंद्र ने कर्नाटक सरकार को माताओं के दूध की बिक्री के लाइसेंस रद्द करने का निर्देश दिया
केंद्र सरकार ने बुधवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उसने राज्य सरकार को निजी कंपनियों को माताओं का दूध एकत्र करने, संसाधित करने और बिक्री करने की अनुमति देने वाले लाइसेंस रद्द करने का निर्देश दिया है।
केंद्र सरकार ने बुधवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उसने राज्य सरकार को निजी कंपनियों को माताओं का दूध एकत्र करने, संसाधित करने और बिक्री करने की अनुमति देने वाले लाइसेंस रद्द करने का निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय मुनेगौड़ा नामक व्यक्ति द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा था, जिसने महिलाओं के स्तन के दूध के संग्रह और बिक्री से मुनाफा कमाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बारे में चिंता जताई थी।
सुनवाई के दौरान, कर्नाटक उच्च न्यायालय के लिए भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अरविंद कामथ ने मुख्य न्यायाधीश एन.वी. अंजारिया और न्यायमूर्ति के.वी. अरविंद की पीठ को बताया कि केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने हाल ही में कर्नाटक सरकार को इस तरह के लाइसेंस के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
उन्होंने कहा कि इन निर्देशों के बाद, कर्नाटक सरकार द्वारा निजी कंपनियों को जारी किए गए कई लाइसेंस रद्द किए गए हैं।
कामथ ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने राज्य को ऐसे सभी लाइसेंस रद्द करने का आदेश दिया है। कुछ कंपनियों को शुरू में आयुर्वेदिक मानदंडों के तहत ये लाइसेंस मिले थे, जो माताओं के दूध के व्यावसायिक उपयोग की अनुमति देते थे। हालांकि, अब केंद्र ने हस्तक्षेप किया है, और राज्य ने इनमें से कुछ लाइसेंस रद्द करके अनुपालन किया है। कम से कम एक कंपनी का लाइसेंस पहले ही रद्द कर दिया गया है, और उसने इस रद्दीकरण को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।’’
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता बी. विश्वेश्वरैया ने ‘पैकेज्ड ब्रेस्ट मिल्क’ की 50 एमएल की बोतल और ‘पाउडर ब्रेस्ट मिल्क’ का 10 ग्राम का पैकेट पेश किया, जिसमें क्रमशः 1,239 रुपये और 313 रुपये की बिक्री कीमत अंकित थी।
मामले की अगली सुनवाई चार दिसंबर को होगी।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Updated 19:54 IST, November 13th 2024