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Published 16:53 IST, May 29th 2024

चढ़ते पारे ने दिल्ली में तोड़े सारे रिकॉर्ड! ऐतिहासिक स्तर पर पहुंची बिजली की डिमांड

गर्म मौसम की तपिश पूरा देश महसूस कर रहा है। चढ़ते पारे के साथ बिजली की डिमांड भी हाई है। लगातार 12वें दिन दिल्ली में अधिकतम डिमांड के पैरामीटर को पार कर गई है।

Reported by: Kiran Rai
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Delhi heatwave
दिल्ली में बिजली की बढ़ी डिमांड | Image: PTI

Delhi Power Demand:  दिल्ली में बिजली की डिमांड ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गई है। हीट वेव से परेशान लोग ज्यादा से ज्यादा एसी और कूलर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं इस वजह से खपत बढ़ी है। इस बार दिल्ली में बिजली की अधिकतम मांग 8302 मेगावाट तक पहुंच गई है और इस तरह कुछ दिन पहले ही बनाए गए रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है।

 22 मई को दिल्ली में बिजली की अधिकतम मांग 8000 मेगावाट तक पहुंच गई थी। लगातार 12 दिनों तक दिल्ली में बिजली की अधिकतम मांग 2024 में 7000 मेगावाट को पार कर गई है।

टूटा रिकॉर्ड

हर बढ़ते दिन के साथ भीषण गर्मी और चढ़ते पारे के साथ दिल्ली में बिजली आपूर्ति की मांग भी तेज गति से बढ़ रही है।  दिल्ली के इतिहास में पहली बार बिजली की मांग डेली बेसिस पर 8000 मेगावाट तक पहुंच गई है। 22 मई को भी पीक आवर में मांग 8000 मेगावाट को क्रॉस कर गई थी। आईएमडी के अनुमान पर भी नजर दौड़ाएं तो पाएंगे कि आने वाले दिनों में इसमें कुछ खास राहत नहीं मिलने वाली है और डिमांड भी उसी गति से बढ़ेगी।  

पिछले साल के मुकाबले बढ़ी डिमांड

21 मई को ही दिल्ली में बिजली की मांग बढ़कर 7717 मेगावाट तक पहुंच गई थी जो अब तक का सबसे उच्चतम स्तर है। इस आंकड़े ने 29 जून 2022 को बने 7695 मेगावाट के पिछले रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया था। और अब तो यह मांग 8000 मेगावाट को भी पार कर गई है।

मई 2024 में हर दिन दिल्ली की अधिकतम बिजली की मांग मई 2023 की तुलना में बढ़ी है। पिछले साल मई के पहले 20 दिनों में, दिल्ली की अधिकतम बिजली की मांग 5781 मेगावाट थी। वहीं मई 2023 में उच्चतम बिजली की मांग 23 मई को 6916 मेगावाट दर्ज की गई थी।

2023 की तुलना में  बढ़ी मांग

मौसम और डिमांड का सीधा संबंध दिखता है। मौसम का मिजाज ज्यादा गर्म होता है तो डिमांड भी उसी हिसाब से बढ़ती है। राहत पाने के लिए लोग कूलर, एसी और पंखों का प्रयोग करते हैं। यही पैटर्न सालों से दिखता आ रहा है। अप्रैल 2024 के दौरान, अधिकतम बिजली की मांग अप्रैल 2023 की तुलना में 83 फीसदी ज्यादा थी, जिसमें 32 फीसदी तक का अंतर है। 

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Updated 17:04 IST, May 29th 2024