अपडेटेड 19 March 2021 at 15:04 IST
स्पाइनल मस्क्यूलर बीमारी की दवा सहित सभी जीवन रक्षक दवाओं पर आयात शुल्क में छूट: वित्त मंत्रीसीतारमण
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि स्पाइनल मस्क्यूलर बीमारी की दवा सहित सभी जीवन रक्षक दवाओं पर कोई आयात शुल्क नहीं लगता है।
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि रीढ़ की हड्डी संबंधी स्पाइनल मस्क्यूलर बीमारी की दवा सहित सभी जीवन रक्षक दवाओं पर कोई आयात शुल्क नहीं लगता है लेकिन इस पर पांच प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जरूर लगता है।
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान स्पष्टीकरण देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी दरें जीएसटी परिषद तय करती है लेकिन विशेष परिस्थितियों में केंद्रीय वित्त मंत्री के पास ऐसे मामलों में छूट देने का अधिकार है। इसं संदर्भ में आए आवेदनों के आधार पर और मामलों की गंभीरता को देखते हुए निर्णय लिया जाता है।
ज्ञात हो कि बुधवार को उच्च सदन में कांग्रेस के सदस्य विवेक तनखा ने कई बच्चों के स्पाइनल मस्क्यूलर बीमारी से पीड़ित होने और इस रोग की दवा की कीमत 16 करोड़ रुपये होने का मुद्दा उठाया था।
उन्होंने कहा था कि इस बीमारी की एक ही दवा है जो अमेरिका में बनती है और उसकी कीमत 16 करोड़ रुपये है और इसके अलावा उस पर सात करोड़ रुपये का कर भी लगता है।
तनखा द्वारा उठाए गए इस मुद्दे को संज्ञान में लेते हुए सीतारमण ने शून्यकाल में कहा, ‘‘मैं सदन को अवगत कराना चाहती हूं कि सदस्य का आकलन सही नहीं हो सकता है।’’
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उन्होंने कहा कि निजी उपयोग वाली सभी जीवन रक्षक दवाओं पर सीमा शुल्क की छूट है। यह छूट या तो बिना शर्त है या फिर केंद्र व राज्यों के स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशकों या अधिकृत अधिकारियों द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्रों के आधार पर दी जाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए निजी उपयोग के लिए स्पाइनल मस्क्यूलर बीमारी की दवा के आयात पर छूट का प्रावधान है। हालांकि ऐसी जीवन रक्षक दवाओं पर पांच प्रतिशत जीएसटी जरूर लगता है और इस मामले में (स्पाइनल मस्क्यूलर बीमारी) में कर की राशि 80 लाख होती है।’’
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वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि जीएस परिषद की सिफारिशों के आधार पर दरें तय की जाती हैं और परिषद केंद्रीय वित्त मंत्री को मामलों और आवेदनों के आधार पर छूट का विशेष अधिकार देती है।
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि जब तनखा ने सात करोड़ रुपये कर लगने की बात बताई तो वह भी चौंक गए।
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उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत गंभीर मामला लगा। वित्त मंत्री ने स्वत: ही इस मामले में स्पष्टीकरण देने की इच्छा जताई।’’
इससे पहले तनखा ने कहा था कि इस बीमारी से प्रभावित होने वाले अधिकतर बच्चे गरीब परिवारों से होते हैं।
उन्होंने कहा कि अपने देश में हर साल करीब ढाई हजार बच्चे पैदा होते हैं जो ऐसी परेशानी से ग्रस्त होते हैं।
उन्होंने सुझाव दिया था कि सरकारी स्तर पर मोलभाव कर दवा की कीमत कम की जा सकती है। इसके अलावा दवा पर लगने वाले कर को हटाया जा सकता है। उन्होंने मांग की कि केंद्र और राज्य को ऐसे बच्चों की मदद के लिए एक कोष गठित करनी चाहिए।
Published By : Press Trust of India (भाषा)
पब्लिश्ड 19 March 2021 at 15:04 IST