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Published 13:51 IST, July 6th 2024

झारखंड में हेमंत सोरेन ने लिखी बिहार पार्ट-2 की पटकथा, जीतन मांझी की तरह चंपई का भी बढ़ जाएगा कद?

28 जून 2024 को हेमंत सोरेन जेल से बाहर आए तो अंदेशा था कि चंपई सोरेन की कुर्सी खतरे में है। फिर 3 जुलाई 2024 को चंपई सोरेन को CM पद इस्तीफा देना भी पड़ा।

Reported by: Digital Desk
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CM Hemant Soren, Champai Soren and Jitan Ram Manjhi
हेमंत सोरेन, चंपई सोरेन और जीतन राम मांझी | Image: Facebook/PTI

Jharkhand Politics: मुख्यमंत्री की कुर्सी छिनने के बाद झारखंड के बड़े नेता चंपई सोरेन फिलहाल खामोश हैं। तो क्या मान लिया जाए कि उनकी खामोशी के पीछे एक बड़ा तूफान खड़ा हो रहा है। खैर, जो भी हो, लेकिन पिछले दिनों में हेमंत सोरेन के आसपास गठबंधन के नेताओं का झुंड दिखा है, इसमें चंपई सोरेन की मौजूदगी JMM के कार्यकारी अध्यक्ष के इर्द-गिर्द थी ही नहीं। ये सब कुछ बतलाता है कि चंपई सोरेन नाराज हैं और अगर आक्रोश में जेएमएम के दिग्गज नेता ने कोई बड़ा कदम उठा लिया तो ये हेमंत सोरेन को भारी पड़ सकता है।

जब 28 जून 2024 को हेमंत सोरेन जेल से बाहर आए तो अंदेशा हो चुका था कि मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की कुर्सी अब खतरे में है। हेमंत सोरेन ने पहले दो चार दिन पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं और अपने करीबी समर्थकों के बीच बिताए। एक तरीके से इस वक्त में हेमंत सोरेन ने राज्य के राजनीतिक माहौल के समझने के साथ नेताओं के मन को पढ़ने की कोशिश की। फिर 3 जुलाई को हेमंत सोरेन ने जो फैसला लिया, वो हैरान करने वाला था और शायद वो भूल गए थे कि उनका ये फैसला 'बिहार पार्ट-2 की पटकथा' लिखने वाला है।

चंपई दिखा चुके हैं हेमंत सोरेन को ताकत!

चंपई सोरेन की ताकत को हेमंत सोरेन पहले देख चुके हैं, जब कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री की रेस में उन्होंने पछाड़ दिया था। जल्द लोकसभा चुनाव होने वाले थे, ईडी की हथकंडा हेमंत सोरेन को लग चुका था। 31 जनवरी 2024 को गिरफ्तारी से पहले वो मुख्यमंत्री पद छोड़ चुके थे। उस समय चर्चाएं थीं कि हेमंत सोरेन झारखंड में लालू यादव का प्रयोग कर सकते हैं। खैर, बिहार से झारखंड अलग चुका है तो राजनीति भी अलग सिरे की दिखी है। माना जा रहा था कि हेमंत की गैरमौजूदगी में सत्ता और संगठन की जिम्मेदारी उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को सौंपी जा सकती है। हालांकि यहां चंपई सोरेन बाजी मार गए। खैर, अभी चंपई सोरेन से मुख्यमंत्री पद छिन चुका है। ठीक वैसे है, जैसे बरसों पहले बिहार में जीतन राम मांझी के साथ हुआ था।

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जीतन राम मांझी की कहानी

झारखंड की सियासत का नाटकीय घटनाक्रम बिहार की घटना से मिलती-जुलता है। हेमंत सोरेन जैसी गलती कुछ सालों पहले बिहार में नीतीश कुमार ने की थी। दोनों की पटकथा में अंतर मात्र इतना है कि हेमंत सोरेन को जेल जाने से पहले अपना इस्तीफा देना पड़ा, जबकि कुछ सालों पहले नीतीश कुमार ने चुनावों में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अप्रत्याशित रूप से इस्तीफा दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का प्रदर्शन खराब रहा था। नतीजन नीतीश ने खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी ली और 9 मई 2014 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उस समय नए मुख्यमंत्री के रूप में जीतन राम मांझी के नाम ने हर किसी को चौंका दिया था।

जीतन राम मांझी को CM की कुर्सी थाली में सजा कर दी गई थी। महादलित समाज से आने वाले मांझी नीतीश कुमार के 'विश्वासपात्र' थे। 20 मई 2014 को जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने। फिर जब बिहार का राजनीतिक तूफान शांत पड़ा तो नीतीश कुमार ने मांझी का इस्तीफा मांग लिया था। एक वक्त तो मांझी ने इस्तीफा देने से इनकार ही कर दिया था। बाद में तेजी से बदले हालातों के बीच ही मांझी ने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था। यहीं से नीतीश कुमार से उनका साथ छूट गया। जीतन राम मांझी ने अपनी खुद की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा का गठन कर लिया। इसी घटनाक्रम के बाद मांझी सियासत के राष्ट्रीय फलक तक पहुंच गए और उन्हें पैन इंडिया पहचान मिली। खैर, नीतीश कुमार की राजनीति के अलग जीतन राम मांझी ने खुद को बिहार में स्थापित कर भी लिया है। संसद से लेकर बिहार विधानसभा में जीतन राम मांझी के दल की मौजूदगी थी। इतना ही नहीं, मांझी नरेंद्र मोदी कैबिनेट का भी हिस्सा हैं।

बढ़ सकता है चंपई सोरेन का कद?

फिलहाल झारखंड में हेमंत सोरेन की लिखी 'बिहार पार्ट-2 की पटकथा' में चंपई सोरेन ने अपने किरदार से जान झोंक दी तो ये तय है कि जीतन राम मांझी की तरह उनका कद झारखंड की राजनीति में ऊंचा हो सकता है। लगभग 5 महीनों के लिए ही सही, लेकिन चंपई सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी कार्यशैली और संगठनात्मक शक्ति का परिचय दिया। इससे चंपई सोरेन की सियासत को मजबूती भी मिली है और नई पहचान भी। जल्द झारखंड में विधानसभा के चुनाव हैं। ऐसे में चंपई सोरेन को अपनी काबिलियत और ताकत को दिखाने का मौका होगा। वो इमोशनल कार्ड खेलकर भी हेमंत सोरेन के सामने मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। बहरहाल, चंपई सोरेन का अगला राजनीतिक कदम क्या होगा, इसी को समझना सबसे अहम है।

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Updated 13:51 IST, July 6th 2024