Published 23:33 IST, December 13th 2024
3 दोषियों को 31 साल बाद कोर्ट ने किया रिहा, 200 रुपये के लिए हत्या के मामले में काट रहे थे उम्रकैद
किशन पंडित, जमदार पंडित और लखी पंडित को 6 जून, 1997 को देवघर की सत्र अदालत ने दोषी करार दिया। अब अपील पर सुनवाई के बाद अदालत ने रिहा करने का निर्देश दिया।
रांची, 13 दिसंबर (भाषा) झारखंड उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को देवघर जिले में मात्र 200 रुपये के विवाद में हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए तीन दोषियों को तीन दशक से अधिक समय बाद रिहा करने का आदेश दिया।
किशन पंडित, जमदार पंडित और लखी पंडित की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए अदालत ने उन्हें 31 साल की मुकदमेबाजी के बाद मामले से मुक्त कर दिया। अपील के लंबित रहने के दौरान एक अन्य दोषी लखन पंडित की मौत हो गई थी। मामला तीन दिसंबर 1993 का है, जब जसीडीह थाना क्षेत्र में 200 रुपये की मामूली रकम को लेकर विवाद हुआ था। लखन ने कृषि कार्यों के लिए नुनु लाल महतो से यह रकम उधार ली थी, लेकिन वह उचित समय के भीतर कर्ज चुकाने में विफल रहा।
1997 में कोर्ट ने दिया दोषी करार
जब महतो ने कर्ज चुकाने के लिए उससे संपर्क किया, तो तनाव बढ़ गया जिसके बाद महतो पर आरोपियों ने हमला किया, जिससे उनकी मौत हो गई। महतो का बेटा भैरव इस घटना का चश्मदीद था। इसके बाद, अभियुक्तों - किशन पंडित, जमदार पंडित और लखी पंडित - को छह जून, 1997 को देवघर की सत्र अदालत ने दोषी करार दिया। उनकी दोषसिद्धि के बाद पटना उच्च न्यायालय में अपील की गई, जिसने अभियुक्तों को जमानत दे दी।
बाद में राज्य के विभाजन के बाद, 2000 में मामले को नवगठित झारखंड उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया। तब से, यह मामला तीन दशकों से अधिक समय तक अधर में लटका रहा। अपील पर सुनवाई के बाद अदालत ने दोषियों को रिहा करने का निर्देश दिया, और आजीवन कारावास की सजा को उनके द्वारा पहले से हिरासत में बिताई गई अवधि में बदल दिया।
ये भी पढ़ें: 'राहुल गांधी हाजिर हों...', सावरकर के खिलाफ टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता को कोर्ट ने किया तलब
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Updated 23:33 IST, December 13th 2024