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Published 10:56 IST, September 9th 2024

'देवता का अर्थ ईश्वर नहीं है'... विदेशी धरती पर राहुल गांधी ने क्यों कहा ऐसा? हो रही बयान की चर्चा

राहुल गांधी इस बार कह रहे हैं कि देवता का अर्थ ईश्वर नहीं है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी तीन दिन के अमेरिकी दौरे पर गए हैं।

Reported by: Digital Desk
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Congress MP Rahul Gandhi
राहुल गांधी ने टैक्सास में आपत्तिजनक बयान दिया। | Image: Facebook

Rahul Gandhi : कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर विदेशी धरती से आपत्तिजनक बयान दिया है। राहुल गांधी इस बार कह रहे हैं कि 'देवता का अर्थ ईश्वर नहीं है'। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी तीन दिन के अमेरिकी दौरे पर गए हैं। टेक्सास यूनिवर्सिटी में राहुल ने छात्रों के साथ संवाद में ये टिप्पणी की। कांग्रेस सांसद के इस बयान की अब तेजी से चर्चा हो रही है।

राहुल गांधी ने बताया कि 'देवता' शब्द को अक्सर दैवीयता के साथ जोड़कर गलत समझा जाता है। कांग्रेस सांसद ने कहा, 'भारत में देवता का मतलब वास्तव में एक ऐसा व्यक्ति है जिसकी आंतरिक भावनाएं उसकी बाहरी अभिव्यक्ति के समान ही हैं, जिसका अर्थ है कि वो पूरी तरह से पारदर्शी व्यक्ति है, इसका मतलब भगवान नहीं है। अगर कोई व्यक्ति मुझे वो सब कुछ बताता है, जो वो मानता है या सोचता है और इसे खुले तौर पर व्यक्त करता है, तो वो देवता की परिभाषा है। हमारी राजनीति के बारे में दिलचस्प बात ये है कि आप अपने विचारों को कैसे दबाते हैं, आप अपने डर, लालच या महत्वाकांक्षाओं को कैसे दबाते हैं और दूसरे लोगों के डर और महत्वाकांक्षाओं का निरीक्षण कैसे करते हैं।'

राहुल गांधी ने अमेरिका में चीन की तारीफ की

यही नहीं, विदेशी धरती पर राहुल गांधी ने भारत की कमियां गिनाई और चीन की तारीफ की। कांग्रेस नेता ने कहा कि पश्चिम में रोजगार की समस्या है। भारत में रोजगार की समस्या है, लेकिन दुनिया के कई देशों में रोजगार की समस्या नहीं है। चीन में निश्चित रूप से रोजगार की समस्या नहीं है। राहुल गांधी ने बेरोजगारी के कारण युवाओं के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में बात की और कहा कि उत्पादन के कार्य से नौकरियां पैदा होती हैं। लेकिन भारत उपभोग को व्यवस्थित करता है, जो चिंता का कारण है।

राहुल ने कहा कि अगर आप 1940, 50 और 60 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका को देखें तो वो वैश्विक उत्पादन का केंद्र थे। कार, वाशिंग मशीन, टीवी, सब संयुक्त राज्य अमेरिका में बनाया जाता था। उत्पादन अमेरिका से चला गया। ये कोरिया गया, ये जापान गया। आखिरकार, ये चीन चला गया। अगर आप आज देखें तो चीन वैश्विक उत्पादन पर हावी है। तो क्या हुआ है? पश्चिम, अमेरिका, यूरोप और भारत ने उत्पादन के विचार को छोड़ दिया है और उन्होंने इसे चीन को सौंप दिया है। उत्पादन का कार्य रोजगार पैदा करता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत को उत्पादन के कार्य और उत्पादन को व्यवस्थित करने के बारे में सोचना होगा।

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Updated 10:56 IST, September 9th 2024