पब्लिश्ड 18:13 IST, December 21st 2024
इंजीनियर को 6 दिन रखा डिजिटल अरेस्ट, आपके साथ हो ऐसा, तो साइबर ठगी से कैसे बचें?
ये पहली बार नहीं है जब इस तरह का मामला सामने आया हो, लेकिन साइबर ठगी का तरीका एक ही है। जिसको लेकर अगर आप जागरुक रहें तो इसका शिकार होने से बच सकते हैं।
How to avoid cyber fraud : क्या आम और क्या खास, साइबर ठग हर किसी को निशाना बना रहे हैं। देश में लगातार ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है। डिजिटल अरेस्ट का ये खेल अब इस कदर अपनी जड़ें जमा चुका है कि हर रोज कोई ना कोई इसका शिकार हो रहा है। लोगों को साइबर ठग कॉल करके डरा रहे हैं और लोग इस खेल में फंसते ही जा रहे हैं। हरियाणा के फरीदाबाद में एक इंजीनियर को साइबर ठगों ने 6 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा, लेकिन एक गलती ने पूरे खेल का पर्दाफाश कर दिया।
फरीदाबाद में साइबर ठगों ने सेक्टर-55 हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहने वाले इंजीनियर को 6 दिसंबर की सुबह कोरियर कंपनी के नाम से विदेशी नंबर से कॉल किया। इस दौरान ठगों ने एयरपोर्ट पर पार्सल पकड़े जाने की बात कर डराने धमकाने की कोशिश की। पार्सल को उनके आधार कार्ड नंबर से जुड़ा हुआ बताया गया। जिससे इंजीनियर परेशान होकर ठगों के झांसे में आ गए।
ठगों ने इजीनियर से क्या कहा?
ठगों ने इजीनियर को फोन कर खुद को क्राइम ब्रांच और CBI अधिकारी बताया। पीड़ित से उसके आधार कार्ड और अन्य की जानकारी मांगी गई। वॉकी टॉकी के जरिए पुलिस अधिकारी से बात कराने की बात कही। इसके बाद नकली पुलिस अधिकारी ने ठगी का शिकार हुए इंजीनियर को 4 अवैध तरीके से अकाउंट खुले होने की बात कही। आरोप लगाया कि इन अकाउंट के जरिये 1.8 मिलियन डालर की ट्रांजैक्शन हुई है। जिसके लिए कानूनी कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार करना पड़ेगा।
एक गलीत से पर्दाफाश
6 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखने के बाद 12 दिसंबर की सुबह साइबर ठग एक गलती कर बैठते है। जिससे इंजीनियर इनके पूरे खेल को समझ जाता है और सीधे शिकायत पुलिस से करता है। 12 दिसंबर की सुबह साइबर ठग बिना माइक म्यूट किए ही दूसरे लोगों को झांसे में फंसाने की बात कर रहे थे। जिससे इंजीनियर को शक हुआ और पूरे मामले का पर्दाफाश हो गया।
हालांकि ये कोई पहली बार नहीं है जब इस तरह का मामला सामने आया हो, लेकिन साइबर ठगों की ठगी का तरीका एक ही है। जिसको लेकर अगर आप जागरुक रहें तो इसका शिकार होने से बच सकते हैं।
ठगों के हथियार
जरा सी सावधानी से आप साइबर ठगों के चंगुल में आने से बच सकते हैं। आमतौर पर लोगों को शिकार बनाते हुए ठग एक जैसा ही तरीका अपनाते हैं। ठगों के 4 मुख्य 'हथियार' है।
- कोरियर
- फाइनेंशियल फ्रॉड
- मनी लॉन्ड्रिंग
- ट्रैफिकिंग
- झूठे आरोप
डिजिटल अरेस्ट का सेटअप
ठगी को असली दिखाने के लिए पूरा सेटअप तैयार किया जाता है। इसमें फेक ऑफिस, बैकग्राउंड में पुलिस स्टेशन या सरकारी ऑफिस, खुद को असली दिखाने के लिए पुलिस और अधिकारियों जैसी यूनिफॉर्म, फर्जी फाइल्स और वॉकी टॉकी का प्रयोग करते हैं। जिससे पीड़ित को जरा सा भी शक ना हो। पीड़ित को मोबाइल पर कॉल कर फर्जी आरोप लगाए जाते हैं और जाल में फंसने पर पैसों की डिमांड करते हैं। वीडियो कॉल करने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) का इस्तेमाल किया जाता है। VPN से ठगों की लोकेशन बदलती रहती है।
डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?
साइबर ठगों के चंगुल में आने से बचने के लिए आपको सावधानी से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना चाहिए। इंटरनेट, स्मार्टफोन पर मजबूत प्राइवेसी सेटिंग्स रखें। अनजान नंबर से वॉयस या वीडियो कॉल उठाने से बचें। विदेशी नंबरों से आने वाले कॉल का खास ख्याल रखें। SMS, ईमेल पर अनजान लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए। OTP और अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड की जानकारी किसी के साथ भी साझा ना करें। पैसों की डिमांड करने पर पुलिस को शिकायत करें।
कहां करें साइबर ठगी की शिकायत?
ठगी का शिकार होने पर 24 से 48 घंटे में शिकायत करना जरूरी है। साइबर क्राइम की शिकायत के लिए 1930 नंबर है। हर दिन इस नंबर पर 45 से 50 हजार कॉल आती है। दिसंबर, 2023 में इस नंबर पर 12 लाख से ज्यादा कॉल आए हैं। 2023 में हर एक लाख लोगों पर 129 शिकायतें आई। सबसे ज्यादा शिकायतें हरियाणा, गुजरात, तेलंगाना और गोवा से आती हैं।
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अपडेटेड 18:13 IST, December 21st 2024