Published 23:57 IST, December 3rd 2024
सिद्धरमैया की पत्नी से जुड़े भूखंड मामले में अनियमितता के सबूत मिले: ईडी
ED को MUDA द्वारा कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी बीएम पार्वती को 14 भूखंडों आवंटित करने के मामले में कई अनियमितताओं के सबूत मिले हैं।
Advertisement
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मैसुरु शहर विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की पत्नी बीएम पार्वती को 14 भूखंडों आवंटित करने के मामले में कई अनियमितताओं के सबूत मिले हैं। केंद्रीय एजेंसी ने यह जानकारी दी।
संघीय एजेंसी ने हाल में कर्नाटक लोकायुक्त विभाग को भेजे गए एक पत्र में यह भी दावा किया कि उसकी जांच में यह भी पता चला है कि एमयूडीए ने बेनामी और अन्य ऐसे लेनदेन में कुल 1,095 भूखंडों को “अवैध रूप से” आवंटित किया है।
राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले में प्रवर्तन निदेशालय की धन शोधन जांच के दौरान पार्वती को भूमि आवंटन में "वैधानिक दिशा-निर्देशों के उल्लंघन" व साक्ष्यों से "छेड़छाड़", कार्यालय प्रक्रियाओं का उल्लंघन, "अनुचित" पक्षपात और प्रभाव का उपयोग और हस्ताक्षरों में "जालसाजी" के सबूत मिले हैं।
एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि उसे इस बात के सबूत मिले हैं कि सिद्धरमैया के निजी सहायकों में से एक एस. जी. दिनेश कुमार उर्फ सीटी कुमार ने इस प्रक्रिया में “अनुचित प्रभाव” डाला था।
‘पीटीआई-भाषा’ को जांच रिपोर्ट तक मिली पहुंच और आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पार्वती मामले के साथ ही एमयूडीए में कथित अवैध गतिविधियां समाप्त नहीं हुईं, बल्कि कुल 1,095 भूखंड अवैध रूप से आवंटित किए गए हैं जिनका बाजार मूल्य 700 करोड़ रुपये है।
ईडी की जांच में पाया गया,“अधिकांश आवंटन भूमि गंवाने वालों की आड़ में बेनामी या फर्जी व्यक्तियों के नाम पर किए गए हैं। इन अवैध आवंटनों के लाभार्थी रियल एस्टेट व्यवसायी और प्रभावशाली व्यक्ति हैं।”
ईडी सिद्धरमैया, पार्वती, मुख्यमंत्री के साले मल्लिकार्जुन स्वामी, देवराजू व अन्य के खिलाफ धनशोधन की जांच कर रही है। देवराजू वह शख्स है जिससे मल्लिकार्जुन ने ज़मीन खरीदकर पार्वती को उपहार में दी थी।
ईडी कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस की प्राथमिकी पर संज्ञान लेकर जांच कर रही है।
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत हाल में भेजे गए पत्र में लोकायुक्त को सूचित किया है कि यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि वैधानिक दिशानिर्देशों का "उल्लंघन" करते हुए पार्वती को "अवैध रूप से" 14 भूखंड आवंटित किए गए। ईडी ने कहा कि जब पार्वती को ये भूखंड आवंटित किए गए थे तब उनके बेटे यतीन्द्र वरुणा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक थे और इसलिए एमयूडीए बोर्ड के सदस्य थे। सिद्धरमैया तब विपक्ष के नेता थे।
ईडी ने दावा किया है कि जांच में पाया गया कि मुख्यमंत्री के निजी सहायक एसजी दिनेश कुमार उर्फ सीटी कुमार ने एमयूडीए के कार्यालय में "अनुचित" प्रभाव डाला।
ईडी ने पाया कि उन्होंने "जाली" हस्ताक्षर भी किए और पार्वती को भूखंडों के आवंटन की प्रक्रिया को "प्रभावित" किया।
केंद्रीय एंजेंसी ने कहा कि उक्त भूखंडों को “गलत” तथ्यों और “प्रभाव” के आधार पर “अवैध रूप से” गैर-अधिसूचित किया गया था और बाद में भूमि को मल्लिकार्जुन स्वामी ने कृषि भूमि के रूप में खरीदा था जबकि भूमि पर एमयूडीए पहले ही कुछ निर्माण करा चुका था और देवराजू द्वारा स्वामी को भूमि बेचने से पहले ही जमीन आवंटित की गई थी।
एजेंसी ने कहा कि हर्जाने के तौर पर भूखंडों का आवंटन करने के लिए वैधानिक नियमों का उल्लंघन (पार्वती से जुड़ी) एक बार की घटना नहीं थी, बल्कि इसमें रियल स्टेट कारोबारियों, प्रभावशाली व्यक्तियों और एमयूडीए के अधिकारियों की बीच गहरा गठजोड़ है।
इस मामले में मुख्यमंत्री से लोकायुक्त पूछताछ कर चुका है। सिद्धरमैया ने कहा है कि उन्होंने और उनके परिवार ने कुछ भी गलत नहीं किया है। उनका कहना है कि आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं, क्योंकि विपक्ष उनसे डरा हुआ है।
आरोप है कि एमयूडीए ने पार्वती की भूमि का अधिग्रहण करने के बाद इसके बदले में उन्हें मैसुरू के पॉश इलाके में 14 भूखंड आवंटित किए जिनकी कीमत अधिग्रहण की गई जमीन से ज्यादा थी।
Updated 23:57 IST, December 3rd 2024