Published 21:02 IST, December 13th 2024
विरोध-प्रदर्शन का गांधीवादी तरीका अपनाएं किसान : उच्चतम न्यायालय
SC ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को तत्काल मेडिकल हेल्प उपलब्ध कराने का निर्देश दे कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को विरोध का गांधीवादी तरीका अपनाना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए शुक्रवार को कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को विरोध का गांधीवादी तरीका अपनाना चाहिए।
पंजाब-हरियाणा सीमा पर एक पखवाड़े से अधिक समय से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ रही है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत एवं न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने केंद्र और पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को डल्लेवाल से तुरंत मुलाकात करने का निर्देश दिया, जो 17 दिन से अधिक समय से अनशन पर हैं।
पीठ को जब बताया गया कि हिंसक आंदोलन के कारण दोनों जगहों पर समस्याएं उत्पन्न हुई हैं, तो पीठ ने कहा, ‘‘किसानों को हिंसक नहीं होना चाहिए और शांतिपूर्ण आंदोलन करना चाहिए। उन्हें विरोध प्रदर्शन का गांधीवादी तरीका अपनाना चाहिए क्योंकि उनकी शिकायतों पर विचार किया जा रहा है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘पंजाब और केंद्र सरकार का यह कर्तव्य है कि वे सभी शांतिपूर्ण उपाय करें और डल्लेवाल को अनशन तोड़ने के लिए मजबूर किए बिना उन्हें तत्काल पर्याप्त चिकित्सा सहायता प्रदान करें, जब तक कि उनकी जान बचाने के लिए ऐसा करना आवश्यक न हो।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि शंभू और खनौरी सीमाओं पर आंदोलनकारी किसानों को हिंसक नहीं होना चाहिए और राजमार्ग यातायात को बाधित नहीं करना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उसके द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय समिति, जिसके बारे में कहा गया है कि वह अच्छा काम कर रही है, प्रदर्शनकारी किसानों से बात करेगी और अदालत को सिफारिशें देगी, जिन्हें अंततः निर्णय के लिए हितधारकों के समक्ष रखा जाएगा।
पीठ ने कहा, ‘‘हमें ऐसा कोई आदेश पारित नहीं करना चाहिए, जिसे लागू करना बहुत मुश्किल हो। अंतत: हितधारकों को ही निर्णय लेना होगा।’’
पीठ ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान अस्थायी रूप से अपना धरना स्थल बदल सकते हैं और राजमार्गों को खाली कर सकते हैं या शायद अस्थायी रूप से आंदोलन को स्थगित भी कर सकते हैं, ताकि समिति हितधारकों द्वारा उचित विचार-विमर्श के बाद अपनी सिफारिशें दे सके।
पीठ ने कहा कि सदस्य सचिव (उच्चाधिकार प्राप्त समिति) अदालत में मौजूद थे और उन्होंने आश्वासन दिया है कि अगली बैठक में वह अदालत के सुझावों के मद्देनजर किसानों को विरोध प्रदर्शन को अस्थायी रूप से निलंबित करने या किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए राजी करेंगे।
पीठ ने समिति को इस संबंध में संक्षिप्त वस्तु स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की सुनवाई के दौरान एक वकील ने मीडिया की एक खबर का उल्लेख किया जिसमें कहा गया था कि वरिष्ठ नागरिक डल्लेवाल पिछले 17 दिनों से अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं और उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है।
पीठ ने निर्देश दिया, ‘‘इस संबंध में पंजाब के पुलिस महानिदेशक और अधिकारी केंद्र के प्रतिनिधि के साथ, यदि इससे संकट को कम करने में मदद मिलती है, तो वे तुरंत डल्लेवाल और धरने पर बैठे अन्य किसान नेताओं से मिलें, ताकि उन्हें यह समझाया जा सके कि अब पहली प्राथमिकता डल्लेवाल को पर्याप्त आपातकालीन चिकित्सा सहायता प्रदान करना होना चाहिए।’’
न्यायमूर्ति कांत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह से इस संबंध में तुरंत आवश्यक कदम उठाने को कहा। जब सिंह ने डल्लेवाल के आसपास 2,000 से अधिक किसानों के मुद्दों को उठाने का प्रयास किया, तो पीठ ने कहा कि पंजाब सरकार के अधिकारी उनसे बात कर रहे हैं, इसलिए, उन्हें अपना अनशन समाप्त करने के लिए मनाने के प्रयास किए जाने चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘आपके अधिकारियों की उन तक सीधी पहुंच है। वे उनसे सीधा संवाद और संपर्क करने की स्थिति में हैं और यहां तक कि उनके साथ बैठे अन्य किसान नेताओं से भी। उन्हें भी एहसास होगा कि डल्लेवाल का जीवन किसी भी चीज से ज्यादा कीमती है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘आंदोलन शुरू होंगे, जारी रहेंगे और फिर बंद हो जाएंगे। भविष्य में भी आंदोलन होंगे लेकिन उनके जैसा व्यक्ति, जिस तरह का उनका कद है, उनका जीवन किसी भी चीज से अधिक महत्वपूर्ण है। अभी, उन सभी को यह सुनिश्चित करने के लिए आगे आना चाहिए कि उनका जीवन बच जाए।’’
पीठ ने संकेत दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो डल्लेवाल को चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर (स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान) या पटियाला के किसी अन्य अस्पताल में स्थानांतरित किया जा सकता है। अदालत किसान नेता को अस्पताल में स्थानांतरित करने के संबंध में 17 दिसंबर को विचार करेगी।
डल्लेवाल 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर अनशन पर हैं ताकि केंद्र पर फसलों के एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी सहित आंदोलनकारी किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया जा सके।
सुरक्षा बलों द्वारा किसानों के दिल्ली कूच को रोके जाने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।
किसानों की शिकायतों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कृषि संकट के कारणों को सूचीबद्ध किया है, जिनमें स्थिर उपज, बढ़ती लागत और कर्ज तथा अपर्याप्त विपणन प्रणाली शामिल हैं।
शंभू सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह की अध्यक्षता में दो सितंबर को गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी मान्यता देने और प्रत्यक्ष सहायता की पेशकश की संभावना पर गौर करने सहित विभिन्न समाधान सुझाए हैं।
Updated 21:02 IST, December 13th 2024