अपडेटेड 26 July 2023 at 20:59 IST
विक्रम बत्रा से मनोज पांडेय तक, कारगिल के इन 4 परमवीरों की कहानी आपको जोश से भर देगी
कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के 4 रणबांकुरों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
- भारत
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आज 26 जुलाई के दिन भारत कारगिल विजय दिवस की 24वीं वर्षगांठ मना रहा है। 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के 4 रणबांकुरों के देश के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इन जाबांजों के शौर्य ने युद्ध की दशा और दिशा बदल दी थी।
खबर में आगे पढ़ें...
- आज के दिन भारत मना रहा है कारगिल विजय दिवस
- कारगिल युद्ध में सेना के 4 रणबांकुरों को मिले थे परमवीर चक्र
- 2 युवा अधिकारियों और 2 जवानों ने दिखाया था अप्रतिम शौर्य
कारगिल युद्ध में देश के जवानों ने अप्रतिम शौर्य दिखाया था। 8 जुलाई 1999 को शुरू हुए कारगिल युद्ध में सेना के जवानों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को पीछे धकेल दिया।
कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के 4 रणबांकुरों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इसमें से 2 अधिकारी कैप्टन विक्रम बत्रा और लेफ्टिनेंट मनोज पांडेय के साथ 2 जवान राइफलमैन संजय कुमार और ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
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कैप्टन विक्रम बत्रा- ये दिल मांगे मोर!
भारतीय सेना की 13 जम्मू कश्मीर राइफल्स के अधिकारी कैप्टन विक्रम बत्रा कारगिल के शहीद अधिकारी हैं। कैप्टन बत्रा ने अपनी यूनिट के साथ प्वाइंट 4875 पर फतह हासिल की थी। यहीं दुश्मन से लोहा लेते हुए कैप्टन बत्रा ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। कैप्टन बत्रा को उनके शानदार शौर्य के लिए परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया।
शहादत से पहले कैप्टन बत्रा ने रॉकी नॉब पर जीत दर्ज की थी। यहां जीत के बाद उन्होंने मशहूर शब्द 'ये दिल मांगे मोर!' कहे थे। जिसने पूरे देश को जोश से भर दिया था। कैप्टन बत्रा का कोडनेम शेरशाह भी कारगिल में काफी चर्चित था।
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लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय- मैं मौत को भी मार दूंगा!
सेना के युवा अधिकारी रहे लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय 1/11 गोरखा राइफल्स से थे। उन्होंने हाल ही में कमीशन लिया था। ले. पांडेय ने कारगिल में अहम बटालिक सेक्टर के खालूबार में दुश्मन से लोहा लिया था।
अपने साथियों के साथ दुश्मन से लोहा लेते हुए खालूबार में लेफ्टिनेंट पांडेय ने शानदार शौर्य दिखाया था। लेफ्टिनेंट पांडेय को भी मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। लेफ्टिनेंट मनोज पांडेय की ये लाइन काफी मशहूर है, जब उन्होंने कहा था कि 'अगर मेरे खून को साबित करने से पहले मेरी मौत भी आती है, तो मैं वादा करता हूं कि मैं मौत को भी मार दूंगा...'
राइफलमैन संजय कुमार
राइफलमैन संजय कुमार भी कैप्टन विक्रम बत्रा के साथ 13वीं बटालियन, जम्मू-कश्मीर राइफल्स के सिपाही थे। उन्होंने युद्ध के दौरान दुश्मन के ठिकानों पर कब्ज़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दुश्मन की भारी गोलाबारी के सामने उनके दृढ़ संकल्प और साहस के कारण 16,000 फीट की ऊंचाई पर एक महत्वपूर्ण प्वाइंट पर दोबारा कब्जा किया।
इस दौरान राइफलमैन संजय कुमार ने एक बंकर से अंधाधुंध मशीनगन के फायर को अपने हाथों से रोका था और दुश्मन के खिलाफ धावा बोल दिया। इस दौरान राइफलमैन संजय कुमार को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। संजय कुमार हाल ही में सूबेदार पद से रिटायर हुए।
ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव
ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव 18 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट का हिस्सा थे। दुश्मन के तीव्र प्रतिरोध का सामना करते हुए, उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल पर हमले का नेतृत्व किया। दुश्मन की गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल होने के बाद योगेंद्र सिंह यादव ने असाधारण वीरता और नेतृत्व का प्रदर्शन किया। उनके शौर्य के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। योगेन्द्र सिंह यादव हाल ही में कैप्टन (ऑनरेरी) रैंक से रिटायर हुए।
Published By : Nripendra Singh
पब्लिश्ड 26 July 2023 at 18:43 IST