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Published 23:26 IST, December 2nd 2024

Delhi Pollution: दिल्ली में लागू रहेंगे GRAP 4 के प्रतिबंध, SC ने छूट देने से किया इनकार; बताई वजह

न्यायालय ने कहा कि वह पांच दिसंबर को विभिन्न पक्षों को सुनेगा कि जीआरएपी के चौथे चरण के तहत प्रतिबंधों में ढील दी जाए या नहीं।

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Delhi Pollution, Supreme Court
Delhi Pollution, Supreme Court | Image: Republic
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Supreme Court on Delhi Pollution: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के चौथे चरण के तहत आपातकालीन उपायों में तब तक ढील देने से इनकार कर दिया, जब तक कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के स्तर में गिरावट का रुझान नहीं देखा जाता।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका एवं न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने पांच दिसंबर को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के राज्यों के मुख्य सचिवों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उपस्थित होकर यह बताने का निर्देश दिया कि प्रतिबंधों के कारण काम से वंचित निर्माण श्रमिकों को कोई मुआवजा दिया गया है या नहीं।

‘तब तक छूट नहीं देंगे, जब तक…’

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर को हर साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ता है। पीठ ने वायु प्रदूषण के सभी पहलुओं पर विचार करने और एक स्थायी समाधान खोजने का प्रस्ताव रखा। पीठ ने प्रतिबंधों को लागू करने में दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस, दिल्ली नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण समिति सहित हितधारकों के बीच ‘‘समन्वय की कमी’’ को रेखांकित किया। पीठ ने कहा, ‘‘हम आपके सुझावों पर गौर करेंगे, लेकिन हम तब तक छूट नहीं देंगे, जब तक आप हमें प्रदूषण में कमी का स्पष्ट का रुझान नहीं दिखा देते।’’

5 दिसंबर को फिर होगी सुनवाई

न्यायालय ने कहा कि वह पांच दिसंबर को विभिन्न पक्षों को सुनेगा कि जीआरएपी के चौथे चरण के तहत प्रतिबंधों में ढील दी जाए या नहीं। पीठ ने कहा, ‘‘बृहस्पतिवार को हम वायु गुणवत्ता सूचकांक पर गौर करेंगे और देखेंगे कि इसमें गिरावट आ रही है या नहीं।’’

शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 को ‘संतोषजनक’, 101 से 200 को ‘मध्यम’, 201 से 300 को ‘खराब’, 301 से 400 को ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 को ‘गंभीर’ माना जाता है।

पीठ ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए जीआरएपी के चौथे चरण का शायद ही कोई कार्यान्वयन हुआ है।’’ पीठ ने दिल्ली सरकार से प्रतिबंधों को लागू करने, विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिए तैनात अधिकारियों की संख्या पर सवाल उठाया। 

कोर्ट में दिल्ली सरकार ने क्या कहा? 

दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरासत ने कहा कि सरकार जीआरएपी प्रतिबंधों का पालन न करने के आरोपों पर गौर करेगी। न्यायालय दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण लगाने के उपायों से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था। 

सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त कमिश्नर को मिली धमकी 

सुनवाई के दौरान पीठ ने निरीक्षण करने के लिए अदालत आयुक्त के रूप में नियुक्त वकीलों द्वारा दाखिल रिपोर्ट से ‘‘बहुत चौंकाने वाली बातें’’ उजागर होने का उल्लेख किया। रिपोर्ट में बताया गया कि अदालत आयुक्तों ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए न केवल अपनी जान को जोखिम में डाला, बल्कि धमकियों का भी सामना किया।

अदालत आयुक्त की एक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए, पीठ ने पुलिस को उसकी कार्रवाई का जिक्र करते हुए एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। पीठ ने कहा, ‘‘हम बार के सदस्यों को जोखिम में नहीं डाल सकते, क्योंकि रिपोर्ट से पता चलता है कि उनमें से कुछ को धमकियां दी गई हैं।’’

पीठ ने पूछा कि क्या अदालत आयुक्त अपना काम जारी रखना चाहते हैं और जो ऐसा करना चाहते हैं, वे दिल्ली पुलिस द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी को ईमेल भेजें। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी है कि बार के सदस्य जो अदालत आयुक्त के रूप में काम कर रहे हैं, उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मिले।’’

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को निर्देश दिया गया कि वह अधिकारियों की एक टीम नियुक्त करके अदालत आयुक्तों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का अध्ययन करे तथा गैर-अनुपालन के मुद्दे को तत्काल कार्रवाई के लिए संबंधित प्राधिकारियों के समक्ष उठाए।

पीठ ने दिए ये निर्देश

पीठ ने सीएक्यूएम को निर्देश दिया कि वह सभी संबंधित अधिकारियों को निवारण उपायों के बारे में सूचित करने के लिए कदम उठाए, जिन्हें लागू करने का निर्णय लिया गया है तथा कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए समन्वय करे।

हितधारकों के बीच समन्वय की कमी का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा कि यह सीएक्यूएम की जिम्मेदारी है कि वह इन सभी संस्थाओं की गतिविधियों का समन्वय करे ताकि जीआरएपी चार के उपायों को लागू किया जाना सुनिश्चित हो सके।

पीठ ने अपने पहले के बयान का हवाला देते हुए कहा, ‘‘आयोग को सभी एजेंसियों के प्रयासों का समन्वय करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रवेश बिंदुओं पर पर्याप्त कर्मी तैनात किए जाएं।’’

निर्माण श्रमिकों के भत्ते के मुद्दे पर पीठ ने कहा कि दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्य सचिवों को पांच दिसंबर को दिन में साढ़े तीन बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उसके समक्ष उपस्थित होना होगा। न्यायालय ने कहा कि जीआरएपी के चौथे चरण के प्रतिबंधों में ढील देने से पहले यह देखा जाएगा कि प्रदूषण में कमी आ रही या नहीं।

जब एक वकील ने प्रदूषण से जुड़ा एक और मुद्दा उठाया तो पीठ ने पूछा, ‘‘आप सभी हमसे सरकार चलाने की उम्मीद कर रहे हैं?’’ पीठ ने कहा कि अदालत हर पहलू पर विचार नहीं कर सकती और हर चीज का सूक्ष्म प्रबंधन नहीं कर सकती।

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Updated 23:26 IST, December 2nd 2024